* उत्तर प्रदेश : मुन्ना बजरंगी से लेकर जीवा तक कैसे पुलिस की मौजूदगी में मार दिए गए कुख्यात अपराधी?*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई
* उत्तर प्रदेश : मुन्ना बजरंगी से लेकर जीवा तक कैसे पुलिस की मौजूदगी में मार दिए गए कुख्यात अपराधी?*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई
【मुंबई/रिपोर्ट स्पर्श देसाई】गत सालों 9 जुलाई 2018 में बागपत जेल में बंद मुन्ना बजरंगी की हत्या से शुरु हुआ अपराधियों की हत्या का सिलसिला जारी है। जेल में मुन्ना बजरंगी,मेराज,मुकीम और अंशू दीक्षित की हत्या हुई थी। फिर पुलिस कस्टडी में अतीक अहमद और अशरफ की हत्या हुई । अब मुख्तार के शार्प शूटर संजीव जीवा की हत्या हुई है यानी जेल से लेकर कोर्ट तक हर जगह यूपी पुलिस फेल है ।
*एक के बाद एक कुख्यात अपराधियों की हत्या*
9 जुलाई 2018 को बागपत जेल में मुख्तार गैंग के शूटर मुन्ना बजरंगी की हत्या यूपी के ही डॉन सुनील राठी ने गोली माकर कर दी गई थी। 14 मई 2021 चित्रकूट जेल में बंद मुख्तार के करीबी मेराज और मुकीम काला की हत्या जेल में ही बंद अपराधी अंशू दीक्षित ने कर दी थी फिर उसी समय दोनों को मारने वाले अंशू दीक्षित को पुलिस ने मार गिराया फिर 15 अप्रैल 2023 प्रयागराज में अतीक-अशरफ पुलिस कस्टडी में मार दिए जाते हैं । अब सात जून को मुख्तार के शूटर संजीव जीवा को लखनऊ कोर्ट में गोली मार दी जाती है । अब 19 साल का शूटर विजय यादव जो भारत में प्रतिबंधित पिस्टल से गोली चलाता है । उसे पुलिस की कस्टडी में ही कोर्ट परिसर में वकील धुन देते हैं, पीट देते हैं।
*यूपी पुलिस की ये कैसी चुस्ती...?*
सवाल है कि जो पुलिस बुधवार को माफिया संजीव जीवा को शूटर की गोली लगने से नहीं बचा पाई। वही लखनऊ पुलिस कोर्ट में शूटर को वकीलों के हाथों पीटे जाने से नहीं बचा पाती है। ये यूपी पुलिस की कैसी चुस्ती फुर्ती है। जहां ना माफिया बचता है, ना माफिया को मारने वाला शूटर पिटने से बचता है। अगर इसी मारपीट में शूटर विजय यादव को कुछ हो जाए तो क्या फिर ये पता चल पाएगा कि आखिर जेल और पुलिस रिमांड में हत्या का जो सिलसिला चल रहा है । उसके पीछे कौन है? पुलिस क्या सिर्फ बड़े-बड़े माफिया के साथ हथियार लेकर टहलते हुए चलने के लिए है? अगर नहीं तो फिर जैसे अतीक-अशरफ पर गोली चलते वक्त पुलिसकर्मी कुछ नहीं कर पाए।
*कार्रवाई क्या ही होगी?*
वैसे ही संजीव जीवा पर गोली चलते वक्त भी पुलिसवाले ना तो रोक सके,ना देख सके,ना कुछ कर पाए । सवाल उठता है कि क्या बड़े बड़े माफिया को लेकर पेशी में लाने वाले पुलिसकर्मियों की कुछ खास ट्रेनिंग होती है? अगर नहीं तो फिर क्यों? कार्रवाई क्या ही होगी? क्योंकि सच तो ये भी है कि अतीक अशरफ को मारे जाने के 54 दिन बाद भी अब तक ना तो SIT की रिपोर्ट आई है,ना ही न्यायिक आयोग ने रिपोर्ट सौंपी है ।
*क्यों नहीं पहनाई गई थी बुलेटप्रूफ जैकेट?*
तब इस नए हत्याकांड के बाद लोग जानना चाहते हैं कि क्या संजीव जीवा को प्लान के तहत मारा गया है? इससे पहले मुख्तार के इस शूटर जीवा को कोर्ट में पेश करते वक्त बकायादा बुलेटप्रूफ जैकेट पहनाई जाती थी । जीवा के साथ पुलिसकर्मी भी बुलेटप्रूफ जैकेट पहनते थे लेकिन सात जून को हत्या के वक्त ना पुलिसकर्मी बुलेटफ्रूफ जैकेट में थे, ना जीवा ।
*शूटर नौसिखिए लेकिन तरीका पेशेवर*
आगे की जांच में साफ होगा कि बुलेटप्रूफ जैकेट वाला राज और कहानी क्या है? ऐसा ही अगला सवाल ये है कि क्या अतीक से लेकर जीवा तक को मारने वाले शूटर नौसिखिया हैं या फिर ट्रेंड? सवाल इसलिए क्योंकि दोनों शूटआउट में भले शूटर कम उम्र के हों । पुरानी बड़ी केस हिस्ट्री ना हो लेकिन गोलियां चलाने का इनका तरीका पेशेवर अपराधी जैसा रहा है । लगातार यूपी पुलिस को चुनौती मिल रही है। पुलिस लगातार चुनौतियों के सामने फेल हो रही है । इससे भले कुछ लोगों को लगे कि अरे मारे तो माफिया ही जा रहे हैं लेकिन जान लीजिए कि ये सब कानून को दांव पर लगाकर हो रहा है।कर्टसी।【Photo Courtesy Google】
★ब्यूरो रिपोर्ट स्पर्श देसाई√•Metro City Post•News Channel •#शूटर#पुलिस#
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