*Metro...दूसरे विश्व यूद्ध का इतिहास: रूस का विक्टरी डे,रूस में इसे 1941-1945 के महान देशभक्ति पूर्ण युद्ध के रूप में संदर्भित किया जाता है*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई
*Metro...दूसरे विश्व यूद्ध का इतिहास: रूस का विक्टरी डे,रूस में इसे 1941-1945 के महान देशभक्ति पूर्ण युद्ध के रूप में संदर्भित किया जाता है*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई
【मुंबई/रिपोर्ट स्पर्श देसाई】विजय दिवस यूरोप में विनाशकारी द्वितीय विश्व युद्ध के अंत का प्रतीक है। जब सोवियत की लाल सेना यानि रेड़ आर्मी ने नाजी जर्मनी को हराया था और बर्लिन पर कब्ज़ा किया था। इस मौके पर रूस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 9 मई को वार्षिक विजय दिवस परेड के लिए आमंत्रित किया है। जो देश के कैलेंडर का सबसे महत्वपूर्ण दिन है। यह दिन मित्र देशों की सेनाओं के सामने नाजी जर्मनी के आत्मसमर्पण का प्रतीक है। जिसने यूरोप में तीन महाद्वीपों में 6 वर्षों तक लड़े गए द्वितीय विश्व युद्ध को समाप्त कर दिया था।
जर्मनों ने 8 मई 1945 को दिन के अंत में आत्मसमर्पण किया था। जो अगले दिन मास्को में था। 9 मई 2025 को आत्मसमर्पण की 80वीं वर्षगांठ है। नाजी जर्मनी के खिलाफ युद्ध में 27 मिलियन रूसी मारे गए थे। जो किसी भी मित्र देशों की सेना से सबसे बड़ी संख्या है। इस महत्वपूर्ण घटना की याद में हर साल रेड स्क्वायर पर एक भव्य परेड आयोजित की जाती है। पुतिन युग में इस अवसर को और भी धूमधाम और जोश के साथ मनाया जाता है। भारत के सशस्त्र बलों ने साल 2020 में परेड में भाग लिया था। द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटेन के लिए लड़ते हुए 87,000 भारतीय सैनिक मारे गए थे। इस साल रूस ने भारत, चीन,इज़राइल,स्लोवाकिया,सर्बिया को परेड में आमंत्रित किया है।
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग परेड में विशेष आमंत्रित होंगे। युद्ध के अंत में रेड आर्मी ने बर्लिन की लड़ाई में जर्मनी को हराया था और बर्लिन शहर पर कब्जा कर लिया था। एडॉल्फ हिटलर ने एक भूमिगत बंकर में आत्महत्या कर ली थी और नाजी संसद रीचस्टैग पर सोवियत ध्वज फहराया गया था। एक सोवियत फोटोग्राफर द्वारा लिया गया झंडा फहराने का चित्र आत्मसमर्पण की परिभाषित छवि बन गया था।
नाजी जर्मनी ने 8 मई 1945 को रात 11.01 बजे बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया था। यह दिन ब्रिटेन,फ्रांस और अमेरिका में यूरोप में विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। रूस में इसे 1941-1945 के महान देशभक्ति पूर्ण युद्ध के रूप में संदर्भित किया जाता है। दिलचस्प बात यह है कि रूस ने 80वीं वर्षगांठ के स्मरणोत्सव में अमेरिका या किसी भी यूरोपीय देश को आमंत्रित नहीं किया है।
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