*राजस्थान में पहली सूची में ही बिखर गई भाजपा नेताओं की एकता,200 उम्मीदवारों की घोषणा पर भाजपा में विरोध का अंदाजा लगाया जा सकता है*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई

*राजस्थान में पहली सूची में ही बिखर गई भाजपा नेताओं की एकता,200 उम्मीदवारों की घोषणा पर भाजपा में विरोध का अंदाजा लगाया जा सकता है*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई

【मुंबई/रिपोर्ट स्पर्श देसाई】इस ब्रेकिंग न्यूज़ के साथ कि राजस्थान में विधानसभा में चुनाव में मतदान की तारीख बदली हैं और अब 25 नवंबर को होगा मतदान । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा,केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पिछले दिनों जब भी राजस्थान आए तो मंच पर भाजपा के प्रदेश नेताओं की उपस्थिति देखने को मिली। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे,प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी, विधायक दल के नेता राजेंद्र राठौड़,उपनेता सतीश पूनिया के साथ साथ प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह,चुनाव प्रभारी प्रहलाद जोशी आदि सभी नेताओं ने यह दिखाने का प्रयास किया कि भाजपा एकजुट है लेकिन 9 अक्टूबर को जब भाजपा की 41 उम्मीदवारों वाली पहली सूची जारी हुई तो भाजपा नेताओं की एकता बिखर गई थी।  जिन विधानसभा क्षेत्रों में उम्मीदवार घोषित किए गए उनमें से अधिकांश में विरोध हो रहा है। सबसे गंभीर बात तो यह कि जिन छह सांसदों को उम्मीदवार बनाया उनके क्षेत्र में भी विरोध हो रहा है यानी इन सांसदों की अपने ही संसदीय क्षेत्र में पकड़ नहीं है। अभी दो सौ में से 41 उम्मीदवार घोषित हुए हैं । जब सभी 200 उम्मीदवार घोषित हो जाएंगे,तब भाजपा में विरोध का अंदाजा लगाया जा सकता है। जानकारों की मानें तो इस विरोध को थामने के लिए भाजपा की ओर से कोई प्रभावी कार्यवाही शुरू नहीं हुई है। मोदी और शाह के सामने जो नेता एकजुटता दिखा रहे थे । उनमें से कई कोप भवन में चले गए हैं। हालत इतने खराब है कि नाराज कार्यकर्ता जयपुर स्थित भाजपा के मुख्यालय में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदेश में गुर्जर मतदाताओं को साधने के लिए भाजपा ने गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संस्थापक अध्यक्ष स्वर्गीय कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के पुत्र विजय बैंसला को टोंक जिले के देवली उनियारा विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया हैं लेकिन बैंसला का भी विरोध हो रहा है। इसी प्रकार अलवर के सांसद बाबा बालक नाथ को तिजारा में,जालौर के सांसद देवजी पटेल को सांचौर में,भागीरथ चौधरी का अपने घर किशनगढ़ में ही खुला विरोध हो रहा है। साल  2018 में भागीरथ चौधरी का टिकट काटा और विकास चौधरी को किशनगढ़ से उम्मीदवार बनाया। विकास चौधरी पराजित होने के बाद भी क्षेत्र में सक्रिय रहे। अब जब उनका टिकट काटकर वापस भागीरथ चौधरी को दिया है तो नाराजगी सड़कों पर है। इसी प्रकार केकड़ी में घोषित उम्मीदवार शत्रुघ्न गौतम के सामने गत बार के प्रत्याशी राजेंद्र विनायका ने मोर्चा खोल दिया है। विनायका का आरोप है कि साल 2018 में गौतम की भीतर घात की वजह से ही भाजपा को हार का सामना करना पड़ा तो फिर इस बार गौतम चुनाव कैसे जीत सकते हैं? जयपुर के विद्याधर नगर से घोषित उम्मीदवार दीया कुमारी (राजसमंद सांसद) के खिलाफ भी मौजूदा विधायक नरपत सिंह राजवी ने बगावत का झंडा उठा लिया है। दीया कुमारी जयपुर राजघराने की प्रमुख सदस्य है इसलिए राजवी ने राजघराने पर भी हमला किया है। ऐसी स्थिति में अन्य विधानसभा क्षेत्रों में भी है। भाजपा में जो नेता उम्मीदवारों का चयन कर रहे हैं । उन्हें यह समझना चाहिए कि स साल 2018 में अधिकांश उम्मीदवार तब की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने तय किए थे। तब भाजपा को 200 में से 72 सीटें मिली थी। यानी 128 सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। अधिकांश हारे हुए प्रत्याशी वसुंधरा राजे के समर्थक हैं। अब यदि ऐसे प्रत्याशी को दोबारा से प्रत्याशी नहीं बनाया तो विरोध होना स्वाभाविक है। भाजपा की ओर से यह दावा किया गया कि वसुंधरा राजे पार्टी के साथ है। यदि यह दावा सही होता तो इस तरह विरोध सामने नहीं आता। यदि नाराज नेता बागी उम्मीदवार बनते हैं तो विधानसभा चुनाव में भाजपा को बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। यूं तो भाजपा को अनुशासित पार्टी माना जाता है लेकिन 9 अक्टूबर को घोषित 41 उम्मीदवारों की सूची में जाहिर है कि 9 ऐसे नेताओं को उम्मीदवार बनाया है । जिन्होंने पिछला चुनाव बागी होकर लड़ा था। भले ही तब ऐसे नेता चुनाव हार गए थे लेकिन उन्हें जो 30-40 हजार वोट मिले वो ही वोट इस बार उम्मीदवार का आधार बन गए। ऐसे में ये हर नेता को लगता है कि भाजपा में भी बगावत कोई मायने नहीं रखती है। यदि इस बार 20-30 हजार वोट प्राप्त कर लिए तो अगली बार उम्मीदवारी तय है। विरोध को थामने के लिए केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई है लेकिन यह कमेटी प्रभावी साबित नहीं होगी। कैलाश चौधरी की प्रदेश की राजनीति में कोई पकड़ नहीं है। भाजपा का विरोध तभी रुकेगा जब वसुंधरा राजे संतुष्ट होगी।
 
महल से बाहर आए:
भाजपा ने राजसमंद की सांसद दीया कुमार के जयपुर के विद्याधर नगर से उम्मीदवार बनाया है।10 अक्टूबर को दीया कुमारी ने क्षेत्र के कार्यकर्ताओं की एक बैठक जयपुर राजघराने के सिटी पैलेस में की थी। मीडिया में इस बैठक के जो फोटो प्रकाशित हुए थे। उससे लग रहा है कि यह लोकतंत्र नहीं राजशाही की बैठक हो रही है। यह सही है कि दीया कुमार जयपुर राजघराने की प्रमुख सदस्य हैं और वे एक नहीं कई महलों की राजकुमारी है। अच्छा हो कि दीया कुमारी महल से बाहर निकलकर कार्यकर्ताओं की बैठक करें। दीया कुमारी को यह भी समझना चाहिए कि विद्याधर नगर में मौजूदा भाजपा विधायक नरपत सिंह राजवी खुला विरोध कर रहे हैं।
 
सांसद बाल बाल बचे:
11 अक्टूबर को जालौर सिरोही के सांसद देवजी पटेल जब पथमेड़ा से सांचौर की तरफ जा रहे थे । तभी कुछ हमलावरों ने उनकी कार पर जोरदार हमला कर दिया। सांसद पटेल ने कहा कि यदि वे कार की खिड़की के कांच बंद नहीं करते तो उन्हें भी चोट पहुंच सकती थी। हमलावरों ने कार को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया। पटेल के सुरक्षा गार्ड और कार के ड्राइवर ने सांचौर पुलिस स्टेशन पर तीन व्यक्तियों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई है। सांसद पटेल ने कहा कि यह हमला भाजपा के नाराज कार्यकर्ताओं का नहीं बल्कि बदमाश प्रवृत्ति के लोगों का है। मेरे समर्थकों ने हमले का वीडियो भी बनाया है, जिसे पुलिस को सौंप दिया है। उन्होंने हमलावरों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने की मांग की है। मालूम हो कि भाजपा ने देवजी पटेल को सांचौर विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया है। इस उम्मीदवारी का भाजपा के कार्यकर्ता विरोध भी कर रहे हैं। ब्लोग।【Photo Courtesy Google】

★ब्यूरो रिपोर्ट स्पर्श देसाई√•Metro City Post•News Channel•#राजस्थान#चुनाव#भाजपा

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