सामायिक आत्मा की कमाई-मुनि श्री कमलकुमार
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♥मुंबई/ रिपोर्ट स्पर्श देसाई♥
पर्युषण पर्व के नवानव्हिक कार्यक्रम के अंतर्गत तीसरे दिन सामायिक दिवस पर सूरत के सिटीलाइट स्थित तेरापंथ भवन के महाप्रज्ञ सभागार में शान्तिदूत आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती शिष्य उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि श्री कमलकुमार जी ने कहा कि सामायिक आत्मा की कमाई है। इसे लेते ही झगड़े-विवाद,पाप आदि को विराम लग जाता हैं। श्रावक के 12 व्रतों में एक महत्वपूर्ण व्रत सामायिक का भी हैं। दिगम्बर हो या श्वेताम्बर, मूर्तिपूजक हो या स्थानकवासी या तेरापंथी सभी सम्प्रदायों में सामायिक का महत्व हैं। यहां तक सनातन धर्म मे भी कहा गया है कि घड़ी-दो घड़ी धर्म कर लें। सामायिक अमूल्य है इसका कोई मोल नही है। पुणीया श्रावक से जब सामायिक बेचने का कहा गया था तब उसने दो टूक कहा था कि ये कैसे दे दूं यह तो आत्मा की चीज है। धन से सब कुछ खरीदा जा सकता है लेकिन ईमान नही खरीदा जा सकता। मुनि श्री ने कहा कि प्रत्येक श्रावक-श्राविका को पूज्यवर आचार्य श्री महाश्रमण जी द्वारा निर्देशित प्रत्येक शनिवार की सामायिक करनी चाहिए। सामायिक साधना का एक उत्कृष्ट अनुष्ठान है। सामायिक साधु-साध्वियों व गृहस्थों के लिए होती हैं। साधु-साध्वियों के लिए जिंदगी भर सामायिक होती हैं। ऐसे व्यक्ति धन्य होते हैं जो जीवन भर सामायिक लेते हैं और निभाते हैं। श्रावक एक मुहूर्त के लिए सामायिक करते हैं। और साधु-साध्वी विशेष निर्जरा के लिए श्रुत सामायिक करते हैं। मुनि श्री ने कहा कि सामायिक प्रतिदिन की जाए तो एक अच्छा उपक्रम है। सामायिक करने वालों को जागरूक रहने की प्रेरणा देते हुए मुनि श्री ने कहा कि सामायिक में मुख्य वस्तिका आवश्यक है। सामायिक बैठकों (आसन) पर करनी चाहिए। साथ मे परिमार्जनी (पुंजनी) भी रखनी चाहिए। रात को भी परिमार्जनी पास में रहनी चाहिए। सामायिक में व्यक्ति को आध्यात्म मय हो जाना चाहिए। मुनि श्री ने कहा कि समय बड़ा ही कीमती है बिता हुआ समय वापस नही आना हैं। पर्युषण पर्व के चौथे दिन शुक्रवार को वाणी संयम दिवस पर मुनि श्री का प्रवचन रहा था
रिपोर्ट स्पर्श देसाई ~ ♥ Metro City Post ● News Channel♥ के लिए
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