*मुंबई मराठी पत्रकार संघ में भारतीय अस्मिता पार्टी की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रमुख मांगें रखी गई*/रि.स्पर्श देसाई
*मुंबई मराठी पत्रकार संघ में भारतीय अस्मिता पार्टी की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रमुख मांगें रखी गई*/रि.स्पर्श देसाई
【मुंबई/रिपोर्ट स्पर्श देसाई】13 फरवरी 2024 को मुंबई पत्रकार भवन में भारतीय अस्मिता पार्टी की ओर से आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में रखी गई प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं: महाराष्ट्र राज्य में किसी भी जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। आदिवासियों की सुरक्षा के लिए सख्त कानून बनाकर आदिवासियों में आरक्षण की मांग करने वालों के खिलाफ अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत आपराधिक मामला दर्ज करने का प्रावधान किया जाना चाहिए। कानून और आदिवासियों पर लागू होने वाले सभी मानदंडों के अनुसार धनगर आदिवासी नहीं हैं फिर 20 नवंबर 2023 को धनगर भाइयों को आदिवासी जनजाति में शामिल करने संबंधी अध्ययन समूह को तत्काल रद्द किया जाए । साल 2017 में मा.जगदीश बहिरा के निर्णय के अनुसार प्रदेश में 12,500 आदिवासियों की भर्ती तुरंत की जाएं। बिना परीक्षा के वरिष्ठता के आधार पर। यदि विभाग आदिवासियों का कोटा दूसरे विभाग में भेजता है तो उस मंत्रालयिक अधिकारी के विरुद्ध अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत आपराधिक कार्रवाई की जानी चाहिए। राज्य में आदिवासी छात्रों को विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है उनकी समस्याओं का समाधान किया जाना चाहिए। महाराष्ट्र राज्य में जल और जंगल आदिवासियों का अधिकार है और राज्य में वन पट्टे आदिवासियों के नाम पर किये जाने चाहिए। राज्य में आदिवासियों की असली पहचान 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस है और इस दिन राज्यों में निचले सरकारी और सरकारी कार्यालयों स्कूलों और कॉलेजों में सरकारी छुट्टी पर सरकार को निर्णय लेना चाहिए। पेसा कानून का अधिकार है राज्य में आदिवासियों और पेसा भर्ती पर लगी रोक को हटाया जाएं और पेसा कानून के तहत भर्ती की जाए और इस भर्ती में आदिवासी छात्रों के अलावा अन्य किसी भी छात्र को अयोग्य ठहराया जाएं।
राज्य में आदिवासी बालक-बालिकाओं के छात्रावास पूर्व की भांति खोले जाएं। यदि राज्य में प्रत्यक्षदर्शी आदिवासियों पर वार्षिक बजट के अनुसार हर वर्ष राशि खर्च नहीं की जाती है या योजनाएं तालगाला के आदिवासियों तक नहीं पहुंचती हैं। स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों, आयुक्तों और परियोजना अधिकारियों को स्थायी रूप से निलंबित किया जाना चाहिए। समिति को तुरंत समाप्त किया जाना चाहिए। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) ने धनगर जाति और आदिवासी जनजाति का सर्वेक्षण करने के बाद राज्य सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी है और इसे घोषित कर जनता के सामने लाना चाहिए। जिन आदिवासी कलाकारों ने नृत्य,कला मंडली आदि के माध्यम से आदिवासी जनजातियों की अस्मिता,कला,संस्कृति, अस्मिता और अस्तित्व को बचाए रखा है उन सभी कलाकारों को मासिक पारिश्रमिक देना शुरू किया जाएं। प्रत्येक तालुका और जिले में आदिवासी लड़के और लड़कियों के लिए छात्रावासों की संख्या और छात्रों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। राज्य के सभी अनुबंध कर्मचारियों को सरकारी कर्मचारियों की तरह स्थायी लाभ दिया जाना चाहिए। महाराष्ट्र सरकार के आदेश के अनुसार मुख्य प्रशासनिक अधिकारी साल 2019 में सिकंदराबाद और मुंबई, वाशिम रेलवे स्टेशन को आदिवासियों को प्रदान किया जाना चाहिए। क्रांतिवीर महानायक का नाम सोमा डोमा अंध रखा जाना चाहिए। प्रारंभिक क्रांतिकारी राघोजी भांगरे की कर्मभूमि बड़गी माची,शेनित पेहरे,अकोले जिला,अहमदनगर, ग्राम पंचायत और वन विभाग द्वारा संयुक्त रूप से उपलब्ध भूमि पर देश के महान नायक प्रारंभिक क्रांतिकारी राघोजी का एक अंतरराष्ट्रीय मानक स्मारक होना चाहिए । जिन आदिवासियों ने अन्य धर्म अपना लिया है उन्हें आदिवासी समुदाय में वापस लाने के लिए सख्त कानून बनाया जाना चाहिए। बनाया जाना चाहिए। महाराष्ट्र में विशेष रूप से सह्याद्री सातपुड़ा क्षेत्र में जहां कम से कम 50% या अधिक आदिवासी आबादी है लेकिन वर्तमान में PESA में शामिल नहीं है । सभी आदिवासी बहुल गांवों को पेसा में शामिल किया जाए और पेसा कानून को शत-प्रतिशत लागू किया जाएं। आरक्षण का दूसरा बिंदु आदिवासी समाज था। साल 2019 से उनके पास आठ हैं। इस संबंध में आदिवासी समुदाय की ओर से सरकार को बार-बार ज्ञापन देने के बावजूद बिंदु नामाविली में कोई संशोधन नहीं किया गया है । सरकार शीघ्र लघु संवर्ग बिंदु सूची दिनांक 25 फरवरी 2022 को संशोधित कर जनजाति वर्ग को पूर्व बिंदु सूची के दूसरे स्थान पर स्थापित करे। तब तक पवित्र पोर्टल सहित सभी विभागों की भर्ती प्रक्रिया रोक दी जानी चाहिए ।【Photo by MCP】
★ब्यूरो रिपोर्ट स्पर्श देसाई√•Metro City Post•News Channel•#आदिवासी#भारतीय अस्मिता पार्टी#मांगे
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