अहो आश्चर्यम् : जैनियों के पर्युषण पर्व के दौरान जहां किसी भी दुकान पर पूरे नौं दिनों तक मिठाई, नमकीन तथा अन्य कोई खाद्य सामग्री ना तो बनती हैंं और ना ही बिकती हैंं / रिपोर्ट : स्पर्श देसाई
मुंबई /रिपोर्ट : स्पर्श देसाई
राजस्थान के पाली शहर में जैन समाज का पर्युषण पर्व शुरूहोते ही, फैक्ट्रियों में थम गया हैं मशीनों का शोर, इस शहर में पर्युषण के नौं दिनों में किसी दुकान पर नहीं बनेगी मिठाई-नमकीन और ना ही उसे बैंंचा जायेगा । जैनसमाज के पर्युषण पर्व शुरू हो गए हैं।
इसी के साथ मिच्छामी दुक्कड़म यानीराजस्थान के पाली शहर में शहर में नौं दिनों तक शहर की मिठाई-नमकीन की दुकानें बंद हो गई हैं ।
साथ ही फैक्ट्रियों में भी मशीनों का शोर भी थम गया है।
देश में संभवत: अकेला पाली शहर ही ऐसा है, जहां जैन समाज के पर्युषण पर्व के दौरान किसी भी दुकान पर पूरे नौं दिनों तक मिठाई, नमकीन तथा अन्य कोई खाद्य सामग्री ना तो बनती हैंं और ना ही बिकती है।
यहां तक कि प्रमुख बाजारों में नियमित रूप से फल-फ्रूट सब्जी की दुकान चलाने वाले दुकानदार भी अपने व्यापार को बंद रखते हैं ।
ऐसा पाली में यह पहली बार नहीं हो रहा हैैंं ।
रियासतकाल से चली रही इस परंपरा का निर्वहन आज तक अनवरत रूप से जारी हैंं ।पर्युषण केे आखिरी दिन यानेे सांवत्सरिक मिच्छामि-दुक्कड़म करने के साथ ही शहर के सारे बाजार खुल जाएंगे।
शहर की कुल तीन लाख की आबादी में जैन परिवारों की आबादी महज तीस हजार ही हैंं ।
मिठाई तथा नमकीन तैयार करने वाली करीब तीनसौ से अधिक दुकानें हैंं। यह सभी दुकानदार अन्य / दूसरे धर्म से ताल्लूक रखनेवाले हैंं, लेकिन इनमें से कोई भी अपनी दुकान पर्युषण के दौरान नहीं खोलता।
इसमें भी पर्युषण पर्व को लेकर उसके झमहत्व को विशेष ध्यान रखा जाता हैंं, कि प्रसाद तैयार करने में गैस के चूल्हे का ही उपयोग किया जाता हैंं।
भट्टी का उपयोग पूरी तरह से वर्जित है।
इनमें से नौं दिनों में एक भी दूूकान नहीं खुलेगी।
देशभर में अपने स्वाद के लिए मशहूर गुलाब हलवा, बालूशाही, कलाकंद की बिक्री प्रतिदिन तीन हजार किलो से अधिक है, मगर पर्युषण के दौरान यह दुकानें भी पूरी तरह से बंद रहती हैं । छहसौ फैक्ट्रियां, ब हजार मजदूर, 9 दिन छुट्टी, वेतन एक का नहीं कटता
पर्युषणके दौरान शहर की 600 फैक्ट्रियों पर भी ताला लगा रहता है।
रोज 50 करोड़ के कपड़े का उत्पादन करने वाले फैक्ट्रियों में 20 हजार मजदूर काम करते हैं।
इन श्रमिकों की 9 दिन तक छुट्टी होती है।
खास बात यह है कि 9 दिन तक कोई काम नहीं करने के बावजूद किसी भी फैक्ट्री में इनके वेतन की कटौती नहीं होती।
शहरमें मिठाइयां नमकीन बनाने वाले दुकानदार जैन धर्म के नहीं है, उन पर दुकानें बंद रखने का कोई दबाव भी नहीं है, मगर पुरखों के जमाने से तय हुई व्यवस्था को वे आज भी निभा रहे हैं।
रियासतकालीन परंपरा का शहर में आज भी हो रहा पालन
जैनसमाज के पर्युषण पर्व पर शहर की गर्म तैयार होने वाले खाद्य पदार्थों की दुकानें बंद रखने का निर्णय रियासतकाल से चला रहा है। इसका पालन आज भी शहर के लगभग सभी दुकानदार कर रहे हैं।
रिपोर्ट : स्पर्श देसाई √●Metro City Post # mcp ● News Channel ● के लिए...
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