*प्रशासकों के खराब प्रबंधन के कारण नगर निगम के अस्पतालों की हालत खस्ता,मुंबई में कांग्रेस के पूर्व नगरसेवकों का आरोप 1500 करोड़ की प्रिस्क्रिप्शनलेस पॉलिसी की कड़ी आलोचना*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई

*प्रशासकों के खराब प्रबंधन के कारण नगर निगम के अस्पतालों की हालत खस्ता,मुंबई में कांग्रेस के पूर्व नगरसेवकों का आरोप
1500 करोड़ की प्रिस्क्रिप्शनलेस पॉलिसी की कड़ी आलोचना*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई


【मुंंबई/रिपोर्ट स्पर्श देसाई】कांग्रेस के पूर्व नगरसेवकों ने आरोप लगाया कि एक तरफ जहां मुंबई नगर निगम मुंबई के आम लोगों को राहत देने के नाम पर प्रिस्क्रिप्शनलेस नीति लागू कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ जिन अस्पतालों में यह नीति लागू होने जा रही है,उनकी हालत खस्ता है। बृहन्मुंबई नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में आने वाले इस अस्पताल में आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति, जीवन रक्षक दवाएं, दूध और खाद्य आपूर्ति के लिए निविदा प्रक्रिया प्रशासन के निर्णय के कारण पिछले साल से लंबित है। इन नगरसेवकों ने इस बात की भी आलोचना की कि लाखों मुंबईकर प्रभावित हो रहे हैं। अशरफ आजमी,सुफियान वनू,मोहसिन हैदर,आसिफ जकारिया,वीरेंद्र बौधरी,शीतल म्हात्रे,अजंता यादव और कांग्रेस के अन्य पूर्व नगरसेवकों ने मुंबई नगर निगम के अस्पतालों की गंभीर स्थिति के बारे में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया था। मुंबई कांग्रेस कार्यालय के मुरली देवरा सभागृह में आयोजित इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने नगर पालिका प्रशासन की आलोचना की और इस मामले को सामने लाया गया था। पूर्व जनप्रतिनिधि ने आरोप लगाया कि मुंबई में स्वास्थ्य व्यवस्था और भी खराब होने के पीछे मुंबई नगर निगम का सबसे बड़ा हाथ है । पिछले एक साल में केंद्रीय खरीद प्राधिकरण में लगभग कोई भी दवा निर्धारित नहीं की गई है। अस्पताल के संचालन के लिए डीन एवं चिकित्सा अधिकारियों को आवश्यक आवश्यक दवाएँ प्रतिदिन खुले बाजार से उच्च दर पर खरीदनी पड़ती है साथ ही अस्पताल में दूध की आपूर्ति,खाद्य सामग्री की खरीद अस्पताल स्तर पर की जाती है । प्रत्येक अस्पताल समान वस्तुओं को अलग-अलग दरों और शर्तों पर खरीद रहा है क्योंकि ये खरीदारी उच्च दरों पर की जाती है। इन नगरसेवकों ने यह भी बताया कि इसके कारण मरीज़ प्रभावित हो रहे हैं।

नगरपालिका प्रशासक की मंजूरी के बाद चिकित्सा उपकरणों के लिए केंद्रीय खरीद प्राधिकरण द्वारा अवैध निविदाएं जारी की जाती हैं। इसलिए पिछले एक साल में नगर निगम के अस्पतालों में कोई बड़ा चिकित्सा उपकरण नहीं खरीदा गया है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि इन चिकित्सा उपकरणों की कमी के कारण मरीजों को उचित चिकित्सा उपचार नहीं मिल पा रहा है।
साल 2018 में नगर पालिका ने एमटी अग्रवाल अस्पताल,गोवंडी में शताब्दी अस्पताल,बोरीवली में भगवती अस्पताल का नवीनीकरण किया था। अब पांच साल बाद इनमें से कोई भी अस्पताल पूरा नहीं हो सका है। इस वर्ष प्रशासकों ने केईएम अस्पताल के लिए जीवन रक्षक एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड चिकित्सा उपकरणों की खरीद को मंजूरी दी लेकिन जिस टेंडर धारक को यह प्रस्ताव दिया गया था । उसने टेंडर रद्द करने का निर्णय लिया जीवन रक्षक इंजेक्शनों की आपूर्ति के मामले में भी ऐसा ही देखा गया है। वहीं नगर निगम द्वारा ऐसी कई समस्याओं को नजरअंदाज किया जा रहा है । शासन व्यवस्था वस्तुतः चरमरा गयी है। उन अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए जो बीएमसी प्रशासक की मंजूरी के बाद भी भ्रष्ट आचरण के लिए निविदाएं रद्द कर रहे हैं । निविदाओं को अंतिम रूप नहीं देने वाले सभी अधिकारियों को तुरंत बर्खास्त किया जाना चाहिए।  इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऐसी मांग की गई हैं।

 *टेंडर प्रक्रिया में कंपनियों की वापसी*
नगर पालिका ने नगर निगम के अस्पतालों में दवाओं की आपूर्ति के लिए एक निविदा जारी की थी लेकिन केवल एक या दो आपूर्तिकर्ताओं ने ही इस निविदा पर प्रतिक्रिया दी थी। अधिकांश कंपनियों ने इस टेंडर प्रक्रिया से इसलिए मुंह मोड़ लिया क्योंकि दवा विक्रेताओं का 20 प्रतिशत पैसा अभी तक नगर पालिका ने भुगतान नहीं किया है इसलिए इस जन प्रतिनिधि ने यह भी सवाल उठाया कि हजारों करोड़ का फंड होने के बावजूद नगर पालिका इन कंपनियों को पैसा क्यों नहीं दे रही है ।【Photo by MCP】

★ब्यूरो रिपोर्ट√•Metro City Post•News Channel•#कांग्रेस#अस्पताल#पीसी

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