*Metro...ट्रंप को अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करना है इसलिए टेरिफ योजना लागु की है*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई

*Metro...ट्रंप को अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करना है इसलिए टेरिफ योजना लागु की है*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई
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【मुंबई/ रिपोर्ट स्पर्श देसाई】ट्रंप की टेरिफ योजना के अनुसार अमेरिका उन देशों पर टैरिफ लगाएगा। जो अमेरिकी वस्तुओं पर अधिक शुल्क और व्यापार बाधाएं लगाते हैं। यह योजना 2 अप्रैल से लागू हो गई और इसका उद्देश्य अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करना है। इस योजना के तहत अमेरिका उन देशों पर टैरिफ लगाएगा जो अमेरिकी वस्तुओं पर अधिक शुल्क लगाते हैं। उदाहरण के लिए यदि कोई देश अमेरिकी वस्तुओं पर 10% का शुल्क लगाता है तो अमेरिका उस देश से आयातित वस्तुओं पर भी 10% का शुल्क लगाएगा । इस योजना का भारत पर भी प्रभाव पड़ सकता है क्योंकि भारत अमेरिका का एक बड़ा व्यापारिक साझेदार है हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि भारत के लिए स्पेशल टैरिफ की व्यवस्था की जाएगी । अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत,चीन और यूरोपीय संघ जैसे प्रमुख व्यापारिक साझेदारों के लिए नए अमेरिकी टैरिफ चार्ट की घोषणा की है। इस चार्ट के अनुसार कंबोडिया से आने वाले सभी सामानों पर 49% का उच्चतम टैरिफ लगेगा। ट्रम्प ने क्या कहा? व्हाइट हाउस के रोज़ गार्डन से अपने भाषण में ट्रम्प ने कहा कि अंततः वह अमेरिका को सर्वप्रथम रख रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि आज हम अमेरिकी श्रमिकों के साथ खड़े हैं और अब हम अमेरिका को सर्वप्रथम रख रहे हैं। ट्रंप ने आगे कहा कि हम बहुत अमीर बन सकते हैं शायद दुनिया के किसी भी देश से ज़्यादा। इस पर यकीन करना मुश्किल है लेकिन हम अभी समझदारी से काम ले रहे हैं। ट्रम्प ने घोषणा की कि अमेरिका में आने वाली लगभग सभी वस्तुओं पर कम से कम 10% कर लगाया जाएगा। जैसा कि चार्ट में दिखाया गया है। कुछ देशों पर कर और भी अधिक लगाया जाएगा। इन नए शुल्कों का सामना करने वाले देशों में अल्जीरिया पर सबसे अधिक 30% कर लगाया जाएगा । जबकि ओमान,उरुग्वे और बहामास को 10% कर देना होगा। लेसोथो को सबसे अधिक 50% टैरिफ का सामना करना पड़ेगा। जो अमेरिका की वहां व्यापार संबंधी समस्याओं को दर्शाता है। जबकि भारत में 26 प्रतिशत कर लगाया गया है। संयुक्त राज्य अमेरिका ने अमेरिकी बाजारों में प्रवेश करने वाले भारतीय सामानों पर 26 प्रतिशत पारस्परिक टैरिफ या आयात शुल्क की घोषणा की है। उद्योग के खिलाड़ियों और विशेषज्ञों ने कहा है कि शुल्क भारतीय सामानों के लिए चुनौतियां पैदा करेंगे लेकिन भारत की स्थिति अपने प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में तुलनात्मक रूप से अधिक अनुकूल है। इन मुद्दों और अमेरिकी कदम के निहितार्थों को समझाने के लिए यहां कुछ प्रश्न और उत्तर दिए गए हैं। भारत पर अमेरिका का क्या प्रभाव पड़ेगा? भारत से आने वाले सामान पर पहले से ही स्टील,एल्युमीनियम और ऑटो पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया जा रहा है। शेष उत्पादों के लिए भारत 5-8 अप्रैल के बीच 10 प्रतिशत के बेस लाइन टैरिफ के अधीन है फिर 9 अप्रैल से टैरिफ देश-विशिष्ट 27 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा। इन उपायों से 60 से अधिक देश प्रभावित हैं। अमेरिका ने इन टैरिफ की घोषणा क्यों की है? अमेरिका के अनुसार इन करों से अमेरिका में घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा और व्यापार घाटे में कमी आएगी। अमेरिका को कई देशों खासकर चीन के साथ भारी व्यापार असंतुलन का सामना करना पड़ रहा है। भारत के साथ अमेरिका का 2023-24 में वस्तुओं के मामले में 35.31 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार घाटा है। इन शुल्कों से किन सभी क्षेत्रों को छूट दी गई है? थिंक टैंक जीटीआरआई के विश्लेषण के अनुसार इनमें फार्मास्यूटिकल्स, सेमीकंडक्टर,तांबा जैसी आवश्यक और रणनीतिक वस्तुएँ और तेल,गैस,कोयला और एलएनजी जैसे ऊर्जा उत्पाद शामिल हैं। इन शुल्कों का भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा? एक सरकारी अधिकारी के अनुसार वाणिज्य मंत्रालय अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 26 प्रतिशत पारस्परिक शुल्कों के प्रभाव का विश्लेषण कर रहा है हालाँकि यह मिश्रित परिणाम है और भारत के लिए कोई झटका नहीं है। शीर्ष निर्यातक निकाय FIEO ने कहा कि शुल्क घरेलू खिलाड़ियों के लिए चुनौतियाँ पेश करते हैं लेकिन भारत की स्थिति अपने प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में तुलनात्मक रूप से अधिक अनुकूल बनी हुई है। निर्यातकों ने कहा कि प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौता घरेलू उद्योग को इन शुल्कों के संभावित प्रभाव से उबरने में मदद करेगा। जीटीआरआई ने कहा कि कुल मिलाकर अमेरिका की संरक्षणवादी टैरिफ व्यवस्था भारत के लिए वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पुनर्गठन से लाभ उठाने के लिए उत्प्रेरक का काम कर सकती है हालांकि इन अवसरों का पूरा लाभ उठाने के लिए भारत को व्यापार करने में आसानी बढ़ानी होगी। लॉजिस्टिक्स और बुनियादी ढांचे में निवेश करना होगा और नीति स्थिरता बनाए रखनी होगी। भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता क्या है? फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाशिंगटन यात्रा के दौरान दोनों देशों ने आगामी साल 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाने के उद्देश्य से इस समझौते पर बातचीत की घोषणा की हैं। वे इस साल की शरद ऋतु (सितंबर-अक्टूबर) तक इस समझौते के पहले चरण को अंतिम रूप देने का लक्ष्य बना रहे हैं। व्यापार समझौता क्या है? ऐसे समझौतों में दो व्यापारिक साझेदार या तो सीमा शुल्क को काफी कम कर देते हैं या उनके बीच व्यापार की जाने वाली अधिकतम वस्तुओं पर उन्हें खत्म कर देते हैं। वे सेवाओं और निवेश में व्यापार को बढ़ावा देने के लिए मानदंडों को भी आसान बनाते हैं। अमेरिका ने भारत के प्रतिस्पर्धी देशों पर कौन से टैरिफ घोषित किए हैं?  चीन पर 54 प्रतिशत, वियतनाम पर 46 प्रतिशत, बांग्लादेश पर 37 प्रतिशत और थाईलैंड पर 36 प्रतिशत। क्या ये पारस्परिक शुल्क WTO के अनुरूप हैं? अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञ अभिजीत दास के अनुसार ये शुल्क स्पष्ट रूप से विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों का उल्लंघन करते हैं। उन्होंने कहा कि यह MFN (सबसे पसंदीदा राष्ट्र) दायित्वों और बाध्य दर प्रतिबद्धताओं दोनों का उल्लंघन करता है और WTO के सदस्य देश को WTO के विवाद निपटान तंत्र में इन शुल्कों के खिलाफ जाने का पूरा अधिकार है। भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार क्या है? 2021-22 से 2023-24 तक अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था। भारत के कुल माल निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी लगभग 18 प्रतिशत, आयात में 6.22 प्रतिशत और द्विपक्षीय व्यापार में 10.73 प्रतिशत है। अमेरिका के साथ भारत का 2023-24 में वस्तुओं में 35.32 बिलियन अमरीकी डॉलर का व्यापार अधिशेष (आयात और निर्यात के बीच का अंतर) था। यह 2022-23 में 27.7 बिलियन अमरीकी डॉलर, 2021-22 में 32.85 बिलियन अमरीकी डॉलर, 2020-21 में 22.73 बिलियन अमरीकी डॉलर और 2019-20 में 17.26 बिलियन अमरीकी डॉलर था। साल2024 में, अमेरिका को भारत के मुख्य निर्यात में दवा निर्माण और जैविक उत्पाद (8.1 बिलियन अमरीकी डॉलर),दूरसंचार उपकरण (6.5 बिलियन अमरीकी डॉलर), कीमती और अर्ध-कीमती पत्थर (5.3 बिलियन अमरीकी डॉलर), पेट्रोलियम उत्पाद (4.1 बिलियन अमरीकी डॉलर), सोना और अन्य कीमती धातु के आभूषण (3.2 बिलियन अमरीकी डॉलर), सहायक उपकरण सहित कपास के तैयार वस्त्र (2.8 बिलियन अमरीकी डॉलर) और लोहा और इस्पात के उत्पाद (2.7 बिलियन अमरीकी डॉलर) शामिल हैं। आयात में कच्चा तेल (4.5 बिलियन अमरीकी डॉलर), पेट्रोलियम उत्पाद (3.6 बिलियन अमरीकी डॉलर),कोयला,कोक (3.4 बिलियन अमरीकी डॉलर), कटे और पॉलिश किए हुए हीरे (2.6 बिलियन अमरीकी डॉलर), इलेक्ट्रिक मशीनरी (1.4 बिलियन अमरीकी डॉलर), विमान, अंतरिक्ष यान और उसके पुर्जे (1.3 बिलियन अमरीकी डॉलर) तथा सोना (1.3 बिलियन अमरीकी डॉलर) शामिल थे। डोनाल्ड ट्रंप की यह टैरिफ योजना 2 अप्रैल से लागू हो गई हैं। उनके प्रमुख बिंदुओं पर नजर डाले तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल 2025 से "रेसिप्रोकल टैरिफ" (पारस्परिक शुल्क) की एक नई व्यापार नीति लागू की है। जिसका उद्देश्य अमेरिकी उद्योगों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा से बचाना और व्यापार घाटे को कम करना है। यह योजना कई देशों जिनमें भारत,चीन,यूरोपीय संघ, कनाडा और मेक्सिको शामिल हैं।उन देशों को यह टेरिफ योजना  प्रभावित करती है। आइए इस योजना के प्रमुख पहलुओं को समझें:

•रेसिप्रोकल टैरिफ का मतलब:
-"जैसे को तैसा" नीति: यह नीति उन देशों पर अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ के समान शुल्क लगाती है। जो अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ लगाते हैं। उदाहरण के लिए यदि कोई देश अमेरिकी सामान पर 10% टैरिफ लगाता है तो अमेरिका भी उस देश के सामान पर 10% टैरिफ लगाएगा ।  
-उद्देश्य: अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करना,घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देना और "अनुचित" व्यापार प्रथाओं का जवाब देना ।  

•प्रभावित देश और सेक्टर:
-भारत पर प्रभाव:  
-फार्मास्यूटिकल्स: अमेरिका में बिकने वाली 50% जेनेरिक दवाएं भारत से आती हैं। टैरिफ से इनकी लागत बढ़ सकती है। जिससे अमेरिकी उपभोक्ताओं पर असर पड़ेगा ।  
-ऑटोमोबाइल और पार्ट्स: 25% टैरिफ से भारतीय कंपनियों को निर्यात में झटका लग सकता है क्योंकि भारत प्रतिवर्ष $1.5 बिलियन मूल्य के ऑटो पार्ट्स अमेरिका भेजता है ।  
-इलेक्ट्रॉनिक्स और ज्वैलरी: इन सेक्टर्स में भी महत्वपूर्ण निर्यात प्रभावित होने की आशंका है ।  
-अन्य देश: चीन,कनाडा,मेक्सिको और यूरोपीय संघ जैसे देश भी प्रभावित होंगे। यूरोपीय संघ ने अमेरिकी उत्पादों पर 28 अरब डॉलर के टैरिफ की घोषणा की है ।  

•टैरिफ से छूट की संभावना:
-समझौतों का दरवाजा खुला: ट्रंप ने स्पष्ट किया कि जो देश अमेरिका के साथ व्यापार समझौते करने को तैयार हैं। उन्हें टैरिफ से छूट मिल सकती है। यूरोपीय संघ पहले ही ऐसे समझौते का मसौदा तैयार कर रहा है ।  
-भारत की कोशिश: भारत ने $23 बिलियन के आयात पर टैरिफ कम करने का प्रस्ताव रखा है ताकि अमेरिका से छूट मिल सके ।  

•आर्थिक और व्यापारिक प्रभाव:  
- वैश्विक व्यापार युद्ध का खतरा: बढ़ते टैरिफ से व्यापारिक तनाव बढ़ सकता है। चीन और यूरोपीय संघ जैसे देश पहले ही जवाबी कदम उठा चुके हैं ।  
-भारत के लिए चुनौतियाँ:  
-निर्यात में गिरावट: भारत के $31 बिलियन के निर्यात पर असर हो सकता है।  जिससे जीडीपी में 3-3.5% की कमी आ सकती है ।  
-शेयर बाजार में उथल-पुथल:फार्मा और ऑटो सेक्टर की कंपनियों के शेयर प्रभावित हो सकते हैं ।  

-अमेरिका को लाभ: ट्रंप के अनुसार इस नीति से अमेरिकी उत्पादन और रोजगार बढ़ेगा ।  

•दीर्घकालिक परिदृश्य:
-भारत के लिए अवसर: घरेलू विनिर्माण और इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश को बढ़ावा मिल सकता है। भारत "ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब" बनने की दिशा में आगे बढ़ सकता है ।  
-वैश्विक व्यापार संबंधों में बदलाव: टैरिफ युद्ध से अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक गठजोड़ और आपूर्ति श्रृंखलाएं प्रभावित हो सकती हैं ।  
•आखिर में:
ट्रंप की यह योजना अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करने और घरेलू उद्योगों को सुरक्षा देने की रणनीति है लेकिन इसके वैश्विक प्रभाव गहरे हैं। भारत जैसे देशों के लिए यह चुनौतीपूर्ण है ।


★ब्यूरो रिपोर्ट स्पर्श देसाई√•Metro City Post•News Channel•#ट्रंप#टेरिफ#भारत

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