मिट्टी में मिल गया नोएडा का ट्विन टावर*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई

*मिट्टी में मिल गया नोएडा का ट्विन टावर*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई


【मुंबई/रिपोर्ट स्पर्श देसाई】नोएडा का ट्विन टावर एक बटन दबाकर ही ध्वस्त कर दिया गया था। देखते ही देखते मात्र 12 सेकेंड में कुतुबमिनार से सात-आठ मीटर ऊंची इमारत को मलबे के ढेर में बदल गई थी। इसी के साथ भ्रष्टाचार पर करारा प्रहार करते हुए सुपरटेक ट्विन टावर्स को इतिहास में दर्ज कर दिया था।

*ट्विन टाॅवर्स के ध्वस्त होने के बाद पूरे इलाके में छा गई थी धूल की गुबार*
नोएडा के सुपरटेक ट्विन टाॅवर्स इतिहास हो गए हैं। ठीक 28 अगस्त के दोपहर 2ः30 बजे दोनों इमारतों को 12 सेकेंड में जमींदोज कर दिया गया था। नोएडा के सुपरटेक ट्विन टाॅवर्स आज इतिहास हो गए हैं। ठीक दोपहर 2ः30 बजे 3700 किलोग्राम बारूद से इन दोनों इमारतों को 12 सेकेंड में जमींदोज कर दिया गया था।

*ट्विन टाॅवरों को ढहाए जाने से पहले चंद मिनटों की उलटी गिनती बाकी थी*
ट्विन टाॅवरों को ढहाए जाने से पहले चंद मिनटों की उलटी गिनती बाकी थी। मौके पर मौजूद अधिकारियों ने संवाददाताओं को बताया था कि सभी एहतियाती कदम उठाए गए हैं ।

*मजदूरों को ट्विन टाॅवर्स से बाहर निकलने के लिए कहा गया*
मजदूरों को ट्विन टाॅवरों से सुरक्षित स्थान पर जाने को कहा गया  था। टाॅवर परिसर में तब सिर्फ अधिकारी और पुलिस कर्मी ही मौजूद थे। ट्विन टाॅवरों में निकासी की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। कर्मचारियों को परिसर खाली करने और अपवर्जन क्षेत्र से बाहर जाने के लिए कहा गया था।

*हवा की दिशा में अचानक बदलाव आया था। आस-पास की इमारतों को और धूल मिल सकती थी*
हवा की दिशा में अचानक बदलाव आने से आस-पास की इमारतों को और धूल मिल सकती थी। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी प्रवीण कुमार ने बताया कि पिछले एक सप्ताह से हवा की दिशा पश्चिम की ओर थी, लेकिन परिवर्तन अचानक हुआ था।

*आस-पास के सोसाइटी के निवासियों के लिए रहने और भोजन की व्यवस्था की गई थी*
ट्विन टाॅवर्स के आसपास की सड़कों पर बैरिकेडिंग कर दी गई थी और लोगों की आवाजाही पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई थी। पार्श्वनाथ सोसायटी ने एमराॅल्ड कोर्ट के 200 लोगों के लिए अपने क्लब हाउस और गेस्ट हाउस में शाम तक रहने की व्यवस्था की थी। इसी तरह की व्यवस्था सिल्वर सिटी सोसाइटी में भी की गई थी। लोग पड़ोस की सोसाइटियों में जा रहे थे और शाम तक वहीं रुके रहे । विध्वंस के पूरा होने पर एडिफिस कंपनी के अधिकारी उन्हें एमराॅल्ड कोर्ट में लौटने का संकेत दिया था।

*नोएडा के डीएम सुहास एलवाई ट्विन टाॅवर्स साइट पर पहुंचे*
नोएडा के डीएम सुहास एलवाई ट्विन टाॅवर्स साइट पर पहुंचे थे। सुरक्षा व्यवस्था समेत सभी तैयारियां पूरी कर ली गई थी। आसपास के रास्ते बंद कर दिए गए थे। निगरानी की जा रही थी। 

*ट्विन टाॅवर के ध्वस्तीकरण से पहले सुपरटेक ने जारी किया बयान, जानें क्या कहा*
नोएडा सेक्टर 93ए में ट्विन टॉवर्स एपेक्स और सियान एमराॅल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट का एक हिस्सा था। ये दोनों इमारतें नोएडा प्राधिकरण द्वारा आवंटित भूमि पर निर्मित थी। दोनों टॉवरों सहित इस पूरे प्रोजेक्ट के निर्माण की मंजूर 2009 में नोएडा प्राधिकरण द्वारा दी गई थी । जो कि राज्य सरकार द्वारा घोषित तत्कालीन भवन निर्माण नियमों का सख्ती से पालन करता था । नोएडा प्राधिकरण को पूरा भुगतान करने के बाद ही इस प्रोजेक्ट का काम शुरू हुआ था । हालांकि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने तकनीकी आधार पर निर्माण को संतोषजनक नहीं पाया है और तदनुसार दो टॉवरों को ध्वस्त करने के आदेश जारी किए थे।  हम सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का सम्मान करते हैं और इसे लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमने एक विश्व प्रसिद्ध डिमोलिशन कंपनी एडिफिस इंजीनियरिंग को यह काम सौंपा है । जिनके पास ऊंची इमारतों को सुरक्षित रूप से गिराने में विशेषज्ञता है । हमने होमबॉयर्स को 70000 से अधिक यूनिट्स की डिलीवरी पूरी कर ली है और शेष होमबॉयर्स को निर्धारित समय सीमा के अनुसार डिलीवरी दें, इसके लिए हम प्रतिबद्ध हैं । हम अपने सभी होमबॉयर्स को आश्वस्त करते हैं कि माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश से हमारी अन्य चल रही परियोजनाएं  प्रभावित नहीं होंगी और उनका काम जारी रहेगा. हम तय समयसीमा के अंदर निर्माण पूरा करने और फ्लैटों आवंटन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं ।

*ट्विन टाॅवर गिराने से पहले कंपन मापने के लिए 15 मशीनें लगाई गई थी*
ट्विन टाॅवर गिराने से पहले कंपन मापने के लिए 15 मशीनें लगाई गई थी। ये इंस्टूमेंट ट्विन टाॅवर और उसके आसपास की सोसाइटी में लगाए गए थे। नोएडा के पुलिस कमिश्नर आलोक सिंह और जॉइंट कमिश्नर लव कुमार मौके पर पहुंच चुके थे। जॉइंट कमिश्नर लव कुमार ने कहा था कि पूरी तैयारी हो चुकी है । रेड जोन के अंदर किसी को आने की अनुमति नहीं दी गई थी । कमिश्नर आलोक सिंह ने कहा कि हम इस डिमोलिशन ऑपरेशन के साथ आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं ।

*क्यों गिराया गया ट्विन टावर*
बता दें कि जिसे हम ट्विन टावर्स कह रहे हैं, उनमें से एक टावर का नाम सियान है और दूसरे का एपेक्स । ट्विन टावर को गिराने के पीछे का कारण पर्यावरण और नियमों के उल्लंघन से जुड़ा है । एमराल्ड सोसायटी में जिस जगह पर टावर बनाया गया है, वो असल में पहले ग्रीन जोन था । इसमें घर खरीदने वालों को भी यही बताया गया कि ये ग्रीन जोन है । वर्तमान में इस सोसायटी में 660 परिवार रहते हैं । इन्हें धोखे में रखकर टावर बनाने का काम शुरू किया गया था।  ये सारी बातें इस ओर इशारा करती हैं कि नियमों को ठेंगा दिखाते हुए, ग्राहकों को धोखा देकर ये बिल्डिंग बनाई गई है ।

*सोसायटी के लोगों ने ठानी थी लड़ाई*
जब टावर बनना शुरू हुआ तब आसपास की सोसायटी में रहने वाले अन्य परिवारों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। था। नतीजन साल 2009 में सोसायटी के लोगों ने बिल्डर खिलाफ लड़ाई लड़ने का फैसला लिया था। साल 2010 में रेजिडेंट वेलफेयर सोसायटी की मदद से इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्विन टावर निर्माण के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था। साल 2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टावर को गिराने का आदेश दिया था। जिसके बाद सुपरटेक (निर्माण कंपनी) ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थीं। यहां भी फैसला बिल्डर के खिलाफ आया और शीर्ष अदालत ने ट्विन टावर को गिराने का आदेश दिया था।【Photos Courtesy Google】

★ब्यूरो रिपोर्ट स्पर्श देसाई√•Metro City Post•News Channel•#ट्विन टावर

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