*Metro...क्या भारत में अंग्रेजों के राज में लंडन,कोलकाता, लंडन ऐसी कोई बस चलती थी? उस बस का रुट कौन सा था,कितने दिनों में बस लंडन से भारत पहुंचती थी? उसके बारे में विस्तार से जाने*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई
*Metro...क्या भारत में अंग्रेजों के राज में लंडन,कोलकाता, लंडन ऐसी कोई बस चलती थी? उस बस का रुट कौन सा था,कितने दिनों में बस लंडन से भारत पहुंचती थी? उसके बारे में विस्तार से जाने*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई
【मुंबई/ रिपोर्ट स्पर्श देसाई】दरअसल भारत में अंग्रेजों के शासनकाल (1858–1947) के दौरान लंदन-कोलकाता बस की ऐसी सेवा नहीं चलती थी। यह सेवा स्वतंत्र भारत के बाद साल 1957 में शुरू हुई और साल 1976 तक संचालित रही। इस बस को "लंदन-कोलकाता बस सेवा" या "हिप्पी रूट" के नाम से जाना जाता था। इसके बारे में विस्तृत जानकारी निम्नलिखित है:
-बस सेवा का इतिहास और संचालन:
-शुरुआत: 15 अप्रैल 1957 को लंदन के विक्टोरिया कोच स्टेशन से पहली बस रवाना हुई थी। इसे "इंडियामैन" नाम दिया गया था और इसका संचालन "अल्बर्ट ट्रैवल कंपनी" द्वारा किया जाता था।
-अंत: साल 1976 में भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और ईरान में राजनीतिक उथल-पुथल के कारण सेवा बंद कर दी गई थी।
-यात्रा का रूट और देश:
यह बस लंदन से कोलकाता तक संसार के10 देशों से होकर गुजरती थी: जिसमें यूरोप : बेल्जियम,पश्चिम जर्मनी,ऑस्ट्रिया, यूगोस्लाविया,बुल्गारिया और तुर्की।
-और एशिया में : ईरान,अफगानिस्तान,पाकिस्तान और भारत में दिल्ली,आगरा,इलाहाबाद,वाराणसी और कोलकाता।
-कुल दूरी : यह रुट 16,000 किमी (एक तरफ) था,32,700 किमी की राउंड ट्रिप थी।
•यात्रा की अवधि:
- लंदन से कोलकाता पहुंचने में 50 दिन लगते थे। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार विभिन्न कारणों जैसे कि फ्लू महामारी,सीमा बंदी से यह अवधि 80 दिन तक भी हो जाती थी।
-यात्रा की सुविधाएं:
-आरामदायक सुविधाएं: बस में स्लीपिंग बर्थ,रीडिंग लाउंज, किचन,पंखे और हीटर थे। ऊपरी डेक पर ऑब्जर्वेशन लाउंज भी था।
-मनोरंजन: रेडियो,संगीत प्रणाली और टूरिस्ट स्पॉट्स जैसे ताजमहल,गंगा घाट आदि पर ठहराव की सुविधा थी।
-शॉपिंग ब्रेक: साल्ज़बर्ग,वियना,इस्तांबुल,तेहरान और काबुल में खरीदारी के लिए समय दिया जाता था।
-यात्रा का खर्च:
- साल 1957 में किराया: एक तरफ £85 जो आज के हिसाब से लगभग ₹2.76 लाख होता हैं।
- साल 1973 तक: किराया बढ़कर £145 यानि लगभग ₹4.15 लाख हो गया था। इसमें भोजन,आवास और पर्यटन स्थलों का खर्च शामिल था।
-रोचक तथ्य:
-यात्रियों की संख्या: पहली यात्रा में 20 यात्री शामिल हुए लेकिन वापसी में सिर्फ 7 यात्री थे।
-अफवाहों का असर: ईरान में डकैतों द्वारा यात्रियों के मारे जाने की अफवाह फैली,जो बाद में गलत साबित हुई।
-सांस्कृतिक प्रभाव: यह रूट 1960-70 के दशक में हिप्पी संस्कृति का प्रतीक बना और "हिप्पी ट्रेल" के नाम से मशहूर हुआ।
-रुट बंद होने के कारण:
-राजनीतिक तनाव: भारत-पाकिस्तान युद्ध साल 1971 में और ईरानी क्रांति साल 1979 में हुई तो इस क्रांति ने रास्तों को असुरक्षित बना दिया था।
-सैन्य संघर्ष: अफगानिस्तान और पाकिस्तान की सीमाओं पर अस्थिरता।
-वैकल्पिक परिवहन: हवाई यात्रा के विकल्प सस्ते और तेज होने लगे थे।
•आखिर में:
यह बस सेवा अपने समय में एक साहसिक और विलक्षण यात्रा का अनुभव प्रदान करती थी हालांकि यह अंग्रेजों के शासनकाल में नहीं बल्कि स्वतंत्र भारत में शुरू हुई थी लेकिन इसने भारत और यूरोप के बीच सांस्कृतिक और पर्यटन संबंधों को मजबूत किया था। आज भी इसके इतिहास को याद किया जाता है और साल 2023 में एक नई बस सेवा दिल्ली-लंदन के शुरू होने की योजना बनाई गई थी ।
इसके लिए विकिपीडिया क्या कहता हैं?
साल 1957 में लंदन से कलकत्ता (अब कोलकाता) के लिए बस सेवा शुरू हुई थी। इसे दुनिया का सबसे लंबा बस रूट माना जाता था । यह बस सेवा बेल्जियम,यूगोस्लाविया और उत्तर-पश्चिमी भारत से होते हुए भारत पहुंचती थी। इस रूट को "हिप्पी रूट" के नाम से भी जाना जाता था।
इस बस सेवा के बारे में ज़रूरी जानकारी:
यह बस सेवा 1976 तक चली।
एक तरफ़ा यात्रा में करीब 50 दिन लगते थे।
एक तरफ़ा यात्रा का किराया साल 1957 में 85 पाउंड था, जो 2023 में करीब 2,589 पाउंड के बराबर है।
इस राउंड ट्रिप में भोजन,यात्रा और आवास शामिल थे।
इस रूट पर कम से कम 32 ऑपरेटरों ने सेवाएं चलाईं थी। जिनमें अल्बर्ट ट्रैवल भी शामिल था।
साल 1950 के दशक से 1970 के दशक तक कई यूनाइटेड किंगडम-भारत बस रूट चलते थे । इनमें से पहला था "द इंडियामैन",जो लंदन से कलकत्ता तक की सेवा थी। 【Photos Courtesy Google】
★ब्यूरो रिपोर्ट स्पर्श देसाई√•Metro City Post•News Channel•#लंदन#कोलकाता#लंबारुट# बससेवा
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