*भारतीय खुफिया एजेंसी,RAW के बनने की कहानी,कैसे चुने जाते हैं एजेंट्स? जाने विस्तार से*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई

*भारतीय खुफिया एजेंसी,RAW के बनने की कहानी,कैसे चुने जाते हैं एजेंट्स? जाने विस्तार से*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई


【मुंबई / रिपोर्ट स्पर्श देसाई】क्या कहता है विकिपीडिया सबसे पहले वह जानते है। रिसर्च एंड एनालिसिस विंग ( रॉ ) भारत की विदेशी खुफिया एजेंसी है। एजेंसी का प्राथमिक कार्य विदेशी खुफिया जानकारी जुटाना,आतंकवाद का मुकाबला करना, प्रसार का मुकाबला करना,भारतीय नीति निर्माताओं को सलाह देना और भारत के विदेशी रणनीतिक हितों को आगे बढ़ाना है। यह भारत के परमाणु कार्यक्रम की सुरक्षा में भी शामिल है।

-क्यों बनाई गई RAW
RAW के पूर्व प्रमुख संकरन नायर ने 1965 भारत-पाकिस्तान युद्ध पर अपनी किताब' इनसाइड आईबी एंड रॉ: द रोलिंग स्टोन दैट गैदर्ड मॉस' में लिखा है कि तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल जेएन चौधरी ने रक्षा मंत्री यशवंत राव चव्हाण को दी रिपोर्ट में कहा था "सेना पाकिस्तान पर निर्णायक जीत इसलिए हासिल नहीं कर सकी क्योंकि हमें सटीक ख़ुफ़िया जानकारी उपलब्ध नहीं थी।" इस रिपोर्ट के बाद भारत ने नई खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) को खड़ा करने का फैसला किया।

-1968 में हुई RAW की स्थापना
RAW की स्थापना 21 सितंबर 1968 को हुई थी और रामेश्वर नाथ काव ने इसके पहले प्रमुख का पदभार संभाला था। रामेश्वर नाथ काव के साथ संकरन नायर भी RAW से जुड़े और 250 लोगों को इंटेलिजेंस ब्यूरो से RAW में ट्रांसफर किया गया। सन 1971 के बाद रामनाथ काव ने सीधे कॉलेज और यूनिवर्सिटी से रॉ के एजेंट चुनने की परंपरा शुरू की लेकिन साल 1973 के बाद ये परंपरा बदली और सीधे लिए गए लोगों को कड़ी प्रतिस्पर्धा और कई तरह के इम्तेहानों से गुज़रना पड़ा।

-पहले मनोवैज्ञानिक टेस्ट
नितिन गोखले ने अपनी किताब 'आरएन काव, जेंटलमेन स्पाईमास्टर' में लिखा है कि "पहला टेस्ट मनोवैज्ञानिक टेस्ट था। उम्मीदवारों को सुबह 3 बजे एक स्थान पर आने के लिए कहा गया। वहां पहुंचते ही उनका ऑब्जेक्टिव टाइप टेस्ट लिया गया और टेस्ट पास करने वाले लोगों को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया।"

-अगले राउंड
RAW के एक पूर्व अधिकारी के अनुसार पहले राउंड के बाद अगले राउंड का इंटरव्यू RAW के वरिष्ठ अधिकारियों ने लिया। इसमें चुने जाने के बाद एक 6 सदस्यीय समिति ने फाइनल राउंड का इंटरव्यू लिया। इस पूरी प्रक्रिया के बाद रिज़ल्ट आने में करीब 2 महीने का समय लगा। Research and Analysis Wing अनुसंधान और विश्लेषण विग India भारत।

-अब क्या है चयन प्रक्रिया?
जानकार बताते हैं कि अब 95% से अधिक लोगों का चयन भारतीय पुलिस सेवा से ही होता है और आर्थिक इंटेलिजेंस का काम संभालने के लिए कस्टम और इनकम टैक्स विभाग से कुछ लोगों को लिया जाता है।


क्या है RAW की ट्रेनिंग?
चुने गए लोगों को खुफिया जानकारी हासिल करने की बेसिक ट्रेनिंग दी जाती है और उन्हें कोई एक विदेशी भाषा भी सिखाई जाती है। बेसिक ट्रेनिंग के बाद उन्हें फील्ड इंटेलिजेंस ब्यूरो के साथ रखा जाता है। जहां उन्हें विषम परिस्थितियों में काम करना सिखाया जाता है। इस ट्रेनिंग में किस तरह घुसपैठ की जाए, किस तरह पकड़े जाने से बचा जाए ?

-आत्मरक्षा की ट्रेनिंग
फील्ड में तैनाती से पहले उन्हें आत्मरक्षा ट्रेनिंग दी जाती है। इसमें उन्हें' क्रावमगा' में ट्रेन किया जाता है जो एक तरह की मार्शल आर्ट है जिसमें आमने-सामने की लड़ाई को जीतने के गैर-परंपरागत पैंतरे सिखाए जाते हैं। इसके अलावा उन्हें कोड लैंग्वेज लिखना भी सिखाया जाता है। अब आगे विस्तार से इसके लिए जाने।

-भारतीय खुफिया निदेशालय (RAW): एक अवलोकन
भारतीय खुफिया निदेशालय (RAW) भारत की प्राथमिक विदेशी खुफिया एजेंसी है। यह देश के राष्ट्रीय हितों की रक्षा और विदेशी खतरों से निपटने के लिए जिम्मेदार है। RAW एक अत्यधिक गोपनीय संगठन है, और इसके कार्यों, एजेंटों की संख्या और बजट के बारे में सटीक जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है। हालाँकि, खुले स्रोतों से प्राप्त जानकारी के आधार पर हम RAW के बारे में एक बुनियादी समझ प्राप्त कर सकते हैं।

-स्थापना और उद्देश्य
RAW की स्थापना 21 सितंबर 1968 को तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी द्वारा की गई थी। इसकी स्थापना का उद्देश्य सेना की खुफिया शाखा से अलग एक विशेष विदेशी खुफिया एजेंसी बनाना था। RAW का प्राथमिक उद्देश्य भारत के राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना,विदेशी खतरों की पहचान करना और निगरानी करना और विदेशी सरकारों और संगठनों के साथ खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान करना है।

-कार्य और जिम्मेदारियां
RAW की विशिष्ट जिम्मेदारियों में शामिल हैं:
विदेशी सरकारों और संगठनों की गतिविधियों पर खुफिया जानकारी एकत्र करना और उसका विश्लेषण करना। विदेशी खुफिया एजेंसियों की गतिविधियों पर नजर रखना और उनकी जासूसी से भारत की सुरक्षा करना। विदेशी खतरों,जैसे आतंकवाद,परमाणु प्रसार और साइबर युद्ध का पता लगाना और निगरानी करना। भारत के राजनयिक और वाणिज्यिक हितों की रक्षा करना। विदेशी सरकारों और संगठनों के साथ खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान करना। राष्ट्रीय सुरक्षा निर्णय लेने में सरकार को सलाह देना। RAW अपने कार्यों को पूरा करने के लिए विभिन्न तरीकों का उपयोग करती है । जैसे मानवीय खुफिया जानकारी (HUMINT), सिग्नल खुफिया जानकारी (SIGINT) और इमेजरी इंटेलिजेंस (IMINT)। एजेंसी के पास अपने स्वयं के विशेष ऑपरेशन फोर्स भी हैं। जो विदेशी क्षेत्रों में गुप्त अभियानों को अंजाम देते हैं।

-एजेंटों की संख्या और संरचना
RAW एजेंटों की सटीक संख्या एक कड़ाई से संरक्षित रहस्य है। विभिन्न अनुमानों से पता चलता है कि एजेंसी में 10,000 से 20,000 तक एजेंट हैं। RAW की संरचना अत्यधिक गोपनीय है लेकिन यह माना जाता है कि इसमें कई विभाग और उपविभाग होते हैं। जो विशिष्ट क्षेत्रों या कार्यों के लिए जिम्मेदार होते हैं। एजेंसी के मुख्यालय नई दिल्ली में हैं और इसके पूरे भारत और विदेशों में स्टेशन हैं।

-भूमिका और महत्व
RAW भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह विदेशी खतरों का पता लगाता है । उन्हें निगरानी करता है और तटस्थ करता है और भारत के राष्ट्रीय हितों की रक्षा करता है। एजेंसी का काम अक्सर छाया में किया जाता है लेकिन यह भारत की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। RAW और अन्य भारतीय खुफिया एजेंसियों ने आतंकवाद के खतरे को कम करने,पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवादों को हल करने और भारत की विदेश नीति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

-विवाद और चुनौतियाँ
RAW अपने अस्तित्व के दौरान विवादों में घिरा रहा है। एजेंसी पर मानवाधिकारों के उल्लंघन,गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होने और विदेशी सरकारों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया गया है। RAW को भी आतंकवाद और अन्य खतरों से निपटने में प्रभावी न होने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है।
हाल के वर्षों में RAW को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है । जैसे साइबर युद्ध का उदय,आतंकवाद का वैश्वीकरण और चीन और पाकिस्तान जैसे देशों द्वारा बढ़ती आक्रामकता। एजेंसी को इन चुनौतियों से निपटने के लिए लगातार अनुकूलन और नवाचार करना पड़ता है।

-निष्कर्ष
भारतीय खुफिया निदेशालय (RAW) भारत की प्रमुख विदेशी खुफिया एजेंसी है। जो देश के राष्ट्रीय हितों की रक्षा और विदेशी खतरों से निपटने के लिए जिम्मेदार है। एक अत्यधिक गोपनीय संगठन के रूप में RAW का काम अक्सर छाया में किया जाता है लेकिन यह भारत की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। RAW अपने अस्तित्व के दौरान विवादों में घिरा रहा है लेकिन यह भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। हाल के वर्षों में एजेंसी को नई चुनौतियाँ मिली हैं लेकिन यह अनुकूलन और नवाचार करके उनसे निपटने के लिए प्रतिबद्ध है। RAW भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा का एक अनिवार्य अंग है और यह आने वाले वर्षों में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाना जारी रखेगा। यह संशोधित लेख हैं । जानकारी के अनुसंधान को लेकर इसे तैयार किया गया है।【Photos By Google】

★ब्यूरो रिपोर्ट स्पर्श देसाई√•Metro City Post•News Channel•#RAW#कार्य#देशकाहित#विदेशनीति

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