*प्रतीक्षित मढ-वर्सोवा पुल को वन विभाग से महत्वपूर्ण मंजूरी मिल गई,पुल का निर्माण शुरू हो सकता है*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई

*प्रतीक्षित मढ-वर्सोवा पुल को वन विभाग से महत्वपूर्ण मंजूरी मिल गई,पुल का निर्माण शुरू हो सकता है*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई

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【मुंबई/ रिपोर्ट स्पर्श देसाई】साल 1967 में पहली बार प्रस्तावित एक पुल का निर्माण आखिरकार शुरू हो सकता है क्योंकि लंबे समय से प्रतीक्षित मढ-वर्सोवा पुल को वन विभाग से महत्वपूर्ण मंजूरी मिल गई है। एक बार यह मंजूरी मिल जाने के बाद बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) बॉम्बे उच्च न्यायालय से अंतिम अनुमति लेने के लिए तैयार है। जिससे लगभग छह दशकों के बाद यह परियोजना क्रियान्वयन के करीब पहुंच जाएगी। 2.06 किलोमीटर लंबा यह पुल मढ और वर्सोवा के घाटों को खाड़ी के पार जोड़ेगा। जिससे जेपी रोड, लिंक रोड और मिथ चौकी के माध्यम से सड़क मार्ग से आने-जाने में लगने वाला 90 मिनट का समय घटकर पांच मिनट से भी कम रह जाएगा। वर्सोवा क्रीक क्रॉसिंग केवल नावों तक सीमित है । खासकर मानसून के दौरान यह दुर्गम है । इस परियोजना से मढ,अक्सा, भट्टी,एरंगल और आस-पास के इलाकों के हजारों निवासियों के लिए परिवर्तनकारी बदलाव का वादा किया गया है। पुल की लागत ओवरहेड और भूमि प्रबंधन सहित ₹2,395 करोड़ और ₹3,984 करोड़ के बीच होने की उम्मीद है।  यह प्रस्तावित वर्सोवा-भयंदर तटीय सड़क के लिए फीडर के रूप में भी काम करेगा। जिससे मलाड और अन्य पश्चिमी उपनगरों से वर्सोवा और उससे आगे तक पहुँच में सुधार होगा। जबकि पुल दशकों तक निष्क्रिय रहा। साल 2015 के बाद इसने गति पकड़ी । जब अधिकारियों ने पर्यावरण अध्ययन शुरू किया। साल 2019 में निविदाएँ जारी की गईं लेकिन साल 2024 की शुरुआत में ही परियोजना को तटीय विनियमन क्षेत्र (CRZ) की मंजूरी मिली। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा मैंग्रोव पर पारिस्थितिक प्रभाव पर चिंता जताए जाने के बाद न्यूनतम खंभों के साथ एक पुन: डिज़ाइन की गई केबल-स्टेड संरचना का प्रस्ताव रखा गया था। अंतिम डिज़ाइन में समुद्री जंग का सामना करने के लिए 100 मीटर लंबा स्टेनलेस स्टील का खंभा है। स्थानीय समुदायों की सुरक्षा के लिए, मछली पकड़ने वाली बस्तियों से बचने के लिए वर्सोवा एप्रोच रोड को फिर से बनाया गया है। बीएमसी ने मार्च में टेंडरिंग फिर से शुरू की और सितंबर में वर्क ऑर्डर जारी किए। कुल अनुमानित बजट में से भूमि अधिग्रहण और प्रशासनिक खर्चों के लिए ₹1,598 करोड़ निर्धारित किए गए हैं। मछुआरे और दैनिक यात्री लंबे समय से पुल की वकालत कर रहे हैं । उनका मानना ​​है कि इससे वर्सोवा में अस्पतालों,स्कूलों और बुनियादी सुविधाओं तक पहुँचने में लगने वाले समय और लागत में कमी आएगी। वर्तमान में मछुआरे मलाड से डीजल और बर्फ जैसी आपूर्ति लाने में लगभग दो घंटे लगाते हैं। जहाँ निर्माण कार्य के शुरू होने को लेकर आशावाद है। वहीं निवासियों और नागरिक समूहों ने दोनों छोर पर सहायक बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता पर बल दिया है। इसके बिना बेहतर आवागमन के कारण स्थानीय यातायात जाम हो सकता है। यह पुल ऐसे महत्वपूर्ण समय पर बना है। जो शहर की तटीय सड़क के निर्माण के दौरान राहत प्रदान करता है। अगर मढ-वर्सोवा पुल योजना के अनुसार पूरा हो जाता है तो यह आखिरकार कल्पना और वास्तविकता के बीच की खाई को पाट सकता है । जिसे बनाने में 58 साल लगे हैं।【Photos Courtesy Google】

★ब्यूरो रिपोर्ट स्पर्श देसाई√•Metrro City Post •Bews Channel•#पुल#मढ# वर्सोवा#मुंबई

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