√•बैंक लॉकर के मामले में अपनी जिम्मेदारी से बैंकवालें अपना पल्ला झाड़ नहीं सकते : सुप्रीम कोर्ट / रिपोर्ट स्पर्श देसाई

√•बैंक लॉकर के मामले में अपनी जिम्मेदारी से बैंकवालें अपना पल्ला झाड़ नहीं सकते : सुप्रीम कोर्ट / रिपोर्ट स्पर्श देसाई


                 【 Photo Courtesy Facebook】


【मुंबई / रिपोर्ट स्पर्श देसाई 】सुप्रीम कोर्ट ने गत शुक्रवार को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया याने आरबीआई से छह महीने में बैंकों के लॉकर सुविधा प्रबंधन को लेकर विनियमन बनाने को कहा है। शीर्ष कोर्ट ने कहा था कि लॉकर परिचालन के मामले में ग्राहकों के प्रति अपनी जिम्मेदारी से बैंक पल्ला नहीं झाड़ सकते।

जस्टिस एमएम शांतनागौदार और जस्टिस विनीत शरण की पीठ ने कहा कि वैश्वीकरण के दौर में बैंकिंग संस्थानों की भूमिका बेहद अहम हो गई है। बैंकिंग संस्थान अब आम लोगों के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। देश में होने वाले घरेलू या अंतरराष्ट्रीय लेनदेन में भारी इजाफा हुआ है।

पीठ ने कहा था लोग अपनी चल संपत्तियों को घरों में रखने में संकोच करते हैं। हम कैशलेश अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहे हैं। ऐसे में यह देखा जा रहा है कि बैंकिंग संस्थानों के लिए लॉकर आदि की सेवा अनिवार्य हो गई है। इस सेवा का इस्तेमाल भारतीय और विदेशी भी करते हैं।

पीठ ने कहा था कि तकनीकी विकास के कारण अब हम दो चाबी वाले लॉकर से इलेक्ट्रॉनिक लॉकर की ओर बढ़ रहे हैं। नए तरह के लॉकर पर ग्राहकों के पासवर्ड या एटीएम पिन के जरिए आंशिक रूप से पहुंच होती हैं । उन्हें तकनीक के बारे में कम ही जानकारी होती है। इस बात का भी आशंका बनी रहती है कि बदमाश तकनीकी हेरफेर कर लॉकर तक पहुंच जाए और ग्राहकों को इसकी भनक तक न लगे।

पीठ ने कहा था कि ग्राहक पूरी तरह से बैंक के भरोसे रहते हैं। संपत्तियों को सुरक्षित रखने के लिए बैंकों के पास अधिक व बेहतर संसाधन है। ऐसी स्थिति में बैंक अपनी इस जिम्मेदारी से भाग नहीं सकते कि बैंक के लॉकर के संचालन में उनकी जिम्मेदारी नहीं है।

शीर्ष कोर्ट ने कहा था कि लॉकर सुविधा लेने के पीछे ग्राहकों का मकसद यही होता है कि वह अपनी पूंजी को लेकर निश्चिंत रहें। ऐसे में जरूरी है कि आरबीआई समग्र निर्देश जारी कर कहे कि बैंक लॉकर सुविधा और सेफ डिपॉजिट फैसिलिटी मैनेजमेंट के लिए कदम उठाए। बैंक को यह आजादी नही होनी चाहिए कि वह एकतरफा शर्त लगाए और ग्राहकों पर अनुचित शर्त थोपे।

लिहाजा शीर्ष अदालत ने आरबीआई को निर्देश दिया था कि वह छह महीने के भीतर लॉकर सुविधा को लेकर उचित विनियमन और नियम तय करे।

कोर्ट कोलकाता निवासी अमिताभ दासगुप्ता द्वारा राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था। दासगुप्ता ने एक सरकारी बैंक लॉकर में रखे सात आभूषण मांगे थे या फिर उसके बदले तीन लाख रुपये भुगतान करने की मांग की थी, लेकिन उपभोक्ता फोरम से राहत न मिलने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।


√•ब्यूरो रिपोर्ट स्पर्श देसाई √•Metro City Post•News Channel•

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