*शिवसेना और एनसीपी इन दोनों पार्टियों के बीच फूट के बाद पहली बार संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया, उन दोनों पार्टियों की कैसी रहेगी चाल?*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई

*शिवसेना और एनसीपी इन दोनों पार्टियों के बीच फूट के बाद पहली बार संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया, उन दोनों पार्टियों की कैसी रहेगी चाल?*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई
【मुंंबई/रिपोर्ट स्पर्श देसाई】शिवसेना और एनसीपी इन दोनों पार्टियों के बीच फूट के बाद पहली बार संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया हैं,उन दोनों पार्टियों की कैसी होगी चाल ? दौरान विधायकों के बाद अब सांसदों की अयोग्यता का मामला भी उठ सकता है । इन दोनों पार्टियों के बीच फूट के बाद पहली बार संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा । इसके लिए हॉल में वोटिंग होती है । अविश्वास प्रस्ताव पेश करते समय व्हिप भी हटा दिया जाता है तो अब कहा जा रहा है कि दिल्ली में एनसीपी और शिवसेना की परीक्षा होगी । राज्य की राजनीति में कई विकास हुए हैं । इसमें कई मुद्दों पर भी चर्चा हुई । इतने लंबे समय तक विधायकों की अयोग्यता का मुद्दा वास्तविक चर्चा का विषय रहा लेकिन सांसदों के मामले में एक साल बाद भी यह मुद्दा नहीं उठाया गया इसलिए कांग्रेस द्वारा लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दाखिल करने के तुरंत बाद सदन में इस पर चर्चा होने की उम्मीद है । अविश्वास प्रस्ताव पर भी मतदान होता है । उस चुनाव के समय व्हिप का उल्लंघन दसवीं अनुसूची के अनुसार अयोग्यता का आधार है।
 
क्या है NCP की स्थिति?
 लेकिन बेशक शिवसेना और एनसीपी की स्थिति अलग है । लोकसभा में शिव सेना शिंदे गुट के 13 सांसद हैं जबकि ठाकरे गुट के 6 सांसद हैं । पिछली संयुक्त शिवसेना में विनायक राऊत ग्रुप लीडर थे।  वहीं शिंदे गुट ने राहुल शेवाले को ग्रुप लीडर नियुक्त किया है । लोकसभा अध्यक्ष ने शेवाले के समूह नेता पद और भावना गवली की सचेतक के रूप में नियुक्ति को भी मंजूरी दे दी है। लोकसभा में एनसीपी के 5 सांसद हैं । इनमें अजित पवार गुट में अकेले सुनील तटकरे हैं । बाकी 4 सांसद शरद पवार गुट के साथ है । ग्रुप लीडर सुप्रिया सुले हैं लेकिन नए समूह के नेता के रूप में एनसीपी की ओर से लोकसभा अध्यक्ष के सामने कोई दावा नहीं किया गया अत: ऐसी स्थिति में लोकसभा अध्यक्ष को यह निर्णय लेना होगा कि कौन सा व्हिप अधिकृत होगा।

क्या है शिवसेना की स्थिति?
 शिवसेना के मामले में कानूनी लड़ाई का एक चरण ख़त्म हो चुका है । लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में हुई, जिसके बाद अयोग्यता का मामला फिर राष्ट्रपति तक पहुंच गया लेकिन एनसीपी में ये लड़ाई अभी भी धीमी गति से चल रही है । एनसीपी ग्रुप के व्हिप नेता को लेकर राष्ट्रपति ने न तो विधानसभा और न ही लोकसभा में कोई फैसला लिया हैं इसलिए कहा जा रहा है कि कम से कम लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव की नौबत आ सकती है साल 2014 के बाद से मोदी सरकार के खिलाफ यह दूसरा अविश्वास प्रस्ताव है। सरकार के पास पर्याप्त ताकत है इसलिए सरकार की स्थिरता को कोई खतरा नहीं है लेकिन इसमें कहा गया है कि शिवसेना और एनसीपी के सांसदों का परीक्षण किया जाएगा । सदन में व्हिप का उल्लंघन दलबदल अधिनियम के तहत अयोग्यता का मूल आधार है इसलिए यह देखना अहम होगा कि शिवसेना और एनसीपी के सांसदों के बीच व्हिप किसका चलेगा, अगर वे इसका पालन नहीं करते हैं तो उनपर कार्रवाई होगी।  लोकसभा चुनाव में एक साल से भी कम समय बचा है । ऐसे में फिलहाल ये सवाल उठ रहा है कि क्या अयोग्यता के मुद्दे पर संसद में ये लड़ाई शुरू होगी । मूल रूप से कहा जा रहा है कि यह इस बात की परीक्षा होगी कि क्या एनसीपी के सचेतक शरद पवार मोदी सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाएंगे ।【Photo Courtesy Google】

★ब्यूरो रिपोर्ट स्पर्श देसाई√•Metro City Post•News Channel•#शिवसेना#एनसीपी#संसद

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