*नवरात्री : देवी उपासना का पवित्र उत्सव व प्राचीन और पवित्र हिंदू त्योहार*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई
*नवरात्री : देवी उपासना का पवित्र उत्सव व प्राचीन और पवित्र हिंदू त्योहार*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई
【मुंबई/रिपोर्ट स्पर्श देसाई】नवरात्र भारतीय उपमहाद्वीप में मनाया जाने वाला एक प्राचीन और पवित्र हिंदू त्योहार है। यह नौ रातों और दस दिनों तक चलने वाला एक अनुष्ठान है। जिसमें देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। नवरात्र का अर्थ होता है "नौ रातें", और यह त्योहार देवी के नौ रूपों के सम्मान में मनाया जाता है।
नवरात्र के नौ रूप; नवरात्र के नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है:
1. शैलपुत्री,2. ब्रह्मचारिणी,3. चंद्रघंटा,4. कुष्मांडा,5. स्कंदमाता,
6. कात्यायनी,7. कालरात्रि,8. महागौरी और 9. सिद्धिदात्री
उत्सव की परंपराएं- नवरात्र के उत्सव में कई परंपराएं शामिल होती हैं:
कलश स्थापना: उत्सव की शुरुआत कलश स्थापना से होती है, जो एक मिट्टी के बर्तन में पवित्र जल, आम के पत्ते और नारियल स्थापित करना है।
अखंड ज्योति: पूरे नौ दिनों तक एक दीया जलाकर रखा जाता है, जिसे अखंड ज्योति कहा जाता है।
पूजा: देवी की प्रतिदिन विधि-विधान से पूजा की जाती है, जिसमें मंत्रों का जाप,फूलों की पंखुड़ियां चढ़ाना और आरती करना शामिल है।
उपवास: कई भक्त उपवास करते हैं, केवल फलों और सब्जियों का सेवन करते हैं।
गरबा और डांडिया: गुजरात और पश्चिमी भारत में, नवरात्रि एक भव्य उत्सव है जिसमें गरबा और डांडिया नृत्य होते हैं।
आध्यात्मिक महत्व:नवरात्र केवल एक सांस्कृतिक उत्सव ही नहीं, बल्कि एक गहरा आध्यात्मिक महत्व भी रखता है। यह अंधकार पर प्रकाश की जीत, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। देवी की पूजा भक्तों में शक्ति, साहस और दिव्यता को जगाती है।
सांस्कृतिक विविधता: नवरात्र भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अलग अलग तरीकों से मनाया जाता है। गुजरात और महाराष्ट्र में, यह गरबा और डांडिया नृत्यों के लिए जाना जाता है। पश्चिम बंगाल में, यह दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है। जिसमें भव्य पंडाल और देवी की मूर्तियों का विसर्जन होता है।
निष्कर्ष: नवरात्र भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग है। जो सदियों से मनाया जा रहा है। यह देवी उपासना का एक पवित्र त्योहार है । जिसमें आध्यात्मिक महत्व और सांस्कृतिक विविधता दोनों हैं। नवरात्र न केवल एक उत्सव है बल्कि अपने भीतर के अंधकार को दूर करने और दिव्य प्रकाश के मार्ग पर चलने का एक अवसर भी है।
नवरात्री के लिए क्या कहता है विकिपीडिया? :
सालाना हिंदू त्यौहार जिसमें नौ दिनों तक देवी की पूजा की जाती है । नवरात्र अथवा नवरात्रि,हिंदुओं का एक प्रमुख पर्व है। नवरात्र एक संस्कृत शब्द है । जिसका अर्थ होता है 'नौ रातों का समय'। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान शक्ति/देवी की पूजा की जाती है। साल में चार बार नवरात्रि आते हैं। माघ,चैत्र,आषाढ़ और अश्विन। इनमें से माघ और आषाढ़ में आने वाले नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। यह चंद्र-आधारित हिंदू महीनों में चैत्र,माघ,आषाढ़ और अश्विन (क्वार) प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है। चैत्र मास में वासंतिक अथवा वासंतीय और दूसरा अश्विन मास में शारदीय नवरात्र, माघ और आषाढ़ मास की नवरात्रि गुप्त नवरात्रि होती हैं। शारदीय नवरात्र का समापन दशहरा को दुर्गा प्रतिमा के विसर्जन के रूप में होता है। गौर से देखे तो नवरात्रि में तीन तीन माह का अंतर होता है । हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से के सबसे पहले चैत्र मास में 9 दिन चैत्र नवरात्रि के होते है । उसके बाद तीन माह बाद आषाढ़ में गुप्त नवरात्रे आते है । उसके फिर तीन माह बाद शारदीय नवरात्रे और फिर अंत में गुप्त नवरात्रे माघ माह में आते है ।
नवरात्र अन्य नाम हैं नवरात्रि अनुयायी हैं हिन्दू,भारतीय, भारतीय प्रवासी प्रकार Hindu । आरम्भ चैत्र माह, माघ माह, आषाढ़ माह और अश्विन माहतिथिप्रतिपदा से नवमी तिथि तक ।
नवरात्र भारत के विभिन्न भागों में अलग ढंग से मनाया जाता है।गुजरात में इस त्योहार को बड़े पैमाने से मनाया जाता है। गुजरात में नवरात्र समारोह डांडिया और गरबा खेल कर मनाया जाता है । यह पूरी रात भर चलता है। देवी के सम्मान में भक्ति प्रदर्शन के रूप में गरबा, 'आरती' से पहले किया जाता है और उसके बाद डांडिया व गरबा रास समारोह । पश्चिम बंगाल के राज्य में बंगालियों के मुख्य त्यौहारो में दुर्गा पूजा बंगाली कैलेंडर में, सबसे अलंकृत रूप में उभरा है।
महत्व:
नवरात्र उत्सव देवी अंबा (विद्युत) का प्रतिनिधित्व है। वसंत की शुरुआत और शरद ऋतु की शुरुआत जलवायु और सूरज के प्रभावों का महत्वपूर्ण संगम माना जाता है। ये दो समय मे मां दुर्गा की पूजा के लिए पवित्र अवसर माना जाता है। त्योहार की तिथियाँ चंद्र कैलेंडर के अनुसार निर्धारित होती हैं। नवरात्र पर्व, माँ-दुर्गा की अवधारणा भक्ति और परमात्मा की शक्ति (उदात्त, परम, परम रचनात्मक ऊर्जा) की पूजा का सबसे शुभ और अनोखा अवधि माना जाता है। यह पूजा वैदिक युग से पहले, प्रागैतिहासिक काल से चला आ रहा है। ऋषि के वैदिक युग के बाद से नवरात्र के दौरान की भक्ति प्रथाओं में से मुख्य रूप गायत्री साधना का हैं। नवरात्र में देवी के शक्तिपीठ और सिद्धपीठों पर भारी मेले लगते हैं । माता के सभी शक्तिपीठों का महत्व अलग-अलग हैं लेकिन माता का स्वरूप एक ही है। कहीं पर जम्मू कटरा के पास वैष्णो देवी बन जाती है तो कहीं पर चामुंडा रूप में पूजी जाती है। बिलासपुर हिमाचल प्रदेश मे नैना देवी नाम से माता के मेले लगते हैं तो वहीं सहारनपुर में शाकुंभरी देवी के नाम से माता का भारी मेला लगता है।
धार्मिक कार्य:
चौमासे में जो कार्य स्थगित किए गए होते हैं । उनके आरंभ के लिए साधन इसी दिन से जुटाए जाते हैं। क्षत्रियों का यह बहुत बड़ा पर्व है। इस दिन ब्राह्मण सरस्वती-पूजन तथा क्षत्रिय शस्त्र-पूजन आरंभ करते हैं। विजयादशमी या दशहरा एक राष्ट्रीय पर्व है। अर्थात आश्विन शुक्ल दशमी को सायंकाल तारा उदय होने के समय 'विजयकाल' रहता है। यह सभी कार्यों को सिद्ध करता है। आश्विन शुक्ल दशमी पूर्वविद्धा निषिद्ध,परविद्धा शुद्ध और श्रवण नक्षत्रयुक्त सूर्योदयव्यापिनी सर्वश्रेष्ठ होती है। अपराह्न काल, श्रवण नक्षत्र तथा दशमी का प्रारंभ विजय यात्रा का मुहूर्त माना गया है। दुर्गा-विसर्जन,अपराजिता पूजन, विजय-प्रयाग, शमी पूजन तथा नवरात्र-पारण इस पर्व के महान कर्म हैं। इस दिन संध्या के समय नीलकंठ पक्षी का दर्शन शुभ माना जाता है। क्षत्रिय/राजपूतों इस दिन प्रातः स्नानादि नित्य कर्म से निवृत्त होकर संकल्प मंत्र लेते हैं। इसके पश्चात देवताओं, गुरुजन, अस्त्र-शस्त्र,अश्व आदि के यथाविधि पूजन की परंपरा है। नवरात्र के दौरान कुछ भक्त उपवास और प्रार्थना, स्वास्थ्य और समृद्धि के संरक्षण के लिए रखते हैं। नवरात्री के नौवें दिन जिसे नवमी कहते हैं, इस दिन 9 कन्याओं को घर में आमंत्रित कर उनकी पूजा की जाती है। कुछ लोग आठवें दिन यह पूजा करते हैं । जिसे अष्टमी कहा जाता है। भक्त इस व्रत के समय मांस,शराब,अनाज,गेहूं और प्याज नहीं खाते। नवरात्र और मौसमी परिवर्तन के काल के दौरान अनाज आम तौर पर परहेज कर दिया जाते है क्योंकि मानते है कि अनाज नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता हैं। नवरात्र आत्मनिरीक्षण और शुद्धि का अवधि है और पारंपरिक रूप से नए उद्यम शुरू करने के लिए एक शुभ और धार्मिक समय है।
नवरात्रि का भारत में बहुत महत्व है और इसे पूरे देश में अलग अलग तरीकों से मनाया जाता है। यह हिंदुओं का एक प्रमुख पर्व है। जो शक्ति और देवी की पूजा के लिए मनाया जाता है। गुजरात में इसे डांडिया और गरबा खेलकर मनाया जाता है । जबकि पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है। नवरात्रि के दौरान भक्त उपवास और प्रार्थना करते हैं और 9 कन्याओं को घर में आमंत्रित कर उनकी पूजा की जाती है। यह त्योहार आत्म निरीक्षण और शुद्धि का समय है और पारंपरिक रूप से नए उद्यम शुरू करने के लिए एक शुभ और धार्मिक समय है ।
★ब्यूरो रिपोर्ट स्पर्श देसाई√•Metro City Post •News Channel•#नवरात्रि#शक़्ति आराधना#भारत#त्यौहार
Comments