*चंद्रयान-3: चांद पर उतरने के बाद क्या और कैसे काम करेंगे विक्रम लैडर और प्रज्ञान रोवर? */रिपोर्ट स्पर्श देसाई
*चंद्रयान-3: चांद पर उतरने के बाद क्या और कैसे काम करेंगे विक्रम लैडर और प्रज्ञान रोवर? */रिपोर्ट स्पर्श देसाई
【मुंंबई/रिपोर्ट स्पर्श देसाई】भारत का चंद्रयान-3 का लैंडर जिसे ISRO इस बार अपने आधिकारिक ब्रोशर या प्रेस रिलीज में विक्रम (Vikram Lander) नहीं कहा है लेकिन सामान्य बातचीत में वैज्ञानिक इसे विक्रम बुला रहे हैं । इसके भीतर के अंदर रखा है प्रज्ञान रोवर । विक्रम लैंडर ही चांद की सतह पर उतरेगा । प्रज्ञान उसके अंदर रखा है ।
पहले ये जान लेते हैं कि प्रज्ञान रोवर क्या और किस तरह काम करेगा. प्रज्ञान रोवर पर दो पेलोड्स लगें हैं । पहला है लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (Laser Induced Breakdown Spectroscope - LIBS) । यह चांद की सतह पर मौजूद केमकल्स यानी रसायनों की मात्रा और गुणवत्ता की स्टडी करेगा, साथ ही खनिजों की खोज करेगा । इसके अलावा प्रज्ञान पर दूसरा पेलोड है अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (Alpha Particle X-Ray Spectrometer - APXS) । यह एलिमेंट कंपोजिशन की स्टडी करेगा । जैसे- मैग्नीशियम, अल्यूमिनियम,सिलिकन,पोटैशियम,कैल्सियम, टिन और लोहा । इनकी खोज लैंडिंग साइट के आसपास चांद की सतह पर की जाएगी । अब बात करते हैं विक्रम लैंडर के काम की । विक्रम लैंडर में चार पेलोड्स लगे हैं । पहला रंभा (RAMBHA) । यह चांद की सतह पर सूरज से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व, मात्रा और बदलाव की जांच करेगा । दूसरा चास्टे (ChaSTE). यह चांद की सतह की गर्मी यानी तापमान की जांच करेगा । तीसरा है इल्सा (ILSA) । यह लैंडिंग साइट के आसपास भूकंपीय गतिविधियों की जांच करेगा । चौथा है लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर एरे (LRA). यह चांद के डायनेमिक्स को समझने का प्रयास करेगा।
विक्रम लैंडर 25 किलोमीटर की ऊंचाई से चांद पर उतरने की यात्रा शुरू करेगा। अगले स्टेज तक पहुंचने में उसे करीब 11.5 मिनट लगेगा यानी 7.4 किलोमीटर की ऊंचाई तक । 7.4 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचने तक इसकी गति 358 मीटर प्रति सेकेंड रहेगी । अगला पड़ाव 6.8 किलोमीटर होगा । 6.8 किलोमीटर की ऊंचाई पर गति कम करके 336 मीटर प्रति सेकेंड हो जाएगी । अगला लेवल 800 मीटर होगा । 800 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर के सेंसर्स चांद की सतह पर लेजर किरणें डालकर लैंडिंग के लिए सही जगह खोजेंगे । 150 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की गति 60 मीटर प्रति सेकेंड रहेगी यानी 800 से 150 मीटर की ऊंचाई के बीच । 60 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की स्पीड 40 मीटर प्रति सेकेंड रहेगी यानी 150 से 60 मीटर की ऊंचाई के बीच । 10 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की स्पीड 10 मीटर प्रति सेकेंड रहेगी । चंद्रमा की सतह पर उतरते समय यानी सॉफ्ट लैंडिंग के लिए लैंडर की स्पीड 1.68 मीटर प्रति सेकेंड रहेगी ।
लैंडर के पेट में ही प्रज्ञान रोवर रखा है । जो लैंडिंग के करीब 15 से 30 मिनट बाद दरवाजा खुलने पर बाहर आएगा । खैर प्रज्ञान के बारे में बाद में बात करेंगे । विक्रम लैंडर का आकार 6.56 फीट x 6.56 फीट x 3.82 फीट है । इसके चार पैर हैं । इसका वजन 1749.86 किलोग्राम है । पिछली बार की तुलना में इस बार लैंडर को ज्यादा मजबूत, ज्यादा सेंसर्स के साथ बनाया गया है ताकि चंद्रयान-2 जैसा हादसा न हो । इस बार विक्रम लैंडर में कुछ खास तकनीक लगाई गई है । जैसे- लेजर और आरएफ आधारित अल्टीमीटर,लेजर डॉपलर वेलोसिटीमीटर और लैंडर हॉरिजोंटल वेलोसिटी कैमरा, लेजर गाइरो बेस्ड इनर्शियल रिफरेंसिंग एंड एक्सीलेरोमीटर पैकेज ।
इसके अलावा 800 न्यूटन थ्रॉटेबल लिक्विड इंजन लगे हैं । 58 न्यूटन ताकत वाले अल्टीट्यूड थ्रस्टर्स एंड थ्रॉटेबल इंजन कंट्रोल इलेक्ट्रॉनिक्स । इसके अलावा नेविगेशन,गाइडेंस एंड कंट्रोल से संबंधित आधुनिक सॉफ्टवेयर,हजार्ड डिटेक्टशन एंड अवॉयडेंस कैमरा और लैंडिंग लेग मैकेनिज्म । ये वो तकनीकें हैं जो लैंडर को सुरक्षित चांद की सतह पर उतारेंगी । विक्रम लैंडर के इंटीग्रेटेड सेंसर्स और नेविगेशन परफॉर्मेंस की जांच करने के लिए उसे हेलिकॉप्टर से उड़ाया गया था । जिसे इंटीग्रेटेड कोल्ड टेस्ट कहते हैं. फिर इंटीग्रेटेड हॉट टेस्ट हुआ । यह एक लूप परफॉर्मेंस टेस्ट है । जिसमें सेंसर्स और एनजीसी को टावर क्रेन से गिराकर देखा गया था । विक्रम लैंडर के लेग मैकेनिज्म परफॉर्मेंस की जांच के लिए लूनर सिमुलेंट टेस्ट बेट पर कई बार इसे गिराया गया था। चांद की सतह पर लैंडिंग के बाद लैंडर 14 दिनों तक काम करेगा। स्थितियां सही रहीं तो हो सकता है कि ज्यादा दिनों तक काम कर जाए ।
विक्रम लैडर चांद की सतह पर प्रज्ञान रोवर से संदेश लेगा । इसे बेंगलुरु स्थित इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क (IDSN) में भेजेगा । जरुरत पड़ने पर इस काम के लिए प्रोपल्शन मॉड्यूल और चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर की मदद ली जा सकती है । जहां तक बात रही प्रज्ञान रोवर की तो वो सिर्फ विक्रम से बात कर सकता है । दौरान चंद्रयान-3 ने भेजी हैं चांद की नई तस्वीरें, शाम तक लैंडिंग,गर सब कुछ फेल हुआ तो भी विक्रम लैंड करेगा । देश के प्रसिद्ध मंदिरों में पूजा-हवन-प्रार्थना, लखनऊ में नमाज, मजाक उड़ाने पर एक्टर प्रकाश राज पर हुआ हैं केस । भारत का मून मिशन यानी चंद्रयान-3 का लैंडर बुधवार 23 अगस्त को अपने तय समय पर यानी शाम 6:04 बजे चंद्रमा पर लैंड करेगा। दौरान ISRO ने मिशन की जानकारी देते हुए कहा कि सभी सिस्टम्स को समय-समय पर चेक किया जा रहा है। ये सभी सही तरह से काम कर रहे हैं। इसके साथ ही इसरो ने चांद की नई तस्वीरें शेयर की हैं। चंद्रयान ने 70 किलोमीटर की दूरी से लैंडर पोजिशन डिटेक्शन कैमरा की मदद से ये तस्वीरें खींचीं हैं। वहीं भारतीय मूल की अमेरिकी एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स ने कहा कि चंद्रयान-3 के चंद्रमा पर उतरने का मुझे बेसब्री से इंतजार है।
इसी दौरान चंद्रयान-3 पर मजाकिया पोस्ट करने पर साउथ की फिल्मों के कलाकार प्रकाश राज पर कर्नाटक के बागलकोट जिले में हिंदू संगठनों के नेताओं ने केस दर्ज कराया है और उन पर कार्रवाई की मांग की है। मिशन की सफलता के लिए देश में जगह-जगह पर हवन कराए जा रहे हैं। इनमें वाराणसी का कामाख्या मंदिर,श्री मठ बाघंबरी गद्दी और मुंबई का चामुण्डेश्वरी शिव मंदिर शामिल है। देहरादून के प्रसिद्ध टपकेश्वर मंदिर में भी पूजा-अर्चना की जा रही है। यह पूजा-अर्चना चंद्रयान-3 के सफल लैंडिंग करने तक जारी रहेगी।
इस मिशन को सफल बनाने के लिए देश भर में लोग दुआ और प्रार्थनाएं कर रहे हैं। चंद्रयान-3 की सफलता के लिए डुमरांव में भी कुशल युवा कार्यक्रम के छात्र-छात्राओं ने चंद्रयान की तस्वीर के साथ हवन-पूजन किया। यहां के शिक्षकों और छात्र-छात्राओं ने चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग की कामना की। हवन पूजन के बाद छात्र-छात्राओं ने कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता से पूरी दुनिया भारत की ताकत देखेगी। कहा कि चंद्रमा को भोलेनाथ अपने शीश पर धारण करते हैं। वे ही हमें सफलता देंगे,जो भारत के लिए यह गर्व की बात है। नमामि गंगे ने वेदपाठी बटुकों के साथ मिलकर गंगा किनारे प्रार्थना की। सिंधिया घाट पर चंद्रयान-3 की तस्वीर लेकर नमामि गंगे के साथ महर्षि वेद विद्यालय के बटुकों ने बाबा विश्वनाथ,भगवान भास्कर और मां गंगा की आरती उतार कर सफलता की कामना की। दुग्धाभिषेक करके देवी-देवताओं से गुहार लगाई। इसी तरह लखनऊ की ऐशबाग ईदगाह स्थित जामा मस्जिद में जुहर की नमाज के बाद इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के अध्यक्ष एवं ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के लिए दुआ कराई। दुआ में काफी तादात में लोग शामिल हुए थे ।
चंद्रयान-3 के लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग में 15 से 17 मिनट लगेंगे। इस ड्यूरेशन को '15 मिनट्स ऑफ टेरर' यानी 'खौफ के 15 मिनट्स' कहा जा रहा है। अगर चंद्रयान-3 मिशन सफल होता है तो भारत चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंडर उतारने वाला पहला देश बन जाएगा। चंद्रमा पर उतरने से दो घंटे पहले, लैंडर मॉड्यूल की स्थिति और चंद्रमा पर स्थितियों के आधार पर यह तय करेंगे कि उस समय इसे उतारना उचित होगा या नहीं। अगर कोई भी फैक्टर तय पैमाने पर नहीं रहा तो लैंडिंग 27 अगस्त को कराई जाएगी। चंद्रयान का दूसरा और फाइनल डीबूस्टिंग ऑपरेशन रविवार रात 1 बजकर 50 मिनट पर पूरा हुआ था। इसके बाद लैंडर की चंद्रमा से न्यूनतम दूरी 25 किलोमीटर और अधिकतम दूरी 134 किलोमीटर रह गई है। डीबूस्टिंग में स्पेसक्राफ्ट की स्पीड को धीमा किया जाता है।
चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 मिशन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहे एम. अन्नादुराई के मुताबिक 23 अगस्त की शाम को चंद्रयान-3 के लैंडर को 25 किलोमीटर की ऊंचाई से चांद की सतह तक पहुंचने में 15 से 20 मिनट लगेंगे। यही समय सबसे क्रिटिकल होने वाला है। इसके बाद विक्रम लैंडर से रैंप के जरिए छह पहियों वाला प्रज्ञान रोवर बाहर आएगा और इसरो से कमांड मिलते ही चांद की सतह पर चलेगा। इस दौरान इसके पहिए चांद की मिट्टी पर भारत के राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तंभ और इसरो के लोगो की छाप छोड़ेंगे। इसरो चेयरमैन एस सोमनाथ ने 9 अगस्त को विक्रम की लैंडिंग को लेकर कहा था कि अगर सब कुछ फेल हो जाता है, अगर सभी सेंसर फेल हो जाते हैं, कुछ भी काम नहीं करता है, फिर भी यह (विक्रम) लैंडिंग करेगा, बशर्ते एल्गोरिदम ठीक से काम करें। हमने यह भी सुनिश्चित किया है कि अगर इस बार विक्रम के दो इंजन काम नहीं करेंगे, तब भी यह लैंडिंग में सक्षम होगा।【 Photo Courtesy Google】
★ब्यूरो रिपोर्ट स्पर्श देसाई√•Metro City Post•News Channel•#चन्द्रयान# लैंडिंग
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