*जैन धर्म का पर्यूषण पर्व और मिच्छामि दू:क्कड़म का महत्व*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई

*जैन धर्म का पर्यूषण पर्व और मिच्छामि दू:क्कड़म का महत्व*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई


【मुंबई/रिपोर्ट स्पर्श देसाई】जैन धर्म में पर्यूषण महापर्व वर्ष का सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह आध्यात्मिक शुद्धि, आत्म-संयम और दयालुता का समय है। आठ दिनों तक चलने वाले इस पर्व को जैन समुदाय के सभी फिरकों के श्रावक श्राविकाओं द्वारा दुनिया भर में मनाया जाता है।

पर्यूषण पर्व आत्मनिरीक्षण और आध्यात्मिक विकास का समय है। इस दौरान जैन अपने कर्मों पर विचार करते हैं। अपनी गलतियों के लिए पश्चाताप करते हैं और दूसरों के प्रति क्षमा और करुणा का अभ्यास करते हैं। वे उपवास करते हैं। ध्यान करते हैं और आध्यात्मिक ग्रंथों का अध्ययन करते हैं।


पर्यूषण पर्व के अंतिम दिन को "क्षमावाणी" के रूप में जाना जाता है। इस दिन जैन एक-दूसरे से और दुनिया भर के सभी जीवों से क्षमा मांगते हैं। वे कहते हैं "मिच्छामि दू:क्कड़म," । जिसका अर्थ है "यदि मैंने आपको किसी भी तरह से जानबूझकर या अनजाने में ठेस पहुंचाई है, तो मैं सबसे विनम्रतापूर्वक क्षमा मांगता हूं।"

मिच्छामि दू:क्कड़म जैन धर्म का एक मूल सिद्धांत है। जिसे पर्यूषण के आखरी दिन सांवत्सरिक प्रतिक्रमण करने के बाद पूरी दूनिया के समस्त जिवों विराधना के लिए क्षमा मांगी जाती हैं। जो क्षमा और करुणा के महत्व पर जोर देता है। यह समझाता है कि हम सभी गलतियाँ करते हैं और क्षमा पाने और दूसरों को क्षमा करने के पात्र हैं। यह सिद्धांत जैन समुदाय में एकता और सद्भाव को बढ़ावा देता है।

मिच्छामि दू:क्कड़म का अभ्यास केवल शब्दों तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह कार्यों में भी परिलक्षित होता है। क्षमा मांगने के अलावा जैन खुद को हिंसा,चोरी और असत्य जैसे नकारात्मक कार्यों से दूर करने का प्रयास करते हैं। वे दयालुता, सहानुभूति और दूसरों की मदद करने के कार्य करते हैं।

पर्यूषण पर्व जैन धर्म की मूल मान्यताओं और सिद्धांतों को मजबूत करता है। यह जैन समुदाय को एक साथ लाता है। आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देता है और दूसरों के प्रति करुणा और क्षमा का संदेश फैलाता है।

मिच्छामि दू:क्कड़म की भावना न केवल जैन समुदाय के लिए बल्कि व्यापक दुनिया के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह हमें हमारी गलतियों को स्वीकार करने दूसरों को क्षमा करने और एक अधिक करुणामय और सामंजस्यपूर्ण समाज बनाने के लिए प्रेरित करता है।

पर्यूषण पर्व और मिच्छामि दू:क्कड़म जैन धर्म की समृद्ध विरासत का प्रमाण है। यह त्यौहार आध्यात्मिक विकास,क्षमा और करुणा के सिद्धांतों का प्रतीक है जो सभी मानव जाति के लिए प्रासंगिक हैं।【  Photo :Google】

★ब्यूरो रिपोर्ट स्पर्श देसाई√•Metro City Post•News Channel•जैन#पर्यूषण#मिच्छामि दू:क्कडम्

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