*इंडिया स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन (ISRO) के बारे मे जाने और चंद्रयान-3 चांद पर कौन सा कार्य करेगा?*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई
*इंडिया स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन (ISRO) के बारे मे जाने और चंद्रयान-3 चांद पर कौन सा कार्य करेगा?*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई
【मुंबई/ रिपोर्ट स्पर्श देसाई】इंडिया स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन (ISRO) भारतीय सरकार का एक महत्वपूर्ण संगठन है। जो भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को संचालित करता है। यह साल 1969 में स्थापित किया गया था और विक्रम साराभाई इसके प्रथम अध्यक्ष थे। विक्रम साराभाई एक प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक और नेहरू के सबसे करीबी मित्रों में से एक थे। इसरो ने अपनी उपलब्धियों में कई उल्लेखनीय परियोजनाएं पूरी की हैं। कुछ महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स में शामिल हैं:
1. चंद्रयान मिशन: इसरो ने चंद्रयान-1, चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 मिशन को सफलतापूर्वक संपन्न किया है। ये मिशन चंद्र के प्राकृतिक रहस्यों को खोजने और इसके सतह पर वैज्ञानिक अध्ययन करने के लिए थे।
2. मंगलयान मिशन: इसरो ने मंगलयान-1 और मंगलयान-2 मिशन को आयोजित किया है । जो मंगल ग्रह की गतिविधियों का अध्ययन करने में मदद करते हैं।
3. प्रथम प्राकृतिक उपग्रह मिशन (PSLV): इसरो का पोलर सेलायट लॉन्च वेहिकल (PSLV) भारतीय और विदेशी उपग्रहों को अंतरिक्ष में प्रदान करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
इसके अलावा इसरो ने गगनयान मिशन आदित्य :1 मिशन, नाविक मिशन और अन्य धारा-चूक मिशन्स के विकास पर काम किया है।
दरअसल इसरो (ISRO) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन है। यह भारत सरकार द्वारा स्थापित किया गया है और भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को संचालित करने के लिए जिम्मेदार है। इसरो का मुख्यालय बंगलुरु,कर्नाटक में स्थित है। इसरो अंतरिक्ष उपग्रह,उपग्रह निर्माण,अंतरिक्ष विज्ञान,अंतरिक्ष उपयोग और अंतरिक्ष संचार के क्षेत्र में कार्य करता है। इसरो ने भारतीय उपग्रहों का निर्माण और लॉन्च करने के साथ-साथ चंद्रयान-1, चंद्रयान-3, मंगलयान-1 और गगनयान प्रोजेक्ट्स जैसे महत्वपूर्ण मिशनों को सफलतापूर्वक पूरा किया है।
जवाहरलाल नेहरू,विक्रम साराभाई और इसरों का संबंध को देखें तो जवाहरलाल नेहरू,विक्रम साराभाई और इसरो के बीच संबंध था। जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे और विक्रम साराभाई उनके आदर्शवादी विचारों के प्रशंसक थे। नेहरू ने स्वतंत्र भारत के विकास के लिए विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र में प्रगति को महत्व दिया। उन्होंने भारत में अंतरिक्ष कार्यक्रम की स्थापना के लिए भी प्रयास किए। इसरो को साल 1969 में विक्रम साराभाई के नेतृत्व में स्थापित किया गया था। इसरो ने नेहरू के सपने को पूरा करने के लिए भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
इसरो के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप इसरो की आधिकारिक वेबसाइट पर जा सकते हैं जहां आपको इसरो के सभी प्रोजेक्ट्स,मिशन्स और उपलब्धियों के विषय में विस्तृत जानकारी मिलेगी। फ़ोटोज़ के मामले में भी आप इसरो की वेबसाइट पर जाकर अद्यतन फ़ोटो गैलरी देख सकते हैं। इसरो का कार्यालय गुजरात में नहीं है।
इसरो (Indian Space Research Organisation) भारत का राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन है और इसका मुख्यालय बंगलोर,कर्नाटक, भारत में स्थित है। गुजरात में इसरो के कार्यालय की एक शाखा हो सकती है लेकिन उनका प्रमुखांश बंगलोर में ही होता है। इसरो भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का प्रबंधन करता है । जिसमें उच्चतम स्तर के अंतरिक्ष अनुसंधान,उपग्रह,उपयोगिता एवं दूरदर्शी छानबीन कार्य शामिल होते हैं।
इसरो अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी,उपग्रह स्थानांतरण,उर्वरकीय उपयोगिता,उपग्रह संचालन और अन्य अंतरिक्ष कार्यों के क्षेत्र में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए प्रसिद्ध है।भारत का अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान-3 मिशन की कड़ी में अगली चरण की तैयारी पूर्ण कर चांद पर पहुंच गया है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य चांद की सतह पर उतरने और विक्रम लैंडर (Vikram Lander) और प्रज्ञान रोवर (Pragyan Rover) को सक्रिय करने का था। इसके बाद ये दोनों उपकरण चांद की सतह पर विज्ञानी अध्ययन और अन्वेषण करेंगे।
प्रज्ञान रोवर एक स्वचालित वाहन था। वह अब चांद की सतह का अध्ययन करेगा। इसके पास विभिन्न वैज्ञानिक उपकरण होंगे जो चांद की मिट्टी का विश्लेषण करेंगे । सतह की तस्वीरें लेंगे और अन्य महत्वपूर्ण डेटा इकट्ठा करेंगे।
इन दोनों उपकरणों की ऊर्जा को सूर्य की किरणों से प्राप्त किया जाएगा । जो इन्हें चांद की रात में भी काम करने में सक्षम बनाएगी। यदि सब कुछ अनुसार होता है तो ये उपकरण भारत के अंतरिक्ष अन्वेषण को एक नया आयाम देंगे और हम चांद के बारे में बहुत कुछ नया जान सकेंगे।【Photos Courtesy Google】
★ब्यूरो रिपोर्ट स्पर्श देसाई √•Metro City Post•News Channel•# इसरो#चन्द्रयान-3#प्रज्ञान रोवर
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