*संसार के दो साम्यवादी सम्राट : ज़ार रुस और कैसर विल्हेम II जर्मनी के बारे में विस्तार से जाने*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई

*संसार के दो साम्यवादी सम्राट : ज़ार रुस और कैसर विल्हेम II जर्मनी के बारे में विस्तार से जाने*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई

【मुंबई/ रिपोर्ट स्पर्श देसाई】जिसमें यूरोपीय इतिहास में "ज़ार" (Tsar) शीर्षक मुख्य रूप से रूसी साम्राज्य के शासकों से जुड़ा है। यह शब्द लैटिन "सीज़र" (Caesar) से निकला है और इसे "सम्राट" के समान माना जाता है हालाँकि रूस- यूरोप और एशिया दोनों में फैला है लेकिन इसके शासकों ने खुद को यूरोपीय राजनीति और संस्कृति का हिस्सा माना हैं। यहाँ कुछ प्रमुख बिंदु ज़ार के बारे में हैं:

•ज़ार की उत्पत्ति:
 - पहला रूसी शासक जिसने "ज़ार" (सम्राट) की उपाधि धारण की थी। वह इवान चतुर्थ (इवान द टेरिबल) था (जो सन1547 में सिंहासन पर बैठा था)।
- सन 1721 में पीटर द ग्रेट ने रूस को एक "साम्राज्य" घोषित किया था और आधिकारिक तौर पर "सम्राट" (इम्पेराटर) की उपाधि अपनाई थी लेकिन "ज़ार" शब्द लोकप्रिय रहा था।

•प्रमुख रूसी ज़ार/सम्राट:
- इवान द टेरिबल (1547–1584):मास्को के ग्रैंड प्रिंस से रूस का पहला ज़ार बना था। उसने केंद्रीकृत शासन स्थापित किया था।
- पीटर द ग्रेट (1682–1725): रूस को आधुनिक बनाने और यूरोपीय शक्ति के रूप में स्थापित करने वाला शासक था। उसने सेंट पीटर्सबर्ग शहर बसाया था।
- कैथरीन द ग्रेट (1762–1796): जर्मन मूल की इस सम्राज्ञी ने रूस का विस्तार किया और कला-संस्कृति को बढ़ावा दिया था।
-निकोलस द्वितीय (1894–1917): रूस का अंतिम ज़ार जिसे साल1917 की बोल्शेविक क्रांति के बाद गिरफ्तार करके परिवार सहित मार दिया गया था।

•ज़ारशाही का अंत:
- साल 1917 की रूसी क्रांति (फरवरी और अक्टूबर) के बाद ज़ारशाही व्यवस्था समाप्त हो गई थी। निकोलस द्वितीय को त्यागने के लिए मजबूर किया गया था और साल 1918 में उसकी हत्या कर दी गई थी।
-रोमानोव राजवंश (1613–1917) के पतन के साथ ही रूस में साम्यवादी शासन की शुरुआत हुई थी। जो आज तक व्याप्त है।

•यूरोपीय संदर्भ में ज़ार:
-"ज़ार" विशेष रूप से रूसी शासकों का शीर्षक था लेकिन यूरोप के अन्य सम्राटों (जैसे जर्मन "कैसर" या ऑस्ट्रियाई "सम्राट") से अलग था।
-रूसी ज़ारों ने यूरोपीय राजनीति,युद्धों (जैसे नेपोलियन युद्ध), और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

•रोचक तथ्य:
- रूसी ज़ारों का मुकुट "मुकुटोमणि" (ग्रेट इंपीरियल क्राउन) हीरे, माणिक्य और मोतियों से सजा होता था।
- क्रेमलिन (मास्को) और विंटर पैलेस (सेंट पीटर्सबर्ग) ज़ारों के प्रमुख निवास स्थल थे।

विकिपीडिया के मुताबिक जार शब्द का इस्तेमाल रूस के सम्राटों के लिए किया जाता था। रूसी क्रांति के बाद ज़ार साम्राज्य का पतन हो गया था।

रूस के ज़ारों के बारे में जानकारी:

•रूस के आखिरी ज़ार निकोलस द्वितीय थे। उनका जन्म 18 मई, 1868 को हुआ था और उनका निधन 17 जुलाई 1918 को हुआ था।

•ज़ार निकोलस द्वितीय पूर्ण निरंकुश और स्वेच्छाचारी शासक थे। 

•फ़रवरी क्रांति (रूसी क्रांति) 6-17 मार्च 1917 को हुई थी। इस क्रांति के बाद ज़ार साम्राज्य का पतन हो गया था और निकोलस द्वितीय को उखाड़कर एक अंतरिम सरकार बनाई गई थी। 

•अलेक्सांदर प्रथम रूस के ज़ार थे। उनका जन्म 23 दिसंबर 1777 को हुआ था और उनका निधन 1 दिसंबर 1825 को हुआ था।

•अलेक्सांदर प्रथम पहले रूसी राजा थे । जिन्होंने पोलैंड पर शासन किया था।

•अलेक्सांदर प्रथम फ़िनलैंड और लिथुवानिया के भी पहले रूसी ग्रैंड ड्यूक थे।

•अब यह भी पढे,कैसर विल्हेम द्वितीय (Friedrich Wilhelm Victor Albert of Prussia) जर्मनी के आखिरी सम्राट थे। 
•उनका जन्म 27 जनवरी1859 को बर्लिन में हुआ था। उन्होंने 15 जून 1888 से 9 नवंबर 1918 तक शासन किया था।
 
•Kaiser Wilhelm II का विस्तृत परिचय:**

•प्रारंभिक जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि:
- जन्म:27 जनवरी 1859, बर्लिन,प्रशिया (जर्मनी)।  
-परिवार:प्रशिया के राजकुमार फ्रेडरिक विल्हेम (बाद में जर्मन सम्राट फ्रेडरिक III) और ब्रिटेन की राजकुमारी विक्टोरिया (रानी विक्टोरिया की सबसे बड़ी बेटी) के पुत्र।  
-शिक्षा: सैन्य और अकादमिक प्रशिक्षण प्राप्त किया लेकिन जन्मजात शारीरिक दोष (बाएं हाथ का अविकसित होना) के कारण मनोवैज्ञानिक रूप से प्रभावित रहे थे।  
-वैवाहिक जीवन:1881 में ऑगस्टा विक्टोरिया से विवाह हुआ था। जिनसे सात संतानें हुईं थी।

•सत्ता में आरोहण:
-सम्राट बनना: 15 जून 1888 को पिता फ्रेडरिक III की मृत्यु के बाद सिंहासन पर बैठे थे (इस वर्ष को "तीन सम्राटों का वर्ष" कहा जाता है)।  
-बिस्मार्क का पदत्याग: 1890 में लौह चांसलर ओटो वॉन बिस्मार्क को हटाकर स्वयं नीतियों पर नियंत्रण लिया था। यह कदम जर्मनी की विदेश नीति में बड़ा मोड़ साबित हुआ था।

•शासनकाल की प्रमुख विशेषताएँ:
•विदेश नीति (Weltpolitik):
- साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षा:जर्मनी को वैश्विक शक्ति बनाने के लिए उपनिवेशों की तलाश की थी(जैसे अफ़्रीका में टोगो,कैमरून और प्रशांत द्वीप)।  
- नौसैनिक हथियारों की होड़: ब्रिटेन के साथ प्रतिस्पर्धा में ऐडमिरल टिरपिट्ज़ के नेतृत्व में जर्मन नौसेना का विस्तार किया था।  
-यूरोपीय गठजोड़: ऑस्ट्रिया-हंगरी और इटली के साथ त्रिगुट (Triple Alliance) बनाया था लेकिन ब्रिटेन और रूस से संबंध बिगड़े थे।  
- संकट और विवाद: 
- मोरक्को संकट (1905, 1911): फ्रांस के विस्तार का विरोध किया गया था।  
- डेली टेलीग्राफ अफ़ेयर (1908):ब्रिटिश अख़बार को दिए विवादास्पद बयानों से यूरोप में नाराज़गी फैली थी।  
- ब्लैंक चेक (1914): ऑस्ट्रिया-हंगरी को सर्बिया के खिलाफ युद्ध में पूर्ण समर्थन किया था। जो प्रथम विश्वयुद्ध का तात्कालिक कारण बना था।

•घरेलू नीति: 
-औद्योगिक विकास: जर्मनी यूरोप का अग्रणी औद्योगिक राष्ट्र बना था।  
-सामाजिक अशांति: समाजवादी आंदोलनों के बढ़ते प्रभाव के बावजूद,विल्हेम ने प्रतिक्रियावादी नीतियों को बनाए रखा था।  
- संसद (राइखस्टाग) से टकराव: चांसलर बुलो और बेथमैन-होलवेग के साथ मतभेद थे।

•प्रथम विश्वयुद्ध में भूमिका:
-युद्ध की शुरुआत: साल1914 में ऑस्ट्रिया-हंगरी को समर्थन देकर युद्ध को अनिवार्य बनाया था।  
-युद्धकालीन नेतृत्व:वास्तविक सैन्य निर्णय जनरलों (जैसे हिंडनबर्ग और लुडेनडॉर्फ़) के हाथों में लेकिन विल्हेम प्रतीकात्मक नेता बने रहे थे।  
-पराजय और पतन:साल 1918 में जर्मनी की हार के बाद 9 नवंबर को सिंहासन छोड़कर नीदरलैंड भाग गए थे।

•निर्वासन और मृत्यु:
-निर्वासन का जीवन:नीदरलैंड के डॉर्न शहर में रहे थे। जहाँ उन्होंने संस्मरण लिखे थे और युद्ध के लिए ज़िम्मेदारी से इनकार किया था।  
-नाज़ी पार्टी से संबंध: हिटलर के उदय के प्रति मिश्रित प्रतिक्रिया; कुछ समर्थन के बावजूद नाज़ियों ने उन्हें राजनीतिक रूप से अप्रासंगिक माना था।  
- मृत्यु: 4 जून 1941 को 82 वर्ष की आयु में नीदरलैंड में।

•विरासत और ऐतिहासिक मूल्यांकन:
-आलोचनाएँ:उनकी अहंकारी और असंगत नीतियों को यूरोपीय तनाव और युद्ध का कारण माना जाता है।  
-मनोवैज्ञानिक विश्लेषण: शारीरिक अक्षमता और माँ के साथ जटिल संबंधों ने उनके निर्णयों को प्रभावित किया था।  
-सांस्कृतिक प्रभाव: "कैसर" की छवि जर्मन सैन्यवाद और साम्राज्यवाद का प्रतीक बनी थी।

•आखिर में: विल्हेम II का शासन जर्मनी के लिए एक विरोधाभासी युग था। आर्थिक समृद्धि और राजनीतिक अस्थिरता का। उनकी नीतियों ने 20वीं सदी के यूरोप को गहराई से प्रभावित किया था। विशेषकर दो विश्वयुद्धों के संदर्भ में।

•विकिपीडिया के मुताबिक कैसर विल्हेम द्वितीय (Friedrich Wilhelm Victor Albert of Prussia) जर्मनी के आखिरी सम्राट थे। उनका जन्म 27 जनवरी1859 को बर्लिन में हुआ था। उन्होंने 15 जून 1888 से 9 नवंबर 1918 तक शासन किया था।

•कैसर विल्हेम द्वितीय के बारे में ज़्यादा जानकारी:

•उनके पिता सम्राट फ़्रेडरिक तृतीय थे लेकिन उनका शासनकाल सिर्फ़ 99 दिनों तक ही चला था।

उनकी मां विक्टोरिया प्रिंसेस रॉयल थीं। जो यूनाइटेड किंगडम की रानी विक्टोरिया की सबसे बड़ी बेटी थीं।

उन्होंने अपने चांसलर ओटो वॉन बिस्मार्क को बर्खास्त कर दिया था।

उनके शासनकाल में जर्मनी ने चीन और प्रशांत क्षेत्र में नए इलाकों पर कब्ज़ा किया था।

उन्होंने अपने देश को यूरोप का सबसे बड़ा निर्माता बनाया था। 

उन्होंने अपने मंत्रियों से सलाह लिए बिना दूसरे देशों के प्रति धमकी दी और बेवकूफ़ बयान दिए थे।

9 नवंबर 1918 को उन्होंने अपना सिंहासन छोड़ दिया।

उनका निधन 4 जून 1941 को नीदरलैंड के डोर्न में हो गया था।

★ब्यूरो रिपोर्ट स्पर्श देसाई√•Metro City Post•News Channel•#ज़ार#कैसरविल्हेमद्वितीय

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