*कैमरे में सही-सलामत दिखे अतीक और अशरफ, फिर रात में क्यों ले गए अस्पताल?*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई
*कैमरे में सही-सलामत दिखे अतीक और अशरफ, फिर रात में क्यों ले गए अस्पताल?*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई
【मुंंबई/रिपोर्ट स्पर्श देसाई】कैमरे में सही-सलामत दिखे अतीक और अशरफ फिर रात में क्यों ले गए अस्पताल?पुलिस का ये तर्क प्रयागराज में माफिया भाइयों की हत्या के मामले में धूमनगंज पुलिस के एक दावे को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। दरअसल अस्पताल ले जाए जाते वक्त कैमरे के सामने अतीक व अशरफ सही सलामत नजर आते हैं हालांकि धूमनगंज पुलिस का दावा है कि तबीयत ठीक नहीं होने की शिकायत पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया था।
मामले में धूमनगंज इंस्पेक्टर राजेश कुमार मौर्य की ओर से तहरीर दी गई है। इसमें लिखा है कि 15 अप्रैल की शाम अतीक व अशरफ ने बेचैनी होने की बात बताई। इस पर उन्हें अस्पताल ले जाने के लिए रात 10.19 मिनट पर पुलिस टीम दोनों को लेकर कॉल्विन अस्पताल के लिए निकली थी। बड़ी बात यह है कि घटना से कुछ देर पहले कॉल्विन अस्पताल के गेट पर पहुंचने के दौरान दोनों न सिर्फ सही सलामत नजर आए थे बल्कि मीडिया से बातें भी की थीं। चर्चा इस बात की भी है कि पुलिस खुद के बचाव के लिए यह तर्क दे रही है।
रिमांड अवधि पूरी होने पर है मेडिकल का आदेश
दअरसल कोर्ट ने अतीक व अशरफ को कस्टडी रिमांड पर देने के लिए जो शर्तें तय की हैं । उनमें कहीं भी रोजाना मेडिकल कराए जाने का जिक्र नहीं है। इसमें आदेशित किया गया है । अभियुक्तों को न्यायिक अभिरक्षा से पुलिस अभिरक्षा में लेने से पहले उनका मेडिकल परीक्षण कराया जाए। इसके बाद पुन: पुलिस अभिरक्षा से न्यायिक अभिरक्षा में दिए जाते समय उनका चिकित्सीय परीक्षण व कोरोना की जांच कराई जाएगी।
जेल में नहीं बांटा गया अखबार कैंटीन में पहुंचने से पहले हटाया । माफिया अतीक व अशरफ की हत्या के बाद जहां जेल की बैरकों में लगी टीवी को बंद करा दिया गया। रविवार सुबह अखबार भी नहीं बांटा गया। रोजना की तरह सुबह छह बजे अखबार जेल पहुंचे तो गेट पर मौजूद बंदी रक्षकों ने उसे रिसीव किया लेकिन कैंटीन व बैरक में पहुंचने से पहले ही उसे हटा दिया गया। जेल में हिंदी के सौ से अधिक व अंग्रेजी के एक दर्जन अखबार प्रतिदिन मंगाए जाते हैं। उन्हें जेल की कैंटीन में रखा जाता है। नियमित अखबार पढ़ने वाले बंदियों को उनकी बैरक में अखबार दिया जाता है। कुछ वीआईपी बंदियों तक अखबार पहुंचा। उसमें भी अतीक व अशरफ से जुड़ी खबरों के पन्नों को हटा दिया गया था।
अतीक अहमद और अशरफ की गोली मारकर हत्या
आपको बता दें कि प्रयागराज में माफिया अतीक अहमद और अशरफ की शनिवार की रात में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। रात साढ़े 10 बजे के बाद अतीक और अशरफ को उस वक्त गोली मारी गई थी। जब वो दोनों मेडिकल जांच के लिए अस्पताल लाया गए थे। मीडियाकर्मी बनकर आए तीन हमलावरों ने दनादन गोलियां बरसाईं। एक पुलिसकर्मी और एक पत्रकार भी इस घटना में घायल हुआ था।
18 सेकंड में अतीक और अशरफ को मौत की नींद सुलाया गया था। आपको बता दें कि अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को महज 18 सेकंड के भीतर मौत की नींद सुला दिया गया था। शूटरों ने दोनों के पुलिस जीप से उतरने के 32वें सेकंड में पहली गोली दागी थी। इसके बाद लगातार कुल 20 गोलियां दागीं और 50वें सेकंड तक माफिया भाइयों का काम तमाम हो चुका था।
अतीक व अशरफ को 10.36 मिनट पर लेकर पुलिस कॉल्विन अस्पताल के गेट पर पहुंची। 10.37 मिनट और 12 सेकंड पर दोनों पुलिस जीप से नीचे उतर चुके थे। इसके बाद पुलिस उन्हें लेकर अस्पताल के भीतर जाने लगी। ठीक 32वें सेकंड यानी 10.37 मिनट और 44 सेकंड पर शूटरों ने पहली गोली दागी थी। इसके बाद ताबड़तोड़ 20 राउंड फायर अतीक और अशरफ को निशाना बनाकर किए गए। 18 सेकंड में वारदात को अंजाम देकर शूटर अपने मकसद में कामयाब हो चुके थे। 10.38 मिनट और 02 सेकेंड पर अतीक और अशरफ दोनों लहूलुहान होकर जमीन पर लुढ़के पड़े थे और उनके शरीर बेजान हो चुके थे।
वीडियो कैमरा और माइक आईडी लेकर आए थे शूटर
शूटआउट को अंजाम देने वाले शूटर मीडियाकर्मी बनकर आए थे। उन्होंने वीडियो कैमरा और माइक आईडी भी थाम रखी थी। दो शूटर जहां वीडियो कैमरा और माइक आईडी लिए हुए था। वहीं उनका तीसरा साथी एक बैग थामे हुआ था। जैसे ही अतीक व अशरफ अस्पताल के भीतर घुसे थे। तीनों ने अपने हाथ में थामे हुए वीडियो कैमरा, माइक आईडी और बैग जमीन पर फेंक दिए और पिस्तोल निकालकर गोलियां बरसाने लगे थे।
*क्या है जिगाना पिस्तोल और लॉरेंस बिश्नोई गैंग कनेक्शन?*
इससे हुई अतीक की हत्या उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े माफिया कहे जा रहे अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ का खात्मा हो गया। रविवार शाम दोनों गैंगस्टर भाइयों को दफना दिया गया था। अब इस अपराध की कहानी के अंत के साथ ही कई और सवाल खड़े हो गए हैं कि आखिर तीन युवाओं ने मिलकर इस घटना को अंजाम कैसे दे दिया? उनके पास तुर्की में बनी पिस्तोल कैसे पहुंची? कहा जा रहा है कि इस घटना के साथ ही पुलिस की जांच का दायरा बढ़ने के भी आसार हैं।
*क्या दी गई थी सुपारी?*
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस मामले में सुपारी की बात से भी इनकार नहीं किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि कुछ लोगों ने अतीक के साथ अपने संबंध सामने आने और राज खुलने के डर से शटर्स को 10-10 लाख रुपये दिए थे हालांकि पुलिस ने आधिकारिक तौर पर इसे लेकर कुछ नहीं कहा है।
*पिस्तोल काकनेक्शन*
एक रिपोर्ट्स के अनुसार लॉरेंस बिश्नोई गैंग को जिगाना पिस्तोल के इस्तेमाल के लिए जाना जाता है। अतीक और अशरफ की हत्या भी भारत में प्रतिबंधित इस पिस्तोल से की गई है। कहा यह भी जा रहा है कि दोनों माफिया भाइयों ने पुलिस को ISI एजेंट से हथियार मिलने की बात भी बताई थी साथ ही अतीक ने लश्कर-ए-तैयबा के साथ भी अपने संबंधों की बात स्वीकारी थी।
इस पूरे घटनाक्रम में गुड्डू मुस्लिम का नाम भी सामने आ रहा है। गुड्डू भी उमेश पाल की हत्या के मामले में संदिग्धों में शामिल है। खबर है कि वह अतीक के बाद उत्तराधिकारी बनना चाहता था लेकिन माफिया की पसंद उसका भाई अशरफ था। ऐसे में कहा जा रहा है कि दोनों भाइयों की हत्या में गुड्डू का हाथ भी हो सकता है
*अतीक हत्याकांड*
गुड्डू मुस्लिम से जुड़े राज का खुलासा तो नहीं हत्या की वजह, हमले के ठीक पहले अशरफ ने लिया था अतीक-अशरफ शूटआउट कांड को लेकर एक सवाल बेहद चर्चा में है। वह सवाल यह है कि कहीं इनामी बमबाज गुड्डू मुस्लिम से जुड़े राज का खुलासा तो इस हत्याकांड की वजह नहीं बना इसलिए क्योंकि मौत के घाट उतारे जाने से ठीक पहले अशरफ ने गुड्डू मुस्लिम का नाम लिया था। चकिया निवासी गुड्डू मुस्लिम कुख्यात बदमाश है और पांच लाख का इनामी भी है। उमेश पाल हत्याकांड में जहां पांच शूटर दनादन गोलिया बरसाते नजर आए थे। वहीं गुड्डू झोले से निकालक बमबाजी करता दिखा था। उमेश के गनर राघवेंद्र को उसने ही बम से उड़ाया था।
24 फरवरी को उमेश की हत्या के बाद से ही वह फरार है और उसे पुलिस पकड़ नहीं सकी है। 15 अप्रैल को कॉल्विन अस्पताल में जब शूटआउट हुआ था। उसके ठीक पहले अशरफ ने इसी गुड्डू मुस्लिम के बारे में कुछ कहना चाहा था। गुड्डू मुस्लिम का नाम लेकर वह कोई अहम बात कहने वाला था । तभी उसे गोली मार दी गई। सवाल यह उठ रहा है कि आखिर गुड्डू मुस्लिम से जुड़ा वह कौन सा राज था ? जो अशरफ की मौत के साथ ही दफन हो गया? बता दें कि उमेश पाल हत्याकांड के बाद यह पहला मौका था। जब अशरफ ने किसी शूटर का नाम लेकर कुछ बोलना चाहा था।
*बरेली जेल ले जाते वक्त बोला था, बड़े अफसर ने दी है हत्या की धमकी*
अशरफ को 28 मार्च को पेशी के लिए बरेली जेल से प्रयागराज लाया गया था। रात में वापसी के दौरान उसने सनसनीखेज आरोप लगाए थे। कहा था कि उसे एक बड़े पुलिस अफसर ने हत्या कराने की धमकी दी है। कहा है कि दो हफ्ते में किसी बहाने से जेल से निकालकर उसकी हत्या करा दी जाएगी। अशरफ ने यह भी बताया था कि यह धमकी उसे प्रयागराज में दी गई। जब उससे अधिकारी का नाम पूछा गया तो उसने नाम बताने से इन्कार कर दिया था। उसने यह भी कहा कि प्रिजन वैन में उसकी सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में उसे धमकी दी गई।
*आश्वासन के बाद मुकरने की बात आई थी सामने*
बता दें कि उमेश पाल हत्याकांड के तीन फरार शूटरों को लेकर अशरफ की ओर से आश्वासन देने के बाद मुकरने की बात सामने आई थी। उसने पुलिस अधिकारियों को आश्वासन दिया था कि वह तीन शूटरों को उनके हवाले कर देगा। ये वादा उसने उमेश पाल अपहरण केस में सजा सुनाए जाने के लिए बरेली जेल से प्रयागराज की अदालत में आने के दौरान किया था हालांकि जैसे ही वह बरेली वापस जाने के लिए पुलिस की वैन पर सवार हुआ, मुकर गया। उसने वैन में सवार पुलिसकर्मियों से कहा कि वह किसी भी हाल में शूटरों को पुलिस को नहीं सौंपेगा। इसके बाद ही पुलिस ने असद और बाकी शूटरों की तलाश में पूरी ताकत झोंक दी थी और इसके बाद असद व गुलाम एनकाउंटर में मारे गए थे।कर्टसी ।【Photo Courtesy Google】
★ब्यूरो रिपोर्ट स्पर्श देसाई√•Metro City Post•News Channel•#अतिक अशरफ
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