*नवरात्रि में दुर्गा पूजा और उपासना का असीम महत्व हैं*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई

*नवरात्रि में दुर्गा पूजा और उपासना का असीम महत्व हैं*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई

【मुंबई/रिपोर्ट स्पर्श देसाई】भारतीय उपमहाद्वीप में नवरात्रि एक अत्यधिक महत्वपूर्ण और श्रद्धा से मनाया जाने वाला त्यौहार है। नौ रातों और दस दिनों तक फैला यह पर्व,देवी दुर्गा की पूजा और उपासना के लिए समर्पित होता है। इस दौरान भक्तगण देवी की भक्ति में लीन होकर उनके दिव्य गुणों और समाज रक्षक के रूप में उनकी भूमिका का स्मरण करते हैं।

-दुर्गा पूजा का इतिहास और महत्व:
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार नवरात्रि उस समय की याद दिलाती है। जब देवी दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का वध किया था। महिषासुर एक शक्तिशाली असुर था जिसने स्वर्ग और पृथ्वी दोनों पर विजय प्राप्त कर ली थी। देवताओं द्वारा बार-बार पराजित होने के बाद उन्होंने दुर्गा की शरण ली थी। जो शक्ति और साहस की अवतार थी। एक भीषण युद्ध के बाद दुर्गा ने महिषासुर को मार डाला और देवताओं को उनके जुल्म से मुक्त कराया था।
दुर्गा पूजा इस विजय का उत्सव करती है और दुर्गा को बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक मानती है। भक्तगण मानते हैं कि नवरात्रि के दौरान देवी की पूजा करने से उन्हें बुरी शक्तियों से रक्षा मिलती है और उनके जीवन में समृद्धि और सफलता आती है।

-नवरात्रि उपासना की प्रक्रिया:
नवरात्रि उपासना में कई अनुष्ठान और प्रथाएँ शामिल होती हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं:

 -कलश स्थापना:
 नवरात्रि के पहले दिन, एक पवित्र कलश को देवी के प्रतीक के रूप में स्थापित किया जाता है। इस कलश को जल, मिट्टी और जौ से भरा जाता है और एक आम या नारियल के पत्तों से सजाया जाता है।
 
-देवी दुर्गा की पूजा: 
प्रत्येक दिन भक्तगण देवी दुर्गा की विधिवत पूजा करते हैं। जिसमें उन्हें नैवेद्य (भोजन भेंट),फूल और दीए चढ़ाना शामिल है। पूजा के दौरान  दुर्गा सप्तशती और अन्य पवित्र भजन और मंत्रों का पाठ किया जाता है।
 
-दुर्गा अष्टकम पाठ: 
दुर्गा अष्टकम महिमा स्त्रोत का पाठ नवरात्रि के दौरान किया जाता है। यह एक शक्तिशाली मंत्र है । जो देवी दुर्गा के आठ रूपों का वर्णन करता है और उन्हें प्रसन्न करने के लिए बोला जाता है।
 
-उपवास और संयम:
 कई भक्तगण नवरात्रि के दौरान उपवास करते हैं और मांस, मदिरा और कुछ अन्य खाद्य पदार्थों से परहेज करते हैं। यह संयम और त्याग शरीर और मन को शुद्ध करने में मदद करता है।
 
-घट स्थापना: 
नवरात्रि के अंतिम दिन दशमी को कलश को विसर्जित किया जाता है। यह अनुष्ठान बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है और देवी से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
-दुर्गा पूजा का सांस्कृतिक महत्व:
दुर्गा पूजा न केवल एक धार्मिक उत्सव है बल्कि एक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी है। इस समय कई राज्यों में भव्य पंडालों की स्थापना की जाती है । जहां देवी दुर्गा की विशाल मूर्तियों की पूजा की जाती है। लोग पारंपरिक वेशभूषा पहनते हैं। भजन गाते हैं और देवी के आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करते हैं। दुर्गा पूजा लोक नृत्य और संगीत के लिए भी जानी जाती है। पंडालों में रात भर गरबा,दांडिया रात्रि और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यह त्यौहार लोगों को एक साथ आने सांस्कृतिक विरासत का जश्न मनाने और देवोत्सर्ग में लिप्त होने का अवसर प्रदान करता है।

-दुर्गा उपासना के लाभ:
नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा की उपासना के कई लाभ माने जाते हैं, जिनमें शामिल हैं:

-बुराई से रक्षा: 
दुर्गा की पूजा को बुरी शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा करने के लिए माना जाता है।

-मनोबल और आत्मविश्वास: 
देवी के साहस और शक्ति की उपासना से भक्तों में मनोबल और आत्मविश्वास आता है।

-समृद्धि और सफलता:
 यह माना जाता है कि दुर्गा की भक्ति से जीवन में समृद्धि और सफलता आती है।
 
-स्वास्थ्य और कल्याण: 
देवी के साथ जुड़े अनुष्ठान और उपवास शरीर और मन को शुद्ध करने और समग्र स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने में मदद करते हैं।
 
-आध्यात्मिक विकास:
 दुर्गा की उपासना भक्तों को आध्यात्मिक पथ पर आगे बढ़ने और दिव्यता के करीब आने में मदद करती है।
-निष्कर्ष
नवरात्रि में दुर्गा पूजा और उपासना का भारतीय उपमहाद्वीप में गहरा सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है। यह बुराई पर अच्छाई की विजय का उत्सव है और दिव्य शक्ति और साहस की देवी दुर्गा का आदर है। इस पर्व के माध्यम से भक्त देवी के आशीर्वाद प्राप्त करते हैं । बुरी शक्तियों से सुरक्षा प्राप्त करते हैं और जीवन में समृद्धि और सफलता का मार्ग प्रशस्त करते हैं। नवरात्रि का त्यौहार न केवल एक धार्मिक अवसर है बल्कि यह एक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी है। जो लोगों को एक साथ लाता है। सांस्कृतिक विरासत का जश्न मनाता है और देवोत्सर्ग में लिप्त होता है।
-दूर्गापूजा को लेकर विकिपीडिया क्या कहता हैं?
-दुर्गा पूजा का पर्व हिन्दू देवी दुर्गा की बुराई के प्रतीक: राक्षस महिषासुर पर विजय के रूप में मनाया जाता है अतः दुर्गा पूजा का पर्व बुराई पर भलाई की विजय के रूप में भी माना जाता है। पश्चिम बंगाल, असम,  बिहार,  झारखण्ड,  मणिपुर,  ओडिशा और त्रिपुरा आदि भारतीय राज्यों व्यापक रूप से मनाया जाता है । जहाँ इस समय पाँच-दिन की वार्षिक छुट्टी रहती है। बंगाली हिन्दू और आसामी हिन्दुओं का बाहुल्य वाले क्षेत्रों पश्चिम बंगाल,असम, त्रिपुरा में यह वर्ष का सबसे बड़ा उत्सव माना जाता है। यह न केवल सबसे बड़ा हिन्दू उत्सव है अपितु यह बंगाली, आसामी,ओड़िया हिन्दू समाज में सामाजिक-सांस्कृतिक रूप से सबसे महत्त्वपूर्ण उत्सव भी है। पश्चिमी भारत के अतिरिक्त दुर्गा पूजा का उत्सव दिल्ली, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब,  कश्मीर,आन्ध्र प्रदेश,कर्नाटक और केरल में भी मनाया जाता है। दुर्गा पूजा का उत्सव 91% हिन्दू जनसंख्या वाले नेपाल और 8% हिन्दू जनसंख्या वाले बांग्लादेश में भी बड़े त्यौंहार के रूप में मनाया जाता है। वर्तमान में विभिन्न प्रवासी आसामी और बंगाली सांस्कृतिक संगठन,संयुक्त राज्य अमेरीका,कनाडा,यूनाइटेड किंगडम,ऑस्ट्रेलिया,जर्मनी,फ्रांस, नीदरलैण्ड, सिंगापुर और कुवैत सहित विभिन्न देशों में आयोजित करवाते हैं।


 वर्ष 2006 में ब्रिटिश संग्रहालय में विश्वाल दुर्गापूजा का उत्सव आयोजित किया गया था। दुर्गा पूजा की ख्याति ब्रिटिश राज में बंगाल और भूतपूर्व असम में धीरे-धीरे बढ़ी।हिन्दू सुधारकों ने दुर्गा को भारत में पहचान दिलाई और इसे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलनों का प्रतीक भी बनाया था। दिसम्बर 2021 में कोलकाता की दुर्गा पूजा को यूनेस्को की अगोचर सांस्कृतिक धरोहर की सूची में सम्मिलित किया गया।【Photo : Google】

★ब्यूरो रिपोर्ट स्पर्श देसाई√•Metro City Post•News Channel•#दूर्गा पूजा#नवरात्रि

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