*भारत की इकलौती ट्रेन जिसमें नहीं लगता कोई टिकट, जानिए 73 साल से फ्री में कैसे यात्रा कर रहे लोग*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई
*भारत की इकलौती ट्रेन जिसमें नहीं लगता कोई टिकट, जानिए 73 साल से फ्री में कैसे यात्रा कर रहे लोग*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई
【मुंबई/ रिपोर्ट स्पर्श देसाई】भारतीय रेलवे एशिया का दूसरा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है। इस रेलवे नेटवर्क पर हर दिन रोजाना लंबी दूरी और उपनगरीय दोनों मार्गों पर 13,169 पैसेंजर ट्रेनें चलती हैं। पर क्या आप जानते हैं कि भारत में एक ऐसी ट्रेन भी है जिसमें यात्रा करने के दौरान पैसेंजर्स से कोई किराया नहीं लिया जाता है। यहां हम आपको इस ट्रेन के बारे में जानकारी देंगे ।
भारतीय रेलवे (Indian Railways) एशिया का दूसरा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क (Railway Network) है। इस रेलवे नेटवर्क पर हर दिन रोजाना लंबी दूरी और उपनगरीय दोनों मार्गों पर 13,169 पैसेंजर ट्रेनें चलती हैं। हर कोई जो भारतीय रेल से ट्रैवल करता है या कर चुका वो इस बात को जानता है कि इसमें यात्रा करने के लिए अलग-अलग कैटेगरीज के हिसाब से किराया लगता है। कई ट्रेनों में ज्यादा तो कई ट्रेनों में कम उनकी क्षमता के हिसाब से किराया लिया जाता है। पर क्या आप जानते हैं कि भारत में एक ऐसी ट्रेन भी है जिसमें यात्रा करने के दौरान पैसेंजर्स से कोई किराया नहीं लिया जाता है। अब आपके मन में इस बात से जुड़े कई सवाल आ रहे होंगे, आपको अपने हर सवाल का जवाब इस खबर में मिल जाएगा।
*कहां चलती है ट्रेन?*
आपको बता दें कि यह ट्रेन हिमाचल प्रदेश और पंजाब की सीमा पर चलती है। अगर आप भाखड़ा नांगल बांध देखने जाते हैं, तो आप इस ट्रेन यात्रा का मुफ्त में आनंद ले सकते हैं। दरअसल यह ट्रेन नांगल से भाखड़ा बांध तक चलती है। इस ट्रेन से 25 गांवों के लोग पिछले 73 सालों से मुफ्त में यात्रा कर रहे हैं। आप सोच रहे होंगे कि जहां एक तरफ देश की तमाम ट्रेनों के टिकट के दाम बढ़ाए जा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ लोग इस ट्रेन में फ्री में सफर क्यों करते हैं और रेलवे इसकी इजाजत कैसे देता है?
*क्यों है इसकी यात्रा फ्री?*
दरअसल यह ट्रेन भाखड़ा नांगल डैम की जानकारी देने के मकसद से चलाई जाती है। ताकि देश की आने वाली पीढ़ी को पता चल सके कि देश का सबसे बड़ा भाखड़ा बांध कैसे बना। उन्हें पता होना चाहिए कि इस बांध को बनाने में किन मुश्किलों का सामना करना पड़ा। भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड इस ट्रेन का संचालन करता है। इस रेलवे ट्रैक को बनाने के लिए पहाड़ों को काटकर एक दुर्गम रास्ता तैयार किया गया था।
*पिछले 73 सालों से फ्री यात्रा कर रहें लोग*
यह ट्रेन पिछले 73 साल से चल रही है। इसे पहली बार साल 1949 में चलाया गया था। इस ट्रेन से रोजाना 25 गांवों के 300 लोग सफर करते हैं। इस ट्रेन से सबसे ज्यादा फायदा छात्रों को हुआ है। ट्रेन नंगल से बांध तक चलती है और दिन में दो बार यात्रा करती है। ट्रेन की खास बात यह है कि इसके सभी डिब्बे लकड़ी के बने हैं। इसमें न तो हॉकर और न ही आपको टीटीई मिलेगा।
*डीजल इंजन पर चलती है ट्रेन*
यह ट्रेन डीजल इंजन से चलती है, जिसमें एक दिन में 50 लीटर डीजल की खपत होती है। इस ट्रेन का इंजन एक बार चालू होने के बाद भाखड़ा से वापस आने के बाद ही रुकता है। इस ट्रेन के जरिए बरमाला, ओलिंडा, नेहला भाखड़ा, हंडोला, स्वामीपुर, खेड़ा बाग, कलाकुंड, नंगल, सालंगडी समेत भाखड़ा के आसपास के गांवों से लोग यात्रा करते हैं।
*दो बार लगाती है चक्कर*
यह ट्रेन नांगल से सुबह 7:05 बजे चलती है और करीब 8:20 बजे यह ट्रेन भाखड़ा से वापस नांगल की ओर आती है। वहीं एक बार फिर दोपहर 3:05 बजे यह नंगल से चलती है और शाम को 4:20 बजे भाखड़ा बांध से वापस नांगल आ जाती है। ट्रेन को नांगल से भाखड़ा डैम तक पहुंचने में करीबन 40 मिनट लगते हैं। इस ट्रेन की शुरुआत के समय ये 10 डिब्बों के साथ चलती थी, लेकिन अब इसमें सिर्फ 3 कोच हैं। इस ट्रेन में एक कोच पर्यटकों के लिए और एक महिलाओं के लिए आरक्षित है ।【Photo Courtesy Google】
★ब्यूरो रिपोर्ट स्पर्श देसाई√•Metro City Post•News Channel•#ट्रेन#नि:शूल्क यात्रा
Comments