*व्हॉट्सऐप कॉल करने के लिए भी देने होंगे पैसे, सरकार ने जारी किया मसौदा- ये है पूरा प्लान*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई

*व्हॉट्सऐप कॉल करने के लिए भी देने होंगे पैसे, सरकार ने जारी किया मसौदा- ये है पूरा प्लान*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई



【मुंबई/रिपोर्ट स्पर्श देसाई】क्या आप भी दोस्तों से बात करने के लिए ज्यादातर व्हॉट्सऐप कॉलिंगकॉल करते हैं?अगर हां तो इस खबर को ध्यान से पढ़ें, दरअसल जल्द ही देश में ऐसा सिस्टम लागू होने वाला है । जिसके तहत व्हॉट्सऐप कॉल करने पर आपको पैसा देना होगा । मोदी सरकार ने लोगों से राय जानने के लिए दूरसंचार बिल का मसौदा जारी किया है । बिल में प्रवधान है कि व्हॉट्सऐप,फेसबुक के ज़रिए कॉल या मैसेज भेजने की सुविधा को टेलीकॉम सेवा माना जाएगा । इसके लिए इन कंपनियों को लाइसेंस लेना पड़ेगा क्यों पड़ी इसकी जरूरत देश की टेलीकॉम कंपनियां लगातार इस बा त की शिकायत करती रही हैं कि व्हॉट्सऐप और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म उपभोक्ताओं को मैसेज या कॉल करने की सेवा देते हैं जिससे उन्हें नुकसान होता है । इन टेलीकॉम कंपनियां का कहना रहा है कि उनकी सेवाएं टेलीकॉम सेवा के तहत आती है । इस मुद्दे पर लोगों की राय जानने के लिए बिल के मसौदे को सार्वजनिक किया गया है । 20 अक्टूबर तक इस बिल के प्रावधानों को लेकर लोग अपनी राय दे सकेंगे । लोगों को राय मिलने के बाद बिल को संसद में पेश किया जाएगा । बिल में साइबर फ्रॉड को रोकने के लिए भी प्रवधान किए गए हैं । साइबर फ्रॉड रोकने के लिए भी बिल दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि साइबर फ्रॉड को रोकने के लिए प्रस्तावित बिल में ऐसे अपराधों की सज़ा बढ़ाने का प्रावधान किया गया है । जामताड़ा,अलवर और नूह जैसे देश के अलग-अलग इलाके ऐसे फ्रॉड के लिए बदनाम हो चुके हैं । प्रस्तावित बिल में एक अन्य प्रवधान ये किया गया है कि कॉल करने वाले किसी भी व्यक्ति की पहचान अब कॉल रिसीव करने वाला व्यक्ति कर सकेगा। 

स्मार्टफोन डाल रहा माता-पिता पर भी असर, 4 घंटे मोबाइल चलाने वाले पेरेंट्स चिड़चिड़े हो जाते हैं, बच्चों को भी ज्यादा डांटते हैं 

मोबाइल फोन और दूसरे डिजिटल डिवाइस का दिन में 4 घंटे इस्तेमाल करने वाले पेरेंट्स का अपने बच्चों के प्रति व्यवहार बदल जाता है. कनाडा की वॉटरलू यूनिवर्सिटी के रिसर्च स्कॉलर्स ने 5 से 18 साल के बीच 2 बच्चों वाले 549 माता-पिता का सर्वे किया ।

इस रिसर्च में पाया गया है कि जो अभिभावक खाली समय में या आराम करने के दौरान फोन या दूसरे डिजिटल माध्यमों के संपर्क में रहते हैं वो अपने बच्चों के प्रति चिड़चिड़े हो जाते हैं । बात-बेबात अपने बच्चों को झिड़कते रहते हैं और ज्यादा चिल्लाते हैं । मोबाइल फोन और अन्य डिजिटल डिवाइस का इस्तेमाल करने वाले पेरेंट्स में 75% को डिप्रेशन भी था ।

रिसर्च कोरोना काल के दौरान हुई थी । इसमें पाया गया कि स्क्रीन टाइम और डिजिटल माध्यमों के यूज में काफी तेजी आई है. औसतन, पेरेंट्स दिन में 3 से चार घंटे डिजिटल मीडिया का उपयोग करते हैं. वॉटरलू यूनिवर्सिटी में क्लिनिकल साइकोलॉजी के स्कॉलर और इस रिसर्च की मुख्य लेखिका जैस्मीन झांग ने कहा कि परिवार के तौर पर अभिभावक और बच्चे दोनों का व्यवहार मायने रखता है, ऐसे में हमने पाया कि अभिभावकों के व्यवहार पर भी नकारात्मक असर पड़ता है.

डिजिटल डिवाइस के बढ़े स्क्रीन टाइम व व्यवहार में आई तल्खी के बीच में कनेक्शन पाया गया. रिसर्च टीम ने यह भी पाया जब परिवार के लोगों के बीच में बातचीत कम हो गई तो अभिभावकों में पेरेंटिंग से संबंधित खराब आदतें उभरने लगीं. रिसर्च लीडर प्रो. जैस्मीन झांग ने बताया कि जो पेरेंट्स सोशल मीडिया पर दिन भर में एक या दो घंटे बिताते हैं, उनका व्यवहार बच्चों के प्रति ज्यादा सकारात्मक होता है. उन्होंने कहा कि माता-पिता को सामाजिक रूप से ज्यादा एक्टिव रहना चाहिए।【Photo Courtesy Google】

★ब्यूरो रिपोर्ट स्पर्श देसाई√•Metro City Post•News Channel•#वाट्सएप

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