*हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सुक्खू सरकार बनी रहेगी, विक्रमादित्य ने वापस लिया इस्तीफा*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई

*हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सुक्खू सरकार बनी रहेगी, विक्रमादित्य ने वापस लिया इस्तीफा*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई

【मुंबई/रिपोर्ट स्पर्श देसाई】हिमाचल प्रदेश में विक्रमादित्य सिंह ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है। उन्होंने सुक्खू सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था हालांकि सुक्खू ने उनका रिजाइन एक्सेप्ट नहीं करते हुए उन्हें अपना छोटा भाई बताया था। इसके बाद विक्रमादित्य ने पर्यवेक्षक डीके शिवकुमार और भूपेंद्र सिंह हुड्डा से मिलने के बाद कहा 'व्यक्ति से बड़ा संगठन होता है। सुक्खू सरकार पर कोई संकट नहीं है। दौरान यह खबर आई है कि जयराम ठाकुर समेत बीजेपी के 15 विधायक निष्कासित कर दिए हैं। विधानसभा में बुलाए गए मार्शल । हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा सीट पर मंगलवार 27 फरवरी को चुनाव हुआ। इसके परिणाम ने हर किसी को चौंका दिया। चुनाव में भाजपा प्रत्याशी हर्ष महाजन और कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी को बराबरी के वोट मिले। वहीं, कांग्रेस के छह विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की। बीजेपी ने चुनाव जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था। विधानसभा में बीजेपी के केवल 25 विधायक होने के बावजूद ऐसा उलटफेर हुआ कि अंत में कांग्रेस को हार माननी ही पड़ी,क्रोस वोटिंग के बाद बीजेपी उम्मीदवार के मतों की संख्या बढ़कर 34 हो गई थी। दोनों ही दलों के पास 34-34 का आंकड़ा हो गया और पर्ची डालने के बाद बीजेपी के उम्मीदवार हर्ष वर्धन की जीत हुई। विपक्ष के 15 भाजपा विधायकों में जयराम ठाकुर, विपिन सिंह परमार, रणधीर शर्मा, लोकेंद्र कुमार, विनोद कुमार, हंस राज, जनक राज, बलबीर वर्मा, त्रिलोक जम्वाल, सुरेंद्र शोरी, दीप राज, पूरन ठाकुर, इंदर सिंह गांधी, दिलीप ठाकुर और इंदर शामिल हैं। सिंह गांधी को आज विधानसभा अध्यक्ष के कक्ष में कथित तौर पर नारेबाजी और दुर्व्यवहार करने के आरोप में विधानसभा अध्यक्ष ने निष्कासित कर दिया है हालांकि राज्यसभा में बीजेपी को बंपर बढ़त मिली हैं । लोकसभा चुनाव से पहले राज्यसभा चुनाव की अग्निपरीक्षा में भाजपा ने इंडीया गठबंधन को बड़ा राजनीतिक झटका दे दिया है। अप्रैल में खाली होने वाली 56 राज्यसभा सीटों में से बीजेपी ने 30 सीटों पर जीत हासिल की है। इनमें से 20 निर्विरोध चुने गए हैं। वहीं वोटिंग से 10 सीटों पर जीत हासिल हुई। इसके साथ राज्यसभा में भगवा पार्टी के सांसदों की संख्या 97 हो जाएगी,वहीं, बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए के सांसदों की संख्या 117 हो जाएगी। सभी 56 सदस्यों के शपथ लेने के बाद 240 सदस्यीय सदन में बहुमत के आंकड़े 121 से केवल चार कम है। दलगत स्थिति की बात करें तो बीजपी 97 सांसदों के साथ राज्यसभा में सबसे बड़ी पार्टी बनी हुई है। इनमें से पांच नॉमिनेटह सदस्य शामिल है। 29 सांसदों के साथ कांग्रेस दूसरे नंबर पर है।

अब आगे, लोकसभा चुनाव में कौन से बड़े नेता को किस राज्य से उतारने जा रही भाजपा ? उसका पूरा प्लान भाजपा के पास तैयार हैं। उसकी पहली लिस्ट देखें। भाजपा की लोकसभा चुनाव 2024 के लिए पहली लिस्ट मार्च के पहले ही दिन आ सकती है। इस सूची में कई दिग्गज नेताओं का नाम रहेगा,जो अब तक राज्यसभा के मेंबर थे। पहली सूची में कम से कम एक तिहाई नाम होंगे। मार्च महीने की शुरुआत भाजपा लोकसभा उम्मीदवारों की पहली लिस्ट से कर सकती है। गुरुवार यानी 29 फरवरी को पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति की मीटिंग है, जिसमें खुद पीएम नरेंद्र मोदी मौजूद रहेंगे। इस मीटिंग में उन 130 सीटों पर सबसे पहले बात होगी, जहां आज तक भाजपा जीत नहीं सकी है। माना जा रहा है कि पहली लिस्ट में करीब 150 नाम होंगे और इनमें ये 130 सीटें भी शामिल होंगी। कुछ बड़े चेहरों को मुश्किल सीटों से उतारा जा सकता है ताकि पार्टी को फाइट में लाया जा सके। मीटिंग में अमित शाह, जेपी नड्डा, राजनाथ सिंह और बीएस येदियुरप्पा समेत कई सीनियर नेता भी रहेंगे। भाजपा सूत्रों का कहना है कि पहली लिस्ट में यूपी की रायबरेली जैसी कुछ कठिन सीटों के अलावा दक्षिण भारत पर जोर रहेगा।भाजपा का मानना हैकि यदि पहले ही उम्मीदवारों का ऐलान हो जाएगा तो कठिन सीटों पर भाजपा को 50 दिनों का टाइम मिलेगा। यही रणनीति पार्टी की एमपी में भी थी, जहां उसने काफी पहले ही 39 उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए थे। माना जा रहा है कि पहली लिस्ट में केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण और एस.जयशंकर जैसे नेताओं के भी नाम हो सकते हैं। इसके अलावा प्रल्हाद जोशी का नाम भी हो सकता है। इस मसले पर सवाल पूछा गया तो जोशी ने किसी का नाम नहीं लिया। उन्होंने कहा कि यह तो केंद्रीय चुनाव समिति का फैसला होगा। कहा जा रहा हैकि पीयूष गोयल भी उत्तर मुंबई सीट सेउतर सकते हैं,केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के बारे में चर्चा है कि वह ओडिशा की संबलपुर या ढेंकानाल सीट से लड़ सकते हैं। इसके अलावा भूपेंद्र यादव को हरियाणा की रेवाड़ी जैसी किसी सीट से उतारा जा सकता है। इसे हरियाणा की अहीरवाल बेल्ट माना जाता है। बता दें कि भाजपा ने इस बार राज्यसभा चुनाव में जेपी नड्डा, अश्विनी वैष्णव, एल. मुरुगन और सुधांशु त्रिवेदी जैसे नेताओं को ही दोबारा राज्यसभा भेजा है। इसके अलावा बाकी नेताओं को मौका नहीं मिला है। यही नहीं चर्चा यहां तक है कि जिन नेताओं को लगातार आसान सीटों सेजीत मिल रही है, उन्हें कहीं और से उतारा जाए। दौरान कांग्रेस के बागी विधायकों को व्हिप जारी, पार्टी की नीति के खिलाफ जाने पर होंगे निष्कासित । पार्टी के मुख्य सचेतक हर्षवर्धन चौहान की ओर से व्हिप जारी हुआ है। व्हिप के अनुसार बागी सदस्य अपनी व्यक्तिगत विचारधारा या दबाव के बजाय विधानसभा में कांग्रेस पार्टी के अनुसार मतदान करें, जिससे बजट बहुमत से पारित हो,राज्यसभा के चुनाव में हिमाचल प्रदेश की सुखविंद्र सिंह सुक्खू सरकार को झटका लगा है। कांग्रेस विधायकों की क्रॉस वोटिंग से भाजपा के हर्ष महाजन राज्यसभा सदस्य चुने गए हैं। राज्यसभा चुनाव नतीजे के बाद बजट पारित करते वक्त सुक्खू सरकार संकट में पड़ सकती है। इससे बचने के लिए कांग्रेस सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। कांग्रेस ने छह बागी विधायकों को पार्टी की ओर से व्हिप जारी किया है। व्हिप के अनुसार बागी सदस्य अपनी व्यक्तिगत विचारधारा या दबाव के बजाय विधानसभा में कांग्रेस पार्टी के अनुसार मतदान करें, जिससे बजट बहुमत से पारित हो। पार्टी की नीति के विरुद्ध मतदान करने पर उन्हें प्रभावी रूप से निष्कासित किया जा सकता है। पार्टी के मुख्य सचेतक हर्षवर्धन चौहान की ओर से व्हिप जारी हुआ है। दौरान सुक्खू सरकार के मंत्री विक्रमादित्य ने इस्तीफे के बाद गिनाईं वजह, बोले- भावनात्मक रूप से आहत हूं

विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि मुझे दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि मुझे एक मंत्री के तौर पर अपमानित करने का काम किया गया है, जिस तरह के संदेश विभाग में भेजे जाते हैं, हमें कमजोर करने की कोशिश की गई।हिमाचल प्रदेश में सुक्खू सरकार के लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने बुधवार को मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। 28 फरवरी बुधवार को राज्य विधानसभा परिसर में आयोजित प्रेसवार्ता में उन्होंने इसका एलान किया था। उन्होंने कहा कि जनता के प्रति मेरी जावाबदेही है। कहा कि एक साल के घटनाक्रम में विधायकों की अनदेखी हुई हैं। आवाज दबाई गई हैं। शिलान्यास मामले में मेरे विभाग के अफसरों को नोटिस दिए गए हैं। वह वीरभद्रसिंह के कदमों पर चल रहे हैं। प्रियंका गांधी, खरगे को दो दिन के घटनाक्रम की जानकारी दे दी है और अब हाईकमान को फैसला लेना है।विक्रमादित्य सिंह भावुक होकर रोने लगे थे। कहा कि वीरभद्र छह बार सीएम रहे, लेकिन रिज पर उनकी प्रतिमा के लिए जगह नहीं मिली। इससे आहत हूं। जनता से चर्चा के बाद आगामी फैसला लूंगा। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार में मंत्री रहते हुए भी उन्हें कई बार नीचा दिखाने की कोशिश की गई थी।【Photos Courtesy Google】

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