*कर्नाटक चुनाव: डीके शिवकुमार ने दिल्ली आने से इंकार किया, खडग़े का झुकाव सिद्धारमैया की ओर, शपथ ग्रहण दो दिन टला*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई
*कर्नाटक चुनाव: डीके शिवकुमार ने दिल्ली आने से इंकार किया,खडग़े का झुकाव सिद्धारमैया की ओर, शपथ ग्रहण दो दिन टला*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई
【मुंंबई/रिपोर्ट स्पर्श देसाई】कर्नाटक में कांग्रेस को भले ही पूर्ण बहुमत मिल गया हो लेकिन अब मुख्यमंत्री का चयन मुश्किल हो रहा है। 14 मई को बेंगलुरु में 135 विधायकों की राय जानने के लिए कांग्रेस के तीनों पर्यवेक्षक 15 मई को दिल्ली से पहुंच गए हैं। इस बीच हाईकमान ने मुख्यमंत्री पद के दोनों दावेदार पूर्व सीएम सिद्धारमैया और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डीके शिवकुमार को दिल्ली तलब किया है लेकिन डीके ने दिल्ली आने से साफ इंकार कर दिया है। डीके का कहना है कि मैंने अपना काम कर दिया। अब कांग्रेस हाईकमान को निर्णय लेना है। वैसे भी आज15 मई को मेरा जन्मदिन है और प्रदेशभर से लोग मिलने आ रहे हैं। मेरी पहली प्राथमिकता प्रदेश की जनता है। वहीं हाईकमान के बुलावे पर सिद्धारमैया भी दिल्ली पहुंच गए है। जानकार सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े का झुकाव सिद्धारमैया की ओर है। खडग़े भी कर्नाटक से भी संबंध रखते हैं। सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री बनाने के लिए खडग़े गांधी परिवार पर भी दबाव डाल रहे हैं। खडग़े की पक्षपात वाली भूमिका को देखते हुए डीके शिवकुमार खफा हैै। सूत्रों के अनुसार दिल्ली जाने के बाद डीके बैगलूरू में बैठ कर ही अपने समर्थक विधायकों को एकजुट कर रहे हैं। समर्थकों का कहना है कि डीके राजस्थान में सचिन पायलट वाली गलती नहीं करेंगे। साल 2018 में राजस्थान में पायलट ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष थे लेकिन तब हाईकमान ने पूर्व सीएम अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया था। पायलट की यही गलती रही कि तब उन्होंने गहलोत को मुख्यमंत्री स्वीकार कर लिया और खुद उपमुख्यमंत्री बन गए थे लेकिन थोड़े ही दिनों में पायलट को उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष पद गंवाना पड़ा और सचिन पायलट भीषण गर्मी में गहलोत सरकार के विरुद्ध जनसंघर्ष यात्रा निकाल रहे हैं। कर्नाटक में डीके के समर्थक राजस्थान जैसी स्थिति नहीं चाहते हैं। समर्थकों और खुद डीके को भी पता है कि यदि अभी मुख्यमंत्री का पद नहीं मिला तो फिर कभी नहीं मिलेगा। सिद्धारमैया मुख्यमंत्री बन गए तो फिर पूरे पांच साल जमे रहेंगे और डीके को पायलट की तरह सड़कों पर संघर्ष करना पड़ेगा। इससे अच्छा तो अभी किसी भी तरह मुख्यमंत्री का पद हासिल कर लिया जाएं। डीके सामने राजस्थान के साथ साथ महाराष्ट्र का भी उदाहरण है,जहां शिवसेना के 45 विधायकों के साथ एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बन बैठे हैं। डीके साथ तो 60 से भी ज्यादा विधायक बताए जा रहे हैं।
*शपथ ग्रहण टला*
संभावना थी कि 15 मई की शाम तक कर्नाटक में नए मुख्यमंत्री की शपथ हो जाएगी इसीलिए 14 मई को कांग्रेस विधायकों की बैठक भी बुला ली गई थी लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच जो लड़ाई देखने को मिली थी। उसकी वजह से शपथ दो तीन दिन टल गई है। इससे कांग्रेस हाईकमान खास कर गांधी परिवार भी परेशान है। डीके शिवकुमार अब और त्याग करने को तैयार नहीं है। गांधी परिवार से निकटता के चलते ही डीके के कारोबार पर ईडी और अन्य जांच एजेंसियों की कार्यवाही हुई थी। कर्नाटक चुनाव में भी डीके ने करोड़ों रुपए खर्च किया है। कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने में डीके ने पूरी ताकत लगा दी। डीके को उम्मीद थी कि हाईकमान उन्हें ही मुख्यमंत्री बनाएगा लेकिन अब डीके को हाईकमान की मंशा में खोट नजर आ रही है।
दौरान शिवकुमार ने एक निजी चैनल के पत्रकार से कहा कि मेरे पेट में संक्रमण है और मैं आज दिल्ली नहीं जाऊंगा । कांग्रेस के 135 विधायक हैं. मेरा कोई विधायक नहीं है । उन्होंने कहा कि मैंने फैसला पार्टी आलाकमान पर छोड़ दिया है । उन्होंने कहा कि मैं विद्रोह नहीं करता, ब्लैकमेल नहीं करता । मैं बच्चा नहीं हूं । मेरी अपनी दृष्टि है, वफादारी है । मैं किसी के झांसे में नहीं फंसने वाला । (कर्टसी : S.P.MITTAL के BLOGG से । कुछ बदलाव के साथ।)
【Photo Courtesy Google】
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