*मुंबई में प्रजा फाउंडेशन ने सोमवार 5 दिसंबर 2022 को 'मुंबई में नगरपालिका शिक्षा की स्थिति- 2022" पर अपनी रिपोर्ट जारी की*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई

*मुंबई में प्रजा फाउंडेशन ने सोमवार 5 दिसंबर 2022 को 'मुंबई में नगरपालिका शिक्षा की स्थिति- 2022" पर अपनी रिपोर्ट जारी की*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई

【मुंबई रिपोर्ट स्पर्श देसाई】मुंबई में प्रजा फाउंडेशन ने सोमवार 5 दिसंबर 2022 को 'मुंबई में नगरपालिका शिक्षा की स्थिति- 2022" पर अपनी रिपोर्ट जारी की थी। मुंबई के स्कुलों (नगर निगम, निजी सहायता प्राप्त निजी गैर सहायता प्राप्त गैर मान्यता प्राप्त और स्कूल) में कुल नार्माकन में से बी. एम.सी छात्र नामांकन का अनुपात साल 2012-13 में 45% से घटकर साल 2018-19 में 36% हो गया और फिर 2021-22 में बढ़कर 42% हो गया था। बी.एम. सी का कुल नामांकन साल 2012-13 में 4,34,523 से 31% घटकर साल 2018-19 में 3,00,746 हो गया, जो फिर साल 2018-19 में 3,00,746 से साल 2021-22 में 6% से बढ़कर 3,18,002 हो गया था। साल 2018-19 से 2021-22 तक कक्षा वार बी.एम.सी के अधिकतम छात्र नामांकन में प्री-प्राइमरी में 78% और कक्षा 10वीं में 25% की वृदि्ध हुई थी। बी.एम. सी के अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में छात्र नामांकन में साल 2018-19 में 79,884 से साल 2021-22 में 27% बढ़कर 1,01,110 की वृदि्ध हुई थी। बी.एम. सी के मुंबई पबि्लक स्कूलों (एम.पी.एस) में निरंतर प्रगति देखी है । यह साल 2014-15 में 27,464 से साल 2021-22 में 92% से बढ़कर 52,662 हो गया था। बी.एम.सी के प्री-प्राइमरी कक्षा (गैर-एम.पी.एस स्कूलों) में साल 2018-19 में 7,764 से 125% की वृदि्ध हुई है । जो साल 2021-22 में 17,504 हो गई है। साल 2012-13 में कक्षा 1 में नामांकित बी.एम.सी. छात्रों में से केवल 40% (46,913 में से 18,781) ने साल 2021-22 में कक्षा 10र्वी तक अपनी शिक्षा जारी रखी थी।। साल 2021-22 में केवल 26% (3,18,002 में से 84,247) बी. एम.सी. स्कूल के छात्रों की स्वास्था जांच की थी। वित्त वर्ष 2022-23 में, बीएमसी का प्रति छात्र बजट अनुमान वित्तीय वर्ष 2012-13 में 49,126 रुपये से 108% की वृदि्ध के साथ 1,02,143 रुपये हो गया था। बीएमसी की शिक्षा समिति की बैठकें साल 2019-20 में 21 से 176% की वृदि्ध के साथ 2021-22 में 58 हो गईं हालांकि साल 2019-20 से 2021-22 तक पूछे गए प्रश्नों की संख्या में 27% की कमी आई थी।


मुंबई में प्रजा फाउंडेशन ने सोमवार 5 दिसंबर 2022 को 'मुंबई में नगरपालिका शिक्षा की स्थिति- 2022" पर अपनी रिपोर्ट जारी की । इस रिपोर्ट में 10 साल की प्रवृति्त से पता चलता है कि बृहनमुंबई नगर निगम (बी.एम.सी) के स्कूलों में छात्र नामांकन में शैक्षणिक वर्ष 2012-13 से 2018-19 तक लगातार गिरावट देखी गई है हालांकि कोविंड 19 के दौरान बी.एम.सी. के स्कूल नामांकन में साल 2018-19 से 2021-22 तक 6% की वृदि्ध हुई थी।

"बी.एम. सी को विभिन्न कक्षाओं में नामांकित छात्रों के अनुपात को देखना चाहिए और अनिवार्य अवसंरचना (इन्फ्रास्ट्रक्चर) और संसाधन प्रदान करने के लिए प्रावधान करना चाहिए। उदाहरण के लिए एम.पी.एस स्कूलों में नामांकन साल 2014-15 से 2021-22 तक 92% बढ़ गया क्योंकि इन स्कूलों में प्री-प्राइमरी से 10वीं कक्षा तक हैं। यह इंगित करता है कि अभिभावक अपने बच्चे की शिक्षा के लिए बी. एम.सी. स्कलों को मान रहे हैं और बी.एम.सी को इसे अपनी शिक्षा प्रणाली को और बेहतर बनाने के अवसर के रूप में लेना चाहिए ।" प्रजा फाउंडेशन के संस्थापक और प्रबंध न्यासी निताई मेहता ने बताया था। "महामारी के दौरान स्वास्य प्रमुख चिंता का विषय था हालांकि साल 2020-21 में बी.एम.सी छात्रों के लिए कोई जांच नहीं की गई थी । इसके अलावा सभी छात्रों को स्वास् संबंधी समस्माओं के लिए नहीं जांचा गया था। साल 2015-16 में कुल 3,83,485 में से केवल 49% (1,89,809) छात्रों की जांच हई। और 2021-22 में, केवल 26% छात्रों की जांच हई ।" ऐसा योगेश मिश्रा संवाद कार्यक्रम प्रमुख, प्रजा फाउंडेशन ने कहा था। मिश्रा ने जोड़ते हुए आगे कहा कि,"शिक्षा का अधिकार (आरटी ई) अधिनियम 2009 बताता है कि छात्र-शिक्षक अनुपात (पी.टी. आर) 30:1 होना चाहिए. बी.एम.सी के अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में पी.टी. आर 2021-22 में 41:1 था । इन अंतरालों को दूर करने के लिए परिणाम- आधारित बजट बहुत महत्वपूर्ण है और बी.एम.सी के पास पर्याप्त बजट है हालांकि उन्हें गुणवत्ता शिक्षा के लिए आउटपुट तंत्र पर ध्यान केंदि्रत करने की आवश्यकता है। बी एम. सी का शिक्षा बजट वित्त वर्ष 2012-13 (2,135 करोड़) से 52% बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 (3,248 करोड़) हो गया। इसके अलावा प्रति छात्र बजट अनुमान वित्त वर्ष 2012-13 में 49, 126 रुपये से 108% बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 1,02,143 रुपये हो गया। यहां तक कि कई शीर्ष स्कूलों की वारि्षक शुल्क बी.एम.सी के प्रति छात्र खर्च के लगभग बराबर है लेकिन माता-पिता शिक्षा की गुणवत्ता में विश्वास की कमी के कारण अपने बच्चे को बी.एम.सी स्फूलों में भेजने में संकोच करते हैं।"


आर.टी.ई.अधिनियम में उल्लेखित है कि स्कूल प्रबंधन समिति (एस.एम.सी), जिसमें निर्वाचित प्रतिनिधि शामिल हैं उनको स्कूल विकास योजना (एस.डी.पी) तैयार करनी चाहिए और इसे अपेकि्षत निधिकरण के लिए संबंधित सरकार को प्रस्तुत करना चाहिए। हालांकि साल 2021-22 में 684 बी.एम.सी स्कल (जिनके आंकडे प्राप्त हए) में से 98% ने एस.डी.पी तैयार किया लेकिन 13 स्कूलों के एक नमूना अध्ययन से पता चला कि 85% स्कूलों ने एस.डी. पी में सेक्सन में स्कूल आवश्प्रकताओं को रेखांकित करने वाली कार्य योजना को नहीं भरा था।"बी.एम.सी के पास एक समरि्पत शिक्षा समिति है जो शिक्षा विभाग के कार्यप्रणाली की निगरानी करती है हालांकि वर्तमान में प्रशासन को जवाबदेह ठहराने के लिए कोई निगम नहीं है। आगामी शिक्षा समिति को इस प्रवृति्त को जारी रखना चाहिए और बी.एम.सी की शिक्षा प्रणाली में समग्र सुधार के लिए अक्सर बैठक करनी चाहिए और अधिक विचार-विमर्श करना चाहिए।' ऐसा प्रजा फाउंडेशन के सी.ई.ओ मिलिंद म्हस्क्रे ने कहा था।

"एन.ई.पी और आर. टी. ई लक्षों को हासिल करने के लिए बी.एम.सी को सुधार के प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जैसे कि प्री-प्राइमरी से 10वीं कक्षा तक अधिक स्कूलों का निर्माण और छात्रों की आकांक्षाओं को पुरा करने के लिए लक्षित हस्तक्षेप तैयार करना। बी.एम.सी शिक्षा विभाग को एस.एम.सी को उचित रूप से 'कृती आराखडा' भरने के लिए प्रशिक्षण और निर्देश देना चाहिए ताकि स्फ़ूल को आवश्टक प्रावधान उपलब्ध कराए जा सकें। इसके अलावा प्रभावी उपयोग के साथ परिणाम-आधारित बजट तैयार करने की आवश्यकता है। शिक्षा समिति एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और उसे सुनिशि्चत करना आवश्यक है कि शिक्षा प्रणाली के सभी पहलुओं की गहन निगरानी की जा रही है।"ऐसा महस्के ने कहा था। मेहता ने निष्कर्ष निकालते हए कहा था कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एन ई. पी) 2020, भारत की शिक्षा प्रणाली के नए दृष्टिकोण प्राप्त करने के लिए एक रूपरेखा तैयार करती है। इसका एक लक्ष् नामांकित छात्रों को ट्रैक करके 100% सकल नामांकन (जी.ई.आर) प्राप्त करना है और यह सुनिश्चित करना है कि वे नियमित रूप से स्कूल जा रहे हैं। इसका उद्देश्स छात्रों के लिए शिक्षा प्रणाली में फिर से प्रवेश करने के लिए उपयुक्त अवसर पैदा करना है यदि वे पिछड़ जाते हैं या पढ़ाई छोड़ देते हैं। इसलिए, यह बी.एम.सी के लिए इस अवसर को कुशलतापूर्वक इस्मेमाल करने और गुणवत्ता पूरण शिक्षा प्रदान करके और छात्रों को अपने स्क्रूलों में वापस बनाए रखने के द्वारा माता-पिता के विश्वास को पुनः प्राप्त करने का समय है।

प्रजा फाउंडेशन हमारी सरकार को जवाबदेह बनाने के लिए पिछले दो दशकों से काम कर रही है। नागरिक मुद्दों पर आंकड़ों का अध्यन करके और नागरिकों,मीडिया और सरकार और प्रशासनिक निकायों को इसकी जानकारी प्रसारित करके प्रजा जनप्रतिनिधियों के साथ भी काम करती हैं। यह जन-प्रतिनिधियों को उनके कार्य में त्रुटियों को सुधारने में सहायता करने सूचना की पूर्णता को बढ़ाने और स्थिति में सुधार के लिए उचित उपाय करने के लिए प्रेरित करने के रूप में है। प्रजा का उद्देश्य लोगों के जीवन को सरल बनाना नागरिकों को अधिकार देना और सरकार को सही सि्थति बताना और साथ ही भारत के नागरिकों के जीवन स्सर में सुधार करना है। प्रजा लोगों की भागीदारी के माध्यम से एक जवाबदेह और कुशल समाज के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं।【Photos by MCP】

★ब्यूरो रिपोर्ट स्पर्श देसाई√•Metro City Post•News Channel•#प्रजा#रिपोर्ट#बीएमसी स्कूल

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