*औरंगजेब ने सीधे तौर पर युद्ध नहीं लड़े थे बल्कि उसके सेनापतियों ने मराठों के साथ कई लड़ाइयां और घेराबंदियां कीं थी*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई
*औरंगजेब ने सीधे तौर पर युद्ध नहीं लड़े थे बल्कि उसके सेनापतियों ने मराठों के साथ कई लड़ाइयां और घेराबंदियां कीं थी*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई
【मुंबई/रिपोर्ट स्पर्श देसाई】मुग़ल सम्राट औरंगजेब (1658–1707 ई.) के व्यक्तित्व और शासन के बारे में ऐतिहासिक दृष्टिकोण अत्यधिक विवादास्पद है। उन्हें एक ओर कट्टर और निष्ठुर शासक बताया जाता है तो दूसरी ओर कुछ इतिहासकार उन्हें धर्मनिष्ठ,अनुशासित और सक्षम प्रशासक मानते हैं। उनके शासनकाल के प्रमुख पहलुओं को समझकर ही इस प्रश्न का संतुलित उत्तर दिया जा सकता है:
•धार्मिक नीतियाँ और विवाद:
-जज़िया कर की पुनः शुरुआत: औरंगजेब ने गैर-मुस्लिमों खासकर हिंदुओं पर जज़िया कर लगाया था। जिसे अक्सर धार्मिक उत्पीड़न के रूप में देखा जाता है। यह नीति उनके पूर्ववर्ती सम्राट अकबर द्वारा हटाए जाने के बाद लागू की गई थी।
-मंदिरों का विध्वंस: काशी विश्वनाथ मंदिर (वाराणसी),केशवराय मंदिर (मथुरा) और सोमनाथ मंदिर जैसे प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों को तोड़ा गया था। इतिहासकारों का मत है कि यह कदम कभी-कभी विद्रोही राजाओं को दंडित करने या सैन्य रणनीति के तहत उठाया गया था। न कि केवल धार्मिक कट्टरता के कारण।
-सिख गुरुओं के साथ संघर्ष: गुरु तेग बहादुर को सन 1675 में मुस्लिम धर्म अपनाने से इनकार करने पर मृत्युदंड दिया गया था। जिससे सिख समुदाय में गहरा रोष पैदा हुआ था। इसी तरह गुरु गोबिंद सिंह के पुत्रों को शहीद करने का आरोप भी औरंगजेब पर लगाया जाता है।
-सूफ़ी संतों के प्रति रवैया: कुछ सूफ़ी संतों को भी उनकी धार्मिक मान्यताओं के कारण प्रताड़ित किया गया था हालाँकि औरंगजेब ने कुछ मज़ारों को दान भी दिया था।
- राजनीतिक क्रूरता और परिवार के साथ व्यवहार:
-सत्ता संघर्ष: औरंगजेब ने अपने तीन भाइयों दारा शिकोह,शाह शुजा और मुराद बख्श को मारकर सिंहासन हासिल किया था। पिता शाहजहाँ को आगरा के किले में नज़रबंद कर दिया गया था।
-विद्रोहों का दमन: उनके शासनकाल में राजपूत,सिक्ख,जाट, और मराठा विद्रोह हुए थे। विशेष रूप से शिवाजी के साथ संघर्ष और उनके पुत्र संभाजी की क्रूर हत्या (सन 1689) को अत्याचार का उदाहरण माना जाता है।
•प्रशासनिक और सैन्य नीतियाँ:
-साम्राज्य का विस्तार: उनके शासन में मुग़ल साम्राज्य अपने चरम पर पहुँचा था लेकिन लंबे युद्धों (खासकर दक्कन अभियान) ने राजकोष को खाली कर दिया था।
-कानून का पालन: औरंगजेब ने इस्लामी कानून (शरिया) को कड़ाई से लागू किया था जैसे शराब और संगीत पर प्रतिबंध था हालाँकि दरबार में हिंदू अधिकारी जैसे राजा जसवंत सिंह मौजूद थे।
- न्यायप्रियता: कुछ इतिहासकार उन्हें निष्पक्ष न्याय करने वाला बताते हैं। उन्होंने गरीबों के लिए राहत कार्य भी किए और हिंदू मंदिरों को भी दान दिया था।
•ऐतिहासिक दृष्टिकोण: क्रूर या यथार्थवादी?:
-नकारात्मक छवि: ब्रिटिश और हिंदू राष्ट्रवादी इतिहासकारों ने उन्हें "धार्मिक कट्टर" के रूप में चित्रित किया था। 20वीं सदी में हिंदू-मुस्लिम राजनीति ने इस छवि को और बढ़ावा दिया था।
-संदर्भ और यथार्थवाद:आधुनिक इतिहासकार जैसे ऑड्रे ट्रुश्के तर्क देते हैं कि औरंगजेब के कई कार्य राजनीतिक आवश्यकताओं के अनुसार थे मसलन मंदिर तोड़ने की घटनाएँ अक्सर विद्रोही ज़मींदारों को दंडित करने के लिए थीं । न कि धर्मांतरण के लिए थे।
-विरोधाभासी चरित्र: वह एक कट्टर सुन्नी मुसलमान थे लेकिन उनकी निजी डायरी ("रुक़ात-ए-आलमगीरी") में आध्यात्मिक संदेह और पश्चाताप के भाव भी मिलते हैं।
•निष्कर्ष:
औरंगजेब को "क्रूर" कहना एक सरलीकरण होगा। वह एक जटिल शासक थे। जिनके फैसले धार्मिक विश्वास,राजनीतिक व्यावहारिकता और साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षाओं का मिश्रण थे। उनकी नीतियों ने मुग़ल साम्राज्य को अस्थिर कर दिया था। जिसके परिणामस्वरूप उनकी मृत्यु के बाद साम्राज्य का पतन शुरू हो गया। अतःउनके चरित्र का मूल्यांकन करते समय ऐतिहासिक संदर्भ और बहुआयामी दृष्टिकोण आवश्यक है।
•शिवाजी महाराज और उनके पुत्र संभाजी महाराज के साथ औरंगजेब के संघर्षों का विवरण निम्नलिखित है:
-शिवाजी महाराज vs औरंगजेब (सन 1630–1680):
शिवाजी और औरंगजेब के बीच प्रमुख संघर्ष इस प्रकार हैं:
-उम्बरखिंद की लड़ाई (सन 1661):शिवाजी ने मुगल सेनापति करतलब खान को हराया था। यह महाराष्ट्र के कोलाबा जिले में हुआ।
-सूरत की लूट (सन 1664):शिवाजी ने मुगलों के प्रमुख व्यापारिक केंद्र सूरत पर हमला किया (युद्ध नहीं, बल्कि छापा)।
-पुरंदर की संधि (सन 1665): मुगल सेनापति जयसिंह ने पुरंदर किले को घेरा था। जिसके बाद संधि हुई थी।
-आगरा से पलायन (सन 1666):शिवाजी को औरंगजेब ने आगरा में नजरबंद किया था लेकिन वे भाग निकले थे।
-सिंहगढ़ की लड़ाई (सन 1670):शिवाजी ने मुगलों से किला वापस जीता (महाराष्ट्र)।
-दक्कन अभियान (सन 1670–1680):शिवाजी ने मुगल-नियंत्रित क्षेत्रों पर लगातार छापामार हमले किए थे।
-मुख्य स्थान: पुरंदर, उम्बरखिंद, सिंहगढ़, सूरत, और दक्कन के किले थे।
•संभाजी महाराज vs औरंगजेब (सन 1680–1689):
शिवाजी की मृत्यु के बाद संभाजी ने संघर्ष जारी रखा:
- दक्कन में औरंगजेब का आक्रमण (सन1681): औरंगजेब स्वयं दक्कन आया और 27 वर्ष तक मराठों से लड़ा था।
-रामसेज का घेराबंदी (सन 1682–1688): मुगलों ने महाराष्ट्र के रामसेज किले को घेराथा लेकिन मराठों ने बचाव किया था।
-वाई की लड़ाई (सन1687): संभाजी की सेना ने मुगल सेनापति मुकर्रब खान को हराया था।
-संभाजी की गिरफ्तारी और मृत्यु (सन 1689): संभाजी को मुगलों ने पकड़कर यातनाएं दीं और उनकी हत्या की थी।
-मुख्य स्थान: रामसेज,वाई,महाबलेश्वर और संगमेश्वर (महाराष्ट्र)।
•नोट:
-युद्धों की संख्या:औरंगजेब ने सीधे तौर पर युद्ध नहीं लड़े थे बल्कि उसके सेनापतियों ने मराठों के साथ कई लड़ाइयां और घेराबंदियां कीं थी। शिवाजी और संभाजी के समय में 10–15 प्रमुख टकराव हुए थे लेकिन इनमें से अधिकांश छोटे संघर्ष या छापामार युद्ध थे।
-ऐतिहासिक स्रोत: इतिहासकारों के अनुसार औरंगजेब ने अपने जीवन के अंतिम 25 वर्ष दक्कन में मराठों से लड़ने में बिताए जो "मुगल-मराठा युद्ध" के नाम से जाने जाते हैं।
इस प्रकार औरंगजेब के शासनकाल में मराठों के साथ संघर्ष एक लंबे अभियान का हिस्सा थे । न कि केवल कुछ युद्धों तक सीमित था।
•मुग़ल शासक औरंगज़ेब की मृत्यु अहमदनगर, महाराष्ट्र (वर्तमान भारत) में 3 मार्च 1707 को हुई थी। यह 18वीं सदी के प्रारंभिक वर्षों में हुआ था।
•संक्षिप्त तथ्य:
-स्थान: अहमदनगर (दक्कन क्षेत्र में उनके सैन्य अभियान के दौरान)।
-समय: सन 1707 ईस्वी (हिजरी कैलेंडर के अनुसार 1118 AH)।
-शताब्दी: 18वीं सदी (सन 1701–1800) का प्रारंभिक भाग।
औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद मुग़ल साम्राज्य का पतन तेज़ी से शुरू हो गया क्योंकि उनके उत्तराधिकारी अयोग्य और कमजोर साबित हुए थे।
•विकिपीडिया के मुताबिक औरंगज़ेब के बारे में ये बातें हैं:
औरंगज़ेब का असली नाम मुहिउद्दीन मोहम्मद था।
उनका जन्म 3 नवंबर, 1618 को हुआ था।
औरंगज़ेब भारत पर राज करने वाले छठे मुग़ल शासक थे।
उनका शासन 1658 से 1707 तक चला था।
औरंगज़ेब को आलमगीर (विश्व विजेता) के नाम से भी जाना जाता था।
औरंगज़ेब के शासनकाल में मुग़ल साम्राज्य अपने विस्तार के शिखर पर पहुंचा था।
औरंगज़ेब ने अपने जीवनकाल में दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में जीत हासिल की थी।
औरंगज़ेब की इच्छा के मुताबिक उन्हें शेख़ ज़ैनुद्दीन की दरगाह के पास दफ़नाया गया था।
शेख़ ज़ैनुद्दीन एक सूफ़ी थे और औरंगज़ेब के आध्यात्मिक और धार्मिक शिक्षक भी थे।
औरंगज़ेब ने मराठों और सिखों के ख़िलाफ़ हमले किए थे ।
औरंगज़ेब के शासनकाल में मुग़ल साम्राज्य का विस्तार दक्षिण भारत में करीब 40 लाख वर्ग किलोमीटर तक हुआ था।
【Photo Courtesy Google】
★ब्यूरो रिपोर्ट स्पर्श देसाई √•Metro City Post•News Channel•#औरंगजेब#मराठा#
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