√● कृषि कानूनों के विरोध करते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि आज देश में त्रासदी जारी है / रिपोर्ट स्पर्श देसाई
√● कृषि कानूनों के विरोध करते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि आज देश में त्रासदी जारी है / रिपोर्ट स्पर्श देसाई
【मुंबई / रिपोर्ट स्पर्श देसाई 】कांग्रेसी नेता राहुल गांधी ने एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि देश में आज एक त्रासदी सामने आ रही है । सरकार इस मुद्दे को नजरअंदाज करना चाहती है। जाहिर हैं कि उनका इशारा मोदी की ओर था । कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने नई दिल्ली में एआईसीसी कार्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर कहा था।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 19 जनवरी मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कृषि क्षेत्र पर एकाधिकार करने का आरोप लगाया था । इसके मद्देनजर उन्होंने विवादास्पद कृषि कानूनों को लेकर केंद्र के खिलाफ अपने हमले के तेज कर दिए थे ।
दौरान राहुल गांधी ने मंगलवार को पिछले साल सितंबर में अधिनियमित कानून के नुकसान को उजागर करने के लिए एक पुस्तिका जारी की थी । राहुल गांधी ने ‘किसानों की पीड़ा’ पर ‘खेती का खून’ शीर्षक से एक बुकलेट जारी की. उन्होंने कहा, ‘‘देश में एक त्रासदी पैदा हो रही है । सरकार इस त्रासदी को नजरअंदाज करना चाहती है और लोगों को गुमराह करना चाहती है. किसानों का संकट इस त्रासदी का एक हिस्सा मात्र है । देश में आज एक त्रासदी सामने आ रही है । सरकार इस मुद्दे को नजरअंदाज करना चाहती है और देश को गलत समझना चाहती है । उन्होंने पुस्तिका रिलीज के बाद उस सभा सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था। उन्होंने आगे कहाकि, मैं अकेला ही किसानों के बारे में बोलने वाला नहीं हूं क्योंकि यह त्रासदी का हिस्सा है। यह युवाओं के लिए महत्वपूर्ण है। यह वर्तमान के बारे में नहीं है बल्कि आपके भविष्य के बारे में भी महत्वपूर्ण दौर है।" उन्होंने कहा, आज हर उद्योग तीन से पांच (जैसे उधोगपतियों ) लोगों के एकाधिकार में है। चाहे वह हवाई अड्डा हो, दूरसंचार या बिजली हो। अब मोदी सरकार कृषि क्षेत्र उन चार से पांच उद्योगपतियों को भी देना चाहती है।
इस कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि नए कृषि सुधारों को भारत के कृषि क्षेत्र को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस देश में सबसे बड़ा व्यवसाय कृषि है। हमारे देश के साठ प्रतिशत लोग कृषि में लगे हुए हैं और मूल्य के मामले में कृषि अब तक की सबसे बड़ा महत्व रखती है। । उन्होंने कहा कि तीन नए कानून पारित किए गए हैं। वे मंडी, आवश्यक वस्तु और अधिनियम और इसे सुनिश्चित करके कृषि को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं कि कोई भी भारतीय किसान अदालत में अपनी रक्षा करने के लिए नहीं जा सकता है । उन्होंने कहा था । गांधी ने आगे कहा था कि हम पहले से ही एक अर्थव्यवस्था थे, अब हम हांसी के पात्र हैं। किसान 50 से अधिक दिनों से कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं और सरकार ने अब तक नौ दौर की वार्ता की है। हालांकि यह मामले में कोई भी प्रस्ताव लाने में विफल रहा है। किसान उन कानूनों को निरस्त करने की मांग पर अड़े हैं जिन्हें सरकार ने अस्वीकार कर दिया है और कानून में संशोधन करने की अपनी पेशकश पर अडिग हैं। पिछली बैठक में केंद्र ने सुझाव दिया था कि यूनियन अपनी अगली बैठक में आगे की चर्चा के लिए तीन कृषि कानूनों पर एक ठोस प्रस्ताव तैयार करने के लिए अपने स्वयं के अनौपचारिक समूह का गठन करते हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी आश्वासन दिया है कि सरकार इस प्रस्ताव को "खुले दिमाग" से सुनेगी। केंद्र ने किसानों के साथ मंगलवार को होने वाली बातचीत के दसवें दौर तक स्थगित कर दिया गया । यह बैठक अब 20 जनवरी को होगी।
यह सभी किसान उत्पादक व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020 के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं । मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 पर किसान सशक्तिकरण और संरक्षण समझौता हैं । कांग्रेस नेता के मुताबिक, पंजाब और हरियाणा के किसान इस देश के रक्षक हैं । वे कृषि क्षेत्र को कुछ लोगों के हाथ में जाने से रोकने के लिए लड़ रहे हैं । उन्होंने आगे कहा कि सरकार को लगता है कि किसानों को थकाया जा सकता है और उनको बेवकूफ बनाया जा सकता है । किसान प्रधानमंत्री से ज्यादा होशियार हैं । समाधान एक ही होगा कि तीनों कानूनों को वापस लेना होगा । उन्होंने आखिर में कहा था ।
★ब्यूरो रिपोर्ट स्पर्श देसाई √●Metro City Post●News Channel●
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