Metro...उत्तरायण या मकर संक्रांति भारत में एक महत्वपूर्ण त्योहार है,जो हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई

*Metro...उत्तरायण या मकर संक्रांति भारत में एक महत्वपूर्ण त्योहार है,जो हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई


【मुंबई/ रिपोर्ट स्पर्श देसाई】उत्तरायण या मकर संक्रांति भारत में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। जो हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है। यह त्योहार सूर्य के उत्तरायण में प्रवेश करने का प्रतीक है। जो कि सूर्य की किरणों के पृथ्वी पर पड़ने का एक महत्वपूर्ण समय होता है।

•उत्तरायण का महत्व:
-सूर्य की किरणों का महत्व: उत्तरायण के दौरान सूर्य की किरणें पृथ्वी पर पड़ती हैं। जो कि जीवन और ऊर्जा का स्रोत होती हैं।

-कृषि और फसलों का महत्व: उत्तरायण के दौरान किसान अपनी फसलों की कटाई करते हैं और नए फसलों की बुआई करते हैं।

-पारिवारिक और सामाजिक महत्व: उत्तरायण एक पारिवारिक और सामाजिक त्योहार है। जिसमें लोग अपने परिवार और मित्रों के साथ मिलते हैं और त्योहार मनाते हैं।

-धार्मिक महत्व: उत्तरायण का धार्मिक महत्व भी है क्योंकि यह त्योहार भगवान सूर्य की पूजा के साथ जुड़ा हुआ है।

`पंतगोत्सव का महत्व:
पंतगोत्सव एक पारंपरिक त्योहार है। जो उत्तरायण के दौरान मनाया जाता है। इस त्योहार में लोग पतंग उड़ाते हैं और अपने परिवार और मित्रों के साथ मिलते हैं।

-पंतगोत्सव का महत्व इस प्रकार है:
-मनोरंजन और आनंद: पंतगोत्सव एक मनोरंजक त्योहार है। जिसमें लोग पतंग उड़ाते हैं और अपने परिवार और मित्रों के साथ मिलते हैं।

-पारिवारिक और सामाजिक महत्व: पंतगोत्सव एक पारिवारिक और सामाजिक त्योहार है। जिसमें लोग अपने परिवार और मित्रों के साथ मिलते हैं और त्योहार मनाते हैं।

-सांस्कृतिक महत्व: पंतगोत्सव एक सांस्कृतिक त्योहार है । जो भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

गुजरात में उत्तरायण एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है । जो हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है। इस त्योहार को गुजरात में "उत्तरायण" या "मकर संक्रांति" के नाम से जाना जाता है।


-गुजरात में उत्तरायण का महत्व पतंगोत्सव के प्रकार है:
-पतंग उड़ाने की परंपरा: गुजरात में उत्तरायण के दौरान पतंग उड़ाने की एक पुरानी परंपरा है। लोग अपने घरों की छतों पर पतंग उड़ाते हैं और इस त्योहार को मनाते हैं।

-सूर्य की पूजा: उत्तरायण के दौरान लोग सूर्य की पूजा करते हैं और उन्हें धन्यवाद देते हैं कि उन्होंने अपनी किरणों से पृथ्वी को रोशन किया है।

-पारिवारिक और सामाजिक महत्व: उत्तरायण एक पारिवारिक और सामाजिक त्योहार है । जिसमें लोग अपने परिवार और मित्रों के साथ मिलते हैं और त्योहार मनाते हैं।

-सांस्कृतिक महत्व: उत्तरायण गुजरात की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इस त्योहार को मनाने से लोगों को अपनी संस्कृति के बारे में जानने और उसका सम्मान करने का अवसर मिलता है। गुजरात में उत्तरायण के दौरान कई अन्य गतिविधियाँ भी आयोजित की जाती हैं। जैसे कि पतंग उड़ाने की प्रतियोगिताएं,संगीत और नृत्य कार्यक्रम और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। उत्तरायण का मतलब है : सूर्य का उत्तर दिशा की ओर गति करना। यह सूर्य की एक दशा है।उत्तरायण के दौरान दिन लंबे और रातें छोटी होती हैं। यह दशा 14 जनवरी से शुरू होकर 21 जून तक रहती है। उत्तरायण को मकर संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है।

•उत्तरायण से जुड़ी कुछ खास बातें:
-उत्तरायण के दौरान सूर्य की किरणें सेहत अच्छी करने वाली और शांति को बढ़ाने वाली होती हैं।

-उत्तरायण के दौरान सूर्य की किरणों से मनुष्य की कार्य क्षमता में वृद्धि होती है।

-उत्तरायण को फसल कटाई का समय माना जाता है।

-उत्तरायण के समय देवताओं का ब्रह्म मुहूर्त शुरू हो जाता है।

-उत्तरायण के समय साधनाओं और परा अपरा विद्याओं की प्राप्ति के लिए शुभ माना जाता है।

-उत्तरायण के समय गृह निर्माण,देवताओं की प्रतिष्ठा,सकाम यज्ञ जैसे काम किए जा सकते हैं।

-उत्तरायण के समय सूर्य की किरणों से मानव प्रगति की ओर अग्रसर होता है। 


•उत्तरायण के दौरान सूर्य देव की पूजा के लिए सुबह स्नान करके तांबे के बर्तन में जल,सिंदूर,लाल फूल और काला तिल डालकर सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए। इस दौरान 'ॐ आदित्याय नमः' मंत्र का जाप करना चाहिए।

•सूर्य पूजा से जुड़ी कुछ और खास बातें:
-सूर्य देव को जल चढ़ाने के लिए तांबे के लोटे का इस्तेमाल करना चाहिए।

-जल चढ़ाते समय सूर्य को सीधे नहीं देखना चाहिए।

-सूर्य देव को जल चढ़ाने के बाद नदी में खड़े होकर अपने अंजुली से जल लेकर भगवान सूर्य का ध्यान करते हुए और ऊं सूर्याय नम: का मंत्र बोलते हुए जल अर्पित करना चाहिए।

-सूर्य देव की पूजा करने से घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।

-सूर्य देव की कृपा से रोग मुक्ति मिलती है।

-सूर्य देव की पूजा करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है।

-सूर्य देव की पूजा करने से शारीरिक कमज़ोरी और जोड़ों के दर्द जैसी समस्याओं से राहत मिलती है।


•आखिर में उतरायण के बारे में क्या कहता है विकिपीडिया?
-उत्तरायण सूर्य:सूर्य की एक दशा है।'उत्तरायण' (= उत्तर + अयन) का शाब्दिक अर्थ है - 'उत्तर में गमन'। जब सूर्य की दशा उत्तरायण है तब क्षितिज पर यदि सूर्योदय होने के बिंदु को प्रतिदिन देखा जाए तो वह बिंदु धीरे धीरे उत्तर की और बढ़ता प्रतीत होगा। इसी प्रकार दिन के समय सूर्य के उच्चतम बिंदु को यदि दैनिक तौर पर देखा जाये तो उत्तरायण के दौरान वह बिंदु हर दिन उत्तर की और बढ़ता हुआ दिखेगा। उत्तरायण की दशा में पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में दिन लम्बे होते जाते हैं और रातें छोटी। उत्तरायण का आरंभ 14 जनवरी को होता है। यह दशा 21 जून तक रहती है। इस दिन अयनांत की स्थिति आती है उसके बाद दक्षिणायन प्रारंभ होता है जिसमें दिन छोटे और रात लम्बी होती जाती है फिर एक और अयनांत है और फिर से उत्तरायण आरम्भ हो जाता है। सूर्य के उच्चतम बिंदु का उत्तर व दक्षिण में जाना
मकर संक्रांति उत्तरायण से भिन्न है। मकर संक्रांति वर्तमान शताब्दी में 14 जनवरी को होती है।【Photos: Google】

★ब्यूरो रिपोर्ट स्पर्श देसाई√•Metro City Post •News Channel•#उतरायण#मकरसंक्रांति# पतंगोत्सव# सूर्य पूजा

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