*Metro...रोमन सम्राट नीरो (Nero) (राज्यकाल: 54–68 ईस्वी) इतिहास का एक विवादास्पद और अक्सर क्रूर शासक*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई
*Metro...रोमन सम्राट नीरो (Nero) (राज्यकाल: 54–68 ईस्वी) इतिहास का एक विवादास्पद और अक्सर क्रूर शासक*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई
【मुंबई/रिपोर्ट स्पर्श देसाई】रोमन सम्राट नीरो (Nero)(राज्यकाल: 54–68 ईस्वी)को इतिहास में एक विवादास्पद और अक्सर क्रूर शासक के रूप में याद किया जाता है। वह 'जूलियो-क्लॉडियन" वंश का अंतिम सम्राट था। उसकी छवि आमतौर पर नकारात्मक है लेकिन इतिहासकारों के बीच इस बात पर बहस होती रही है कि क्या वह वास्तव में इतना अत्याचारी था या उसे उसके विरोधियों द्वारा बदनाम किया गया?
•निरो के बारे में प्रमुख तथ्य:
-प्रारंभिक शासन:
निरो 16 साल की उम्र में सम्राट बनाथा। शुरुआती वर्षों में उसके सलाहकार सेनेका और बर्सस ने उसके शासन को संतुलित रखने में मदद की थी। इस दौरान उसने करों में कमी और गरीबों के लिए कल्याणकारी योजनाएँ बनाईं थी।
•क्रूरता के आरोप:
-परिवार के सदस्यों की हत्या: निरो ने अपनी माँ एग्रिप्पीना को मरवा डाला था क्योंकि वह उसकी शक्ति को चुनौती दे रही थी। अपनी पहली पत्नी ऑक्टेविया को निर्वासित करके मार डाला था और दूसरी पत्नी पापिया को गर्भवती अवस्था में पीटने के आरोप भी हैं।
-ईसाइयों पर अत्याचार: 64 ईस्वी में रोम की भीषण आग के बाद निरो ने ईसाइयों को दोषी ठहराया था और उन्हें यातनाएँ देकर मार डाला था।
-विद्रोहियों का दमन: उसने कई राजनीतिक विरोधियों को मृत्युदंड दिया था जिसमें सेनेका जैसे पूर्व सलाहकार भी शामिल थे।
-रोम की भीषण आग (64 ईस्वी):
-इस आग में रोम का बड़ा हिस्सा जलकर खाक हो गया था। कहा जाता है कि नीरो ने आग लगवाई ताकि वह नया महल "डोमस ऑरिया" (सुनहरा घर) बना सके लेकिन इसका कोई ठोस सबूत नहीं है। कुछ स्रोतों के अनुसार उसने आग बुझाने में मदद की थी और पीड़ितों के लिए आश्रय बनवाए लेकिन ईसाइयों को दोष देकर उसने अपनी छवि खराब कर ली थी।
•कला और संगीत के प्रति लगाव:
नीरो को कविता,संगीत और नाटकों में गहरी दिलचस्पी थी। वह स्वयं को एक महान कलाकार मानता था और सार्वजनिक रूप से प्रदर्शन करता था। जो रोमन अभिजात वर्ग को नागवार लगता था। इससे उसकी अलोकप्रियता बढ़ी थी।
•पतन और मृत्यु:
68 ईस्वी में सेना और सीनेट के विद्रोह के बाद नीरो को "जनता का दुश्मन" घोषित किया गया था। तब उसने आत्महत्या कर ली थी और मरते समय कहा था कि"क्या एक महान कलाकार मेरे साथ मर रहा है!"
• क्या नीरो वास्तव में इतना क्रूर था?
-इतिहासकारों के बीच इस पर मतभेद हैं:
-पारंपरिक दृष्टिकोण: प्राचीन स्रोत (जैसे टैसिटस, सुएटोनियस) निरो को एक पागल,निर्दयी और भ्रष्ट शासक बताते हैं। ये लेखक उसके शासन के बाद के थे और उन्होंने उसे राजनीतिक रूप से बदनाम करने वाली कहानियाँ लिखीं थी।
-आधुनिक विश्लेषण: कुछ इतिहासकार मानते हैं कि नीरो की क्रूरता को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया था। उदाहरण के लिए रोम की आग के दौरान उसका "लायर बजाना" संभवतः एक मिथक है क्योंकि लायर उस समय मौजूद नहीं था।
-राजनीतिक संदर्भ: नीरो ने अभिजात वर्ग के विशेषाधिकारों को कम किया था। जिससे उनके विरोधी उसके खिलाफ हो गए थे इसलिए उसकी छवि को जानबूझकर विकृत किया गया हो ऐसा हो सकता है।
•आखिर में: नीरो ने निश्चित रूप से हिंसक और निरंकुश निर्णय लिए लेकिन उसकी क्रूरता को प्राचीन प्रचार और ऐतिहासिक पूर्वाग्रहों ने बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया हो सकता है। आधुनिक शोध उसके शासन के जटिल पहलुओं को उजागर करते हैं। शजिसमें उसकी लोकहितैषी नीतियाँ भी शामिल हैं।
नीरो का जन्म 15 दिसंबर 37 ईस्वी को हुआ था।
उसका पूरा नाम "नीरो क्लॉडिअस सीज़र ऑगस्टस जर्मेनिकस' था।
वह जूलियो-क्लाउडियन राजवंश का पाँचवां और आखिरी सम्राट था।
उसने अपने दादा सम्राट क्लॉडियस की मृत्यु के बाद 13 अक्टूबर 54 ईस्वी को सम्राट बना लिया था।
वह अपने व्यक्तिगत दुराचार और अपव्यय के लिए कुख्यात था।
उसने ईसाइयों के उत्पीड़न का आदेश दिया था।
संदिग्ध साक्ष्यों के आधार पर उसे रोम को जलाने का भी आरोप है।
उसने अपनी पत्नी ऑक्टेविया और दूसरी पत्नी पापिया को मरवा दिया था।
उसने अपने गुरु सेनेका को आत्महत्या करने का आदेश दिया था।
नीरो की मृत्यु 9 जून, 68 ईस्वी को हुई थी।
नीरो की मृत्यु के बाद पूर्वी प्रांतों में लोगों का विश्वास था कि वह मरा नहीं है और वापस आ जाएगा।
इस विश्वास को "नीरो रेडिवस लीजेंड" के नाम से जाना जाता है।
नीरो ने अफ़्रीका में नील नदी के स्रोतों का पता लगाने के लिए एक छोटे समूह को भेजा था।【 Photos Courtesy Google】
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