*वैश्विक आर्थिक चिंताओं के बीच आरबीआई ने रेपो दर में कटौती की,शेयर बाजार हुआ धीमा*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई

*वैश्विक आर्थिक चिंताओं के बीच आरबीआई ने रेपो दर में कटौती की,शेयर बाजार हुआ धीमा*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई


【मुंबई/रिपोर्ट स्पर्श देसाई】आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​ने नीतिगत रेपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती करके इसे 6% करने की घोषणा की हैं। केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 26 के लिए जीडीपी वृद्धि दर 6.5% रहने का अनुमान लगाया है । जबकि मुद्रास्फीति के परिदृश्य में सुधार हुआ है हालांकि वैश्विक व्यापार घर्षण और टैरिफ संबंधी चिंताओं ने घरेलू विकास के लिए जोखिम पैदा किया है। जिससे बाजार में अस्थिरता और निवेशक सतर्कता बरत रहे हैं। आरबीआई द्वारा रेपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती के बाद बैंकिंग शेयरों में गिरावट आई है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रेपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती करके इसे 6% करने के बाद बैंकिंग शेयरों में भारी गिरावट आई हैं। निफ्टी बैंक इंडेक्स में 350 अंकों से अधिक की गिरावट आई हैं।  जिसमें केनरा बैंक और एसबीआई जैसे प्रमुख बैंकों को नुकसान उठाना पड़ा हैं हालांकि इस कटौती से ऋण मांग में वृद्धि हो सकती है लेकिन बैंक की लाभप्रदता के बारे में तत्काल चिंताओं ने निवेशकों की धारणा को प्रभावित किया है। 


बुधवार 09 अप्रैल 2025 को न्यूज़18 द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह कहा गया है कि "निफ़्टी बैंक 350 अंक से अधिक गिरा, RBI द्वारा रेपो दर में कटौती के कारण बैंकिंग स्टॉक में 2% तक की गिरावट" में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा रेपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती करके इसे 6% करने के निर्णय के परिणामों पर चर्चा की गई है। पाँच वर्षों में पहली बार की गई हैं। इस दर में कमी का उद्देश्य अर्थव्यवस्था को व्यापार तनाव और मंदी से संबंधित संभावित वैश्विक जोखिमों से बचाना है। रिपोर्ट में दर-संवेदनशील बैंकिंग स्टॉक पर इस कदम के प्रभाव पर ज़ोर दिया गया है। जिसमें घोषणा के बाद उल्लेखनीय गिरावट देखी गई। निफ़्टी बैंक इंडेक्स में 350 अंक से अधिक की गिरावट आई थी। जो बैंकों के लिए ब्याज मार्जिन में कमी के बारे में निवेशकों की चिंताओं को दर्शाता है। केनरा बैंक,बैंक ऑफ़ बड़ौदा,स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया,पंजाब नेशनल बैंक और एक्सिस बैंक उन शीर्ष बैंकिंग स्टॉक में शामिल थे । जिनमें 2% तक की गिरावट आई हालांकि लेख में इस दर कटौती के संभावित सकारात्मक परिणाम पर भी प्रकाश डाला गया है। जिससे मध्यम अवधि के ऋण की मांग को बढ़ावा मिलने और ऑटोमोबाइल और आवास जैसे उपभोग-संचालित क्षेत्रों को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। यह माहौल ऑटोमेकर्स,होम लोन प्रदाताओं,बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) के लिए फायदेमंद है। इसके अतिरिक्त अप्रैल 2025 में RBI MPC की बैठक, जिसमें रेपो दर में कटौती की गई थी।उसके परिणामस्वरूप FY26 के लिए GDP पूर्वानुमान में 6.5% की कमी आई और मुद्रास्फीति का अनुमान 4% रहा था। RBI के गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​ने वैश्विक अनिश्चितताओं को संबोधित किया और घरेलू विकास के लिए संभावित जोखिमों के मद्देनजर सतर्कता बरतने का आश्वासन दिया था। रिपोर्ट मौद्रिक नीति और शेयर बाजार के बीच जटिल संबंधों के बारे में जानकारी प्रदान करता है । यह दर्शाता है कि ब्याज दरों में बदलाव बैंक की लाभप्रदता और निवेशक व्यवहार को कैसे प्रभावित कर सकता है। गौरतलब है कि RBI द्वारा रेपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती की उम्मीद हैं। वित्त वर्ष 26 में 75 आधार अंकों की कटौती। Ind-Ra रिसर्च ने ऐसा कहा था। अप्रैल में RBI द्वारा रेपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती की उम्मीद हैं वित्त वर्ष 26 में 75 आधार अंकों की कटौती हो सकती हैं। RBI की मौद्रिक नीति समिति अगले वित्त वर्ष 2025-26 में 1 अप्रैल से 6 बार बैठक करने वाली है। पहली बैठक 7-9 अप्रैल को हो रही है। उम्मीद है कि RBI वित्त वर्ष 26 में अधिकतम तीन बार दरों में कटौती करेगा । जो कुल मिलाकर 75 आधार अंकों की होगी। | 


इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च यानि इंड-रा ने गुरुवार को कहा था कि आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति अगले महीने अपनी नीति समीक्षा बैठक में बेंचमार्क ब्याज दर में 25 आधार अंकों की कटौती कर सकती है। ताकि विकास को बढ़ावा मिले। इंड-रा के मुख्य अर्थशास्त्री और सार्वजनिक वित्त प्रमुख देवेंद्र कुमार पंत ने कहा कि हमें उम्मीद है कि वित्त वर्ष 25 में मुख्य मुद्रास्फीति घटकर 4.7 प्रतिशत रह जाएगी। वित्त वर्ष 26 में मौद्रिक ढील 75 आधार अंकों तक सीमित रह सकती है हालांकि अगर अमेरिकी पारस्परिक टैरिफ का प्रभाव अपेक्षा से अधिक होता है तो आरबीआई द्वारा अधिक ढील दी जा सकती है। इंड-रा ने एक बयान में कहा था।आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति अगले वित्त वर्ष 2025-26 में 1 अप्रैल से 6 बार बैठक कर रही व है। पहली बैठक 7-9 अप्रैल को हो रही है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि इंड-रा को उम्मीद है कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) अपनी आगामी अप्रैल 2025 की बैठक में नीतिगत दरों में 25 बीपीएस की कटौती का विकल्प चुनेगी। RBI ने वित्त वर्ष 26 के लिए MPC शेड्यूल की घोषणा की । 9 अप्रैल को दरों पर पहला फैसला हैं। RBI अप्रैल में दरों में कटौती कर सकता है क्योंकि मुद्रास्फीति 4% से नीचे चली गई है । ऐसा UBS का मानना है।RBI की लिक्विडिटी इन्फ्यूजन योजना से धारणा को मदद मिली थी। जिससे भारत में शॉर्ट बॉन्ड यील्ड में गिरावट आई । RBI MPC सदस्य कुमार ने कहा कि विनिर्माण क्षेत्र में मंदी के कारण फरवरी में दरों में कटौती की गई । विकास को पुनर्जीवित करने वाले कई कारकों में से एक रेपो दर है। ऐसा MPC सदस्य नागेश कुमार ने कहा था। उच्च और जिद्दी मुद्रास्फीति ने RBI को मौद्रिक नीति को सख्त करने के लिए प्रेरित किया था, और इसने मई 2022 और फरवरी 2023 के बीच नीति दर को 250 बीपीएस बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया था। फरवरी 2025 में, रेपो दर में 25 बीपीएस की कटौती करके 6.25 प्रतिशत कर दिया गया था। इंड-रा को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 25 की मार्च तिमाही में हेडलाइन खुदरा मुद्रास्फीति 21 तिमाहियों के अंतराल के बाद 4 प्रतिशत से नीचे आ जाएगी। उसे उम्मीद है कि RBI वित्त वर्ष 26 में अधिकतम तीन बार दरों में कटौती करेगा, जो कुल मिलाकर 75 बीपीएस होगी। इंड-रा ने कहा कि फरवरी 2025 में एक दर कटौती के साथ-साथ मौजूदा नीति में 100 बीपीएस की कटौती होगी।  जिसमें टर्मिनल रेपो दर 5.5 प्रतिशत और औसत मुद्रास्फीति लगभग 4 प्रतिशत होगी । जो वित्त वर्ष 26 में 1.5 प्रतिशत की वास्तविक रेपो दर में तब्दील होगी। फरवरी 2025 के एमपीसी मिनट्स से पता चलता है कि RBI विकास की धीमी गति से अवगत है। इससे पता चलता है कि कम और स्थिर मुद्रास्फीति RBI का मुख्य लक्ष्य है लेकिन मौद्रिक नीति के माध्यम से विकास का समर्थन तेजी से मौद्रिक नीति का फोकस क्षेत्र होगा। ऐसा इंड-रा ने कहा ।बुधवार 9 अप्रैल 2025 को भारतीय शेयर बाजार में मिश्रित संकेत और उतार-चढ़ाव देखने को मिले। यहाँ प्रमुख बिंदुओं का विवरण दिया गया है। बाजार का प्रदर्शन और RBI की दर में कटौती की हैं। सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट देखी जा रही हैं। बुधवार की सुबह के कारोबार में सेंसेक्स 73,780.89 (-0.60%) और निफ्टी 22,371.00 (-0.73%) पर रहा । जो अमेरिका-चीन टैरिफ बढ़ोतरी और वैश्विक व्यापार तनाव के चलते हुआ । RBI की नीतिगत घोषणा में RBI ने रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती कर इसे 6% कर दिया। यह कदम मुद्रास्फीति के लक्ष्य (4%) के अनुरूप और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता को ध्यान में रखते हुए उठाया गया । तकनीकी स्तर और विशेषज्ञों का विश्षेषण करें तो और निफ्टी का सपोर्ट और रेजिस्टेंस देखें तो तत्काल सपोर्ट में  22,300, जिसके नीचे गिरावट से 22,000 या 22,100 का स्तर टेस्ट हो सकता है । प्रतिरोध स्तर देखें तो 22,700-22,850 जिसके ऊपर ब्रेकआउट से तेजी का रुख बन सकता है । सेंसेक्स का स्तर सपोर्ट में 73,400-73,800; रेजिस्टेंस में 74,800-75,600 । निफ्टी का RSI 50 से नीचे आ गया है। जो खरीदारी में कमजोरी दर्शाता है । वैश्विक और घरेलू कारकों का प्रभाव देखें तो अमेरिका-चीन टैरिफ यूद्ध के चलते अमेरिका द्वारा चीन पर नए टैरिफ लगाने से वैश्विक बाजारों में नकारात्मक प्रभाव हैं। जिससे भारतीय बाजार भी प्रभावित हुआ हैं । दौरान कच्चे तेल और सोने की कीमतें देखें तो  क्रूड ऑयल ₹4,982 (-215) और गोल्ड ₹88,360 (+712) पर रहा ।  जिससे कमोडिटी सेक्टर में अस्थिरता बनी हुई हैं ।रिजर्व बैंक ने बुधवार को चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति अनुमान को पहले के 4.2 प्रतिशत से घटाकर 4 प्रतिशत कर दिया । जिसमें अच्छे कृषि उत्पादन और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट को ध्यान में रखा गया। जनवरी-फरवरी 2025 के दौरान उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुख्य खुदरा मुद्रास्फीति में संचयी 1.6 प्रतिशत अंकों की गिरावट आई। जो दिसंबर 2024 में 5.2 प्रतिशत से घटकर फरवरी 2025 में 3.6 प्रतिशत के निचले स्तर पर आ गई। इस साल सब्जियों की कीमतों में मजबूत मौसमी सुधार के कारण फरवरी में खाद्य मुद्रास्फीति 21 महीने के निचले स्तर 3.8 प्रतिशत पर आ गई। वित्त वर्ष 2025-25 की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति का अनावरण करते हुए आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​​​ने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति का दृष्टिकोण निर्णायक रूप से सकारात्मक हो गया है। सब्जियों की कीमतों में पर्याप्त और व्यापक मौसमी सुधार हुआ है। गवर्नर ने कहा कि मुद्रास्फीति के मोर्चे पर खाद्य मुद्रास्फीति में अपेक्षा से अधिक गिरावट ने हमें राहत और आत्मविश्वास दिया है लेकिन हम वैश्विक अनिश्चितताओं और मौसम की गड़बड़ी से संभावित जोखिमों के प्रति सतर्क हैं। उन्होंने आगे कहा कि रबी फसलों पर अनिश्चितता काफी कम हो गई है और दूसरे अग्रिम अनुमान पिछले वर्ष की तुलना में रिकॉर्ड गेहूं उत्पादन और प्रमुख दालों के उच्च उत्पादन की ओर इशारा करते हैं। गवर्नर ने कहा कि खरीफ की मजबूत आवक के साथ इससे खाद्य मुद्रास्फीति में टिकाऊ नरमी की स्थिति बनने की उम्मीद है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि तीन महीने और एक साल की अवधि के लिए मुद्रास्फीति की उम्मीदों में तेज गिरावट से आगे चलकर मुद्रास्फीति की उम्मीदों को स्थिर करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के मौद्रिक नीति वक्तव्य 2025-26 संकल्प में कहा गया है कि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट मुद्रास्फीति के दृष्टिकोण के लिए शुभ संकेत है। दूसरी ओर वैश्विक बाजार की अनिश्चितताओं और प्रतिकूल मौसम संबंधी आपूर्ति व्यवधानों की पुनरावृत्ति के बारे में चिंताएं हैं जो मुद्रास्फीति के प्रक्षेपवक्र के लिए जोखिम पैदा करती हैं। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, और सामान्य मानसून को मानते हुए मल्होत्रा ​​ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत रहने का अनुमान है । जिसमें पहली तिमाही 3.6 प्रतिशत, दूसरी तिमाही 3.9 प्रतिशत तीसरी तिमाही 3.8 प्रतिशत और चौथी तिमाही 4.4 प्रतिशत रहेगी। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं। सरकार अगले सप्ताह खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़े जारी करेगी। 【Photos Courtesy Google】

★ब्यूरो रिपोर्ट स्पर्श देसाई√•Metro City Post• News Channel•# आरबीआई# मुद्रास्फीति# शेयर बाजार#खुदरा बाजार# 

-

Comments

Popular posts from this blog

*मुंबई में अगले तीन दिन भारी बारिश, कल जल प्रलय हो सकता है मुंबई में भारी बारिश का अनुमान, बाढ़ जैसे हालात बन सकते हैं*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई

*तेलंगाना में 300 करोड़ रुपये का 200 किलो सोना और 105.58 करोड़ की नकदी जब्त*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई

*संचार के द्वारपाल: समाचारों को प्राथमिकता देने में पत्रकार की महत्वपूर्ण भूमिका*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई