*Metro...1 अप्रैल को "मूर्ख दिवस" के रूप में मनाया जाता हैं, जाने इसकी वजह क्या हैं?*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई

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【मुंबई/रिपोर्ट स्पर्श देसाई】अप्रैल फूल डे यानी 1 अप्रैल को लोगों को मूर्ख बनाने की प्रथा के पीछे कई रोचक कहानियाँ हैं। इस दिन को मनाने का तरीका यह होता है कि लोग एक दूसरे के साथ शरारतें करते हैं और उन्हें मूर्ख या उल्लू बनाने की कोशिश करते हैं । इस प्रथा की शुरुआत के बारे में कई मतभेद हैं लेकिन यह माना जाता है कि इसकी शुरुआत 19वीं शताब्दी से हुई थी । एक कहानी के अनुसार यह प्रथा रोमन त्योहार हिलेरिया से प्रेरित है । जो वसंत के आगमन का जश्न मनाने के लिए मनाया जाता था। एक अन्य कहानी के अनुसार यह प्रथा मध्यकालीन यूरोप में शुरू हुई थी । जहां लोग नए साल के दिन (जो उस समय 1 अप्रैल को मनाया जाता था) को मूर्खतापूर्ण हरकतें करने के लिए मनाते थे। आजकल यह प्रथा पूरी दुनिया में मनाई जाती है और लोग एक दूसरे के साथ मजाक और शरारतें करते हैं । अप्रैल फूल डे (1 अप्रैल) के इतिहास और इसके पीछे की कहानियों को समझने के लिए कई सिद्धांत और लोककथाएं प्रचलित हैं। इनमें से कुछ प्रमुख तथ्य और कहानियां निम्नलिखित हैं:

•ऐतिहासिक उत्पत्ति के सिद्धांत:
-कैलेंडर परिवर्तन की कहानी: 
सन 1582 में फ्रांस ने जूलियन कैलेंडर को छोड़कर ग्रेगोरियन कैलेंडर अपनाया था। जूलियन कैलेंडर में नया साल 1 अप्रैल से शुरू होता था। जबकि ग्रेगोरियन कैलेंडर में इसे 1 जनवरी कर दिया गया। कुछ लोगों को इस बदलाव की जानकारी नहीं मिली थी और वे 1 अप्रैल को ही नया साल मनाते रहे। इन लोगों का मजाक उड़ाते हुए उन्हें "अप्रैल फूल" कहा जाने लगा था। यह सिद्धांत सबसे व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है।
  
-रोमन त्योहार "हिलारिया":  
  प्राचीन रोम में मार्च के अंत में "हिलारिया" नामक त्योहार मनाया जाता था। जहां लोग वेश बदलकर एक-दूसरे को मूर्ख बनाते थे। यह परंपरा अप्रैल फूल से जुड़ी हुई मानी जाती है ।
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•प्रसिद्ध लोककथाएं:
-राजा रिचर्ड II और रानी एनी की सगाई:  
सन 1381 में इंग्लैंड के राजा रिचर्ड II और बोहेमिया की रानी एनी ने अपनी सगाई की तारीख 32 मार्च घोषित की थी। जब लोगों को एहसास हुआ कि 32 मार्च का कोई अस्तित्व नहीं है तो वे समझ गए कि उन्हें मूर्ख बनाया गया है। इसके बाद 1 अप्रैल को "मूर्ख दिवस" के रूप में मनाया जाने लगा।

-नोह की नाव और कबूतर:  
कुछ यहूदी परंपराओं के अनुसार नोह ने बाढ़ के पानी के कम होने से पहले ही कबूतर को भेज दिया था। जो 1 अप्रैल के दिन वापस लौटा था। इस घटना को याद करते हुए लोगों को बेवकूफ बनाने की प्रथा शुरू हुई थी ।

•साहित्यिक संदर्भ:
-जेफ्री चॉसर की "कैंटरबरी टेल्स" (1392):  
 इस पुस्तक में एक कहानी ("नन्स प्रीस्ट्स टेल") में 32 मार्च (1 अप्रैल) का उल्लेख है। जहां एक मुर्गे को लोमड़ी धोखे से फंसाती है हालांकि विद्वानों का मानना है कि यह पांडुलिपि में एक त्रुटि हो सकती है ।

-फ्रांसीसी कविताओं में "पोइसन डी'अवरील":  
सन 1508 में फ्रांसीसी कवि एलोय डी'अमरवल ने "अप्रैल की मछली" (poisson d'avril) का जिक्र किया था। जो आज भी फ्रांस में कागज की मछली चिपकाकर मजाक करने की परंपरा से जुड़ा है ।
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•1अप्रैल को ही क्यों?
-नए साल की गलत तारीख:  
 कैलेंडर बदलने के बाद भी कुछ लोग 1 अप्रैल को नया साल मनाते रहे। जिसके कारण उन्हें मूर्ख समझा गया ।
  
-वसंत विषुव का प्रभाव:  
 वसंत ऋतु की शुरुआत (मार्च 21) के आसपास मौसम में अचानक बदलाव होते हैं। जो प्रकृति द्वारा "मूर्ख बनाने" के रूपक से जोड़ा जाता है।

•वैश्विक परंपराएं:
-फ्रांस और बेल्जियम: लोगों की पीठ पर कागज की मछली चिपकाना ("पोइसन डी'अवरील")।
-स्पेन: 28 दिसंबर को "डे ऑफ होली इनोसेंट्स" के रूप में मनाया जाता है।
-ईरान: फारसी नववर्ष (नवरोज) के 13वें दिन (1-2 अप्रैल) मजाक किया जाता है।
-यूक्रेन: ओडेसा शहर में "ह्यूमोरिना" नामक उत्सव मनाया जाता है, जिसमें रंगीन परेड और प्रैंक शामिल हैं।
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•आधुनिक समय में प्रैंक के उदाहरण:
-सन 1957: BBC ने स्विट्ज़रलैंड में "स्पेगेटी के पेड़" की झूठी खबर प्रसारित की थी।
-सन 1996: टैको बेल ने दावा किया कि उसने अमेरिका की "लिबर्टी बेल" खरीद ली है।
- साल 2013: गूगल ने "गूगल नोज़" नामक एक झूठी सुविधा घोषित की, जो इंटरनेट पर गंध भेज सकती थी।

•आखिर में...
अप्रैल फूल डे की उत्पत्ति के पीछे कोई एक स्पष्ट कारण नहीं है। बल्कि यह विभिन्न ऐतिहासिक,सांस्कृतिक और साहित्यिक प्रभावों का मिश्रण है। यह दिन मानवीय हास्य और सामाजिक संबंधों को मजबूत करने का एक अनूठा तरीका बन गया है। आज भी मीडिया और ब्रांड्स इस परंपरा को नए अंदाज़ में जीवित रखे हुए हैं।
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-अप्रैल फूल दिवस को लेकर विकिपीडिया क्या कहता हैं?
अप्रैल फूल दिवस पश्चिमी देशों में प्रत्येक वर्ष पहली अप्रैल को मनाया जाता है। कभी-कभी इसे "ऑल फ़ूल्स डे" के नाम से भी जाना जाता हैं। 1 अप्रैल आधिकारिक छुट्टी का दिन नहीं है परन्तु इसे व्यापक रूप से एक ऐसे दिन के रूप में जाना और मनाया जाता है। जब एक दूसरे के साथ व्यावाहारिक परिहास और सामान्य तौर पर मूर्खतापूर्ण हरकतें की जाती हैं। इस दिन मित्रों, परिजनों, शिक्षकों,पड़ोसियों,सहकर्मियों आदि के साथ अनेक प्रकार की नटखट हरकतें और अन्य व्यावहारिक परिहास किए जाते हैं। जिनका उद्देश्य होता है बेवकूफ और अनाड़ी लोगों को शर्मिंदा करना। 1 अप्रैल को लेकर कुछ जानकारी- पारम्परिक तौर पर कुछ देशों जैसे न्यूज़ीलैण्ड,ब्रिटेन,ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका में इस प्रकार के परिहास केवल दोपहर तक ही किये जाते हैं और यदि कोई दोपहर के बाद इस प्रकार का प्रयत्न करता है तो उसे "अप्रैल फ़ूल" कहा जाता है। ऐसा इसीलिये किया जाता है क्योंकि ब्रिटेन के समाचारपत्र जो अप्रैल फ़ूल पर मुख्य पृष्ठ निकालते हैं। वे ऐसा केवल पहले (सुबह के) संस्करण के लिए ही करते हैं। इसके अतिरिक्त फ़्रांस,आयरलैण्ड,इटली,दक्षिण कोरिया,जापान,रूस,नीदरलैण्ड,जर्मनी,ब्राजील,कनाडा और अमेरिका में जोक्स का सिलसिला दिन भर चलता रहता है। 1 अप्रैल और मूर्खता के बीच सबसे पहला दर्ज किया गया संबंध चॉसर के कैंटरबरी टेल्स (1392) में पाया जाता है। कई लेखक यह बताते हैं कि 16वीं सदी में एक जनवरी को न्यू ईयर्स डे के रूप में मनाये जाने का चलन एक छुट्टी का दिन निकालने के लिए प्रारम्भ किया गया था किन्तु यह सिद्धान्त पुराने सन्दर्भों का उल्लेख नहीं करता है।【Photo Courtesy Google】

★ब्यूरो रिपोर्ट स्पर्श देसाई√•Metro City Post•News Channel•#अप्रैल फुल#वजह

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