*पर्यूषण पर्व: आत्म-शुद्धि और आध्यात्मिक विकास का जैन त्योहार हैं यह पर्यूषण पर्व*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई

*पर्यूषण पर्व: आत्म-शुद्धि और आध्यात्मिक विकास का जैन त्योहार हैं यह पर्यूषण पर्व*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई

【मुंबई/रिपोर्ट स्पर्श देसाई】जैन धर्म में पर्यूषण पर्व सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह आत्मनिरीक्षण,पश्चाताप और आध्यात्मिक उन्नति का समय है। यह आमतौर पर अगस्त या सितंबर के महीनों में आठ दिनों तक मनाया जाता है।

-*पर्व की उत्पत्ति*
-ऐसा माना जाता हैं कि यह पर्यूषण पर्व भगवान महावीर के समय से मनाया जा रहा है । जो 24वें और अंतिम तीर्थंकर थे। कहा जाता है कि उन्होंने अपने जीवन के अंतिम आठ वर्षों में पर्यूषण काल के दौरान अहिंसा, संयम और तपस्या का कठोर पालन किया था। इस अवधि के दौरान वह मुख्य रूप से ध्यान और आत्म-साक्षात्कार में लीन थे।

-*त्योहार के अनुष्ठान*
-पर्यूषण पर्व के दौरान जैन साधु-साध्वियां और श्रावक-श्राविकाएं निम्नलिखित अनुष्ठानों का पालन करते हैं:
-उपवास: भोजन का परित्याग करना आत्मशुद्धि का एक प्रमुख हिस्सा है। कई जैन पूर्ण उपवास (अनशन) करते हैं। जबकि अन्य आंशिक उपवास करते हैं।
 -प्रायश्चित: जैन अपने पापों के लिए क्षमा मांगते हैं और भविष्य में उन्हें दोहराने से बचने का संकल्प लेते हैं।
 -ध्यान: ध्यान मन को शांत करने और आत्मा से जुड़ने का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
 -प्रवचन: जैन धर्मगुरु आध्यात्मिक विकास और पर्यूषण पर्व के महत्व पर प्रवचन देते हैं।
 -मंदिर यात्रा: जैन तीर्थंकरों और देवताओं को समर्पित मंदिरों की यात्रा करते हैं।

-*त्योहार का आध्यात्मिक महत्व*
-पर्यूषण पर्व आध्यात्मिक विकास के लिए एक शक्तिशाली अवसर प्रदान करता है। यह अवधि आत्म-साक्षात्कार, करुणा और मोक्ष की प्राप्ति पर ध्यान केंद्रित करने का समय है। पर्यूषण पर्व के दौरान जैन निम्नलिखित लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
-अहिंसा का पालन:
- पर्यूषण सभी प्राणियों के प्रति अहिंसा का अभ्यास करने का समय है,जिसमें विचार,शब्द और कार्य शामिल हैं।
-संयम का विकास: 
-जैन इस अवधि के दौरान भौतिक सुखों को सीमित करते हैं और संयम का अभ्यास करते हैं।
-तपस्या:
- तपस्या आत्म-शुद्धि और आध्यात्मिक विकास का एक आवश्यक हिस्सा है।
 -क्षमा की खेती:
- पर्यूषण दूसरों को और खुद को क्षमा करने और शांति स्थापित करने का अवसर है।

-*समापन समारोह*
-पर्यूषण पर्व का समापन समारोह क्षमापना यानि कि सभी को क्षमादान करना के रूप में जाना जाता है। इस दिन जैन एक-दूसरे से गलतियों और आघात के लिए मिच्छामि दू:क्कडम् कहकर क्षमा मांगते हैं। माफी का यह कार्य आध्यात्मिक विकास की प्रक्रिया को पूरा करता है और नए साल की शुरुआत को चिह्नित करता है।

-*निष्कर्ष*
-पर्यूषण पर्व जैन धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। जो आत्म-शुद्धि,आध्यात्मिक विकास और अहिंसा के सिद्धांतों पर जोर देता है। यह अवधि आत्म-साक्षात्कार,जुनून को त्यागने और मोक्ष की ओर बढ़ने का समय है। पर्यूषण पर्व जैन समुदाय के लिए एक आध्यात्मिक नवीनीकरण और आध्यात्मिक विकास का प्रबल अवसर प्रदान करता है।【Photo: Google】

★ब्यूरो रिपोर्ट स्पर्श देसाई√•Metro City Post•News Channel•#पर्यूषण पर्व#जैन# क्षमापना पर्व

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