*रशियन सेना रेड आर्मी का कहर जर्मनों पर टूटा था,नाज़ियों को बनाया था निशाना*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई
*सेना रेड आर्मी का कहर जर्मनों पर टूटा था,नाज़ियों को बनाया था निशाना*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई
【मुंबई / रिपोर्ट स्पर्श देसाई】रेड आर्मी (लाल सेना) सोवियत संघ की सशस्त्र सेना थी। जिसकी स्थापना साल 1918 में रूसी गृहयुद्ध के दौरान बोल्शेविक सरकार द्वारा की गई थी। यह सेना सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी के नियंत्रण में थी और इसका मुख्य उद्देश्य गृहयुद्ध में बोल्शेविकों के विरोधियों को हराना और सोवियत सत्ता को स्थापित करना था।
रेड आर्मी ने द्वितीय विश्व युद्ध (साल 1939-1945) में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जहाँ इसे अक्सर "सोवियत सेना" के रूप में जाना जाता था। इस युद्ध में रेड आर्मी ने नाज़ी जर्मनी की सेना (वेहरमाच्ट) के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी और पूर्वी मोर्चे पर निर्णायक योगदान दिया था। स्टालिनग्राद की लड़ाई और कुर्स्क की लड़ाई जैसे महत्वपूर्ण युद्धों में रेड आर्मी ने नाज़ी सेना को हराया था। जिसने यूरोप में युद्ध का रुख बदल दिया। नाज़ी जर्मनी और रेड आर्मी के बीच संघर्ष को "पूर्वी मोर्चा" कहा जाता है ।
जो द्वितीय विश्व युद्ध का सबसे बड़ा और सबसे खूनी मोर्चा था। नाज़ी जर्मनी ने साल 1941 में ऑपरेशन बारबारोसा के तहत सोवियत संघ पर आक्रमण किया था। जिसके बाद दोनों सेनाओं के बीच भीषण युद्ध हुए। रेड आर्मी ने अंततः साल1945 में बर्लिन पर कब्जा करके नाज़ी जर्मनी को हराया था। रेड आर्मी ने न केवल युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी बल्कि यह सोवियत संघ की विचारधारा और साम्राज्यवाद विरोधी नीतियों का प्रतीक भी बन गई थी हालाँकि इसकी कुछ कार्रवाइयों जैसे युद्ध के दौरान नागरिकों के प्रति कठोर व्यवहार और युद्ध के बाद पूर्वी यूरोप में सोवियत प्रभाव का विस्तार को विवादास्पद माना जाता है।
साल 1946 में रेड आर्मी का नाम बदलकर "सोवियत सेना" कर दिया गया और यह 1991 में सोवियत संघ के विघटन तक अस्तित्व में रही। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान विशेष रूप से साल1945 में जब रेड आर्मी (सोवियत संघ की सेना) ने जर्मनी में प्रवेश किया तो कई जर्मन महिलाओं के साथ बलात्कार और अन्य प्रकार की हिंसा की घटनाएं हुईं थी। यह एक दर्दनाक और विवादास्पद विषय है।
जिसे इतिहासकारों ने व्यापक रूप से दस्तावेज किया है। कुछ अनुमानों के अनुसार लाखों जर्मन महिलाएं इन हमलों का शिकार हुईं। यह हिंसा नाजी जर्मनी द्वारा सोवियत संघ पर आक्रमण और उसके दौरान हुए अत्याचारों के प्रतिशोध के रूप में देखी जाती है हालांकि यह किसी भी तरह से इस तरह की हिंसा को उचित ठहराने का कारण नहीं है।
यह महत्वपूर्ण है कि इतिहास के इन पहलुओं को समझा जाए और उन पर चर्चा की जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। यह भी याद रखना चाहिए कि युद्ध के दौरान नागरिकों, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों पर पड़ने वाले प्रभाव अक्सर गहरे और दीर्घकालिक होते हैं।
रशियन रेड आर्मी को रूसी में 'राबोचे-क्रेस्तयान्स्काया क्रासनाया आर्मिया' कहते हैं। इसे लाल सेना भी कहा जाता है।
•रशियन रेड आर्मी से जुड़ी कुछ खास बातें:
-रशियन रेड आर्मी का गठन रूसी गृहयुद्ध के दौरान हुआ था।
-यह सोवियत संघ की राष्ट्रीय सेना थी ।
-इसे लाल सेना इसलिए कहा जाता था क्योंकि साम्यवाद का रंग लाल है।
-25 फ़रवरी 1946 को इसका नाम बदलकर 'सोवियत सेना' कर दिया गया था ।
-द्वितीय विश्व युद्ध में सोवियत-अमेरिकी-ब्रिटिश गुट की जीत में लाल सेना का अहम योगदान रहा।
-लाल सेना के सैनिकों ने लगभग 80% जर्मन फ़ौज से लड़कर उन्हें हराया था।
-लाल सेना के सैनिक लाल रंग के टिन के तारे पहनते थे।
-लाल सेना की स्थापना कम्युनिस्ट सिद्धांतकार लियोन ट्रॉट्स्की ने की थी।
-रेड आर्मी को लेकर विकिपीडिया क्या कहता हैं?
राबोचे-क्रेस्तयान्स्काया क्रासनाया आर्मिया यानि रेड आर्मी का आरम्भ सन् १९१८-१९२२ के रूसी गृहयुद्ध में सोवियत संघ के क्रांतिकारी साम्यवादी लड़ाकू दलों के रूप में हुआ था। सोवियत संघ की स्थापना के बाद यह बढ़कर उस देश की राष्ट्रीय सेना बन गई और १९३० के दशक तक इतिहास की सब से बड़ी फ़ौजों में से एक बन चुकी थी। उसे लाल सेना इसलिए कहा जाता था क्योंकि साम्यवाद का पारम्परिक रंग लाल है। २५ फ़रवरी १९४६ को लाल सेना का नाम औपचारिक रूप से बदलकर 'सोवियत सेना' कर दिया गया। द्वितीय विश्वयुद्ध में सोवियत-अमेरिकी-ब्रिटिश गुट की जर्मनी के ऊपर जीत का बहुत श्रेय लाल सेना को दिया जाता है, क्योंकि उन्होंने ही लगभग ८०% जर्मन फ़ौज से लड़कर उन्हें हराया था।【Photos by Google】
★ब्यूरो रिपोर्ट स्पर्श देसाई √•Metro City Post•News Channel•#रेड आर्मी#रशिया# दूसरा विश्वयूद्ध#जर्मनी
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