*भारत प्रत्येक वर्ष 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी के जन्म के सम्मान में गांधी जयंती मनाता है*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई
*भारत प्रत्येक वर्ष 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी के जन्म के सम्मान में गांधी जयंती मनाता है*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई
【मुंबई/रिपोर्ट स्पर्श देसाई】भारत प्रत्येक वर्ष 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी के जन्म के सम्मान में गांधी जयंती मनाता है। यह दिन न केवल महात्मा गांधी की Legacy को मान्यता देने के लिए है बल्कि इसे अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस है। महामानव गांधी जी का योगदान स्वतंत्रता संग्राम और अहिंसा के सिद्धांतों के लिए उन्हें श्रद्धांजलि देने का यह एक महत्वपूर्ण अवसर है। महात्मा गांधी का सत्याग्रह एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली आंदोलन था। जिसका उद्देश्य सामाजिक और राजनीतिक अन्याय के खिलाफ अहिंसक तरीके से विरोध करना था। सत्याग्रह का अर्थ है "सत्य की शक्ति" या "सत्य का आग्रह यह सिद्धांत विकसित किया कि सच्चाई (सत्य) और अहिंसा (अहिंसा) को अपने संघर्ष का मूल बनाना चाहिए। उनका मानना था कि अन्याय के खिलाफ खड़ा होना आवश्यक है लेकिन इसका पालन अहिंसक तरीके से किया जाना चाहिए। उन्होंने सत्याग्रह के माध्यम से विभिन्न आंदोलनों का संचालन किया । जैसे:
-**चंपारण सत्याग्रह (1917)**: यह आंदोलन बिहार के चंपारण जिले में नील. **खिलाफत आंदोलन और इसे हिंदू-मुस्लिम एकता का एक उदाहरण माना गया।
-**सामाजिक सुधार आंदोलन**: गांधी जी ने जातिवाद और उसके खिलाफ आवाज उठाने के लिए भी सत्याग्रह का सहारा लिया।
- **भारत छोड़ो आंदोलन (1942)**: यह एक बड़ा राष्ट्रीय आंदोलन था, जिसमें गांधी जी ने ब्रिटिश राज के खिलाफ सभी भारतीयों को एकजुट होने का आह्वान किया।
गांधी जी के सत्याग्रह ने दुनिया भर में खलबली मचा दी थी।
भारत स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण अध्यायों में विचार और सुझावों को गंभीरता से नहीं लिया गया।
- **दूसरी गोलमेज़ परिषद (1931)**: इस बार भी गांधी जी ने भाग लिया लेकिन इस बार वह एक गवर्नर जनरल के साथ समझौते के लिए बातचीत करने आए थे। इस दौरान गांधी जी ने विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ मिलकर चर्चा की लेकिन किसी ठोस परिणाम तक नहीं पहुँच सके।
-**तीसरी गोलमेज़ परिषद (1932)**: यह परिषद गांधी जी के लिए कम महत्वपूर्ण रही। इस समय गांधी जी को नमक कानून तोड़ने के आरोप में जेल में डाल दिया गया था। इसके बाद इस परिषद का उद्देश्य भारतीय राजनीति के विभिन्न वर्गों के बीच समझौता स्थापित करना था लेकिन यह भी सफल नहीं हो पाई।
गोलमेज़ी परिषद ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में विभाजन और आपसी सामंजस्य की समस्याओं को उजागर किया था। गांधी जी ने हमेशा सभी वर्ग का नेतृत्व किया था।
गांधी जयंती के अवसर पर आइए, महात्मा गांधी के कुछ प्रसिद्ध उद्धरणों को याद करें जो हमें अपने जीवन में सफल होने में मदद कर सकते हैं। भारत प्रत्येक वर्ष 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी के जन्म के सम्मान में गांधी जयंती मनाता है । जिन्हें राष्ट्रपिता के रूप में भी जाना जाता है। महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अहिंसक दृष्टिकोण अपनाया । जो दुनिया भर के लोगों के लिए प्रेरणा बन गया। प्रेम और सहिष्णुता की शक्ति में गांधी के अटूट विश्वास को गांधी जयंती के पालन के माध्यम से विश्व स्तर पर मनाया जाता है। यह वार्षिक कार्यक्रम उनकी विरासत का सम्मान करता है और एक व्यक्ति द्वारा दुनिया पर किए जा सकने वाले प्रभाव की याद दिलाता है। इस लेख में हमने महात्मा गांधी के शीर्ष 11 प्रेरणादायक उद्धरणों की एक सूची तैयार की है । जो व्यक्तिगत विकास,शांति और सामाजिक परिवर्तन चाहने वाले व्यक्तियों के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत बन गए हैं। 'राष्ट्रपिता' के शीर्ष 11 प्रेरक उद्धरण जो आज हमारा मार्गदर्शन करते हैं।
1. "दुनिया में जो बदलाव आप देखना चाहते हैं, वह खुद बनें"।
2. "आंख के बदले आंख पूरी दुनिया को अंधा बना देगी"।
3. "खुद को खोजने का सबसे अच्छा तरीका है दूसरों की सेवा में खुद को खो देना"।
4. "खुशी तब होती है जब आप जो सोचते हैं, जो कहते हैं और जो करते हैं, सबमें सामंजस्य हो"।
5. "जहाँ प्यार है, वहाँ जीवन है"।
6. "आपको वह बदलाव खुद बनना चाहिए जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं"।
7. "कमज़ोर कभी माफ़ नहीं कर सकते। माफ़ी मज़बूत लोगों का गुण है"।
8. "एक सौम्य तरीके से, आप दुनिया को हिला सकते हैं"।
9. "सच्चे, सौम्य और निडर बनें"।
10. "असहिष्णुता अपने आप में हिंसा का एक रूप है और एक सच्ची लोकतांत्रिक भावना के विकास में बाधा है"।
11. "ताकत जीतने से नहीं आती। जब आप कठिनाइयों से गुजरते हैं और हार न मानने का निर्णय लेते हैं तो यही ताकत है।”
आज का भारत गांधी जी के विचारों और सिद्धांतों से गहराई से प्रभावित है हालांकि कई पहलुओं में समाज और राजनीति में बदलाव आया है। गाँधी जी ने अहिंसा,सत्य और सामाजिक समानता के आदर्शों पर बल दिया था । जो आज भी भारतीय समाज के मूलभूत मूल्यों में शामिल हैं।
- ** अहिंसा का सिद्धांत**: आज भी गांधी जी का अहिंसा का सिद्धांत कई आंदोलनों और सामाजिक संघर्षों में प्रेरणा का स्रोत हैाद और सामाजिक भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई थी। आज भी, भारत में सामाजिक न्याय और समानता की ओर कदम बढ़ाए जा रहे हैं, लेकिन इसके लिए संघर्ष जारी है।
-** सत्याग्रह**: गांधी जी के सत्याग्रह के तरीके का उपयोग आधुनिक समय में कई सामाजिक-राजनीतिक आंदोलनों में किया जा रहा है। जैसे कि किसान आंदोलन, महिला अधिकारों के लिए आंदोलन आदि।
- ** स्वराज्य और आत्मनिर्भरता** ने कई योजनाएँ शुरू की हैं जो देश को आत्मनिर्भर बनाने के लक्ष्य को साधती हैं।
- ** पर्यावरण और सतत विकास**: गांधी जी ने प्रकृति के साथरहे और विकास की गति को बनाएं रखने में कार्यरत रहे।
महात्मा गांधी के विचारों का विकासशील भारत पर गहरा प्रभाव पड़ा है। उनका दृष्टिकोण समाज में समानता, स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए केंद्र हैं।
-** सामाजिक न्याय:** गांधी जी ने जाति व्यवस्था और सामाजिक भेदभाव के खिलाफ जोरदार आवाज उठाई। उन्होंने हर व्यक्ति के अधिकारों और समानता के महत्व को रेखांकित किया था। जिससे विकासशील भारत में सामाजिक न्याय को स्थापित करने की दिशा में कदम उठाए गए।
-** आत्मनिर्भरता (स्वदेशी आंदोलन): ** गांधी जी का " अपने उत्पादों का उपयोग करने और विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार के लिए प्रेरित किया था। यह विचार आज भी मेकर इंडिया को मशहूर सत्याग्रह के माध्यम से अहिंसात्मक प्रतिरोध का उपयोग किया था। यह पद्धति आज भी विभिन्न सामाजिक-राजनीतिक आंदोलनों जैसे किसान आंदोलन और महिला अधिकारों के लिए आंदोलनों में देखी जाती है।
-** पर्यावरण संरक्षण:** गांधी जी ने प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता को समझा। उनके विचारों के अनुसार विकास को प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग के सिद्धांतों के अनुसार होना चाहिए। आज पर्यावरण और सतत विकास के मुद्दे इसी दिशा में बढ़ते जा रहे।
महात्मा गांधी की मौत 30 जनवरी 1948 को हुई। उस दिन वे नई दिल्ली में बिड़ला हाउस (अब गांधी स्मृति) में थे। गांधीजी अपनी दैनिक प्रार्थना सभा के लिए जा रहे थे। तभी नाथूराम गोडसे नामक एक व्यक्ति ने उनकी हत्या कर दी थी। गांधी जी के अंतिम क्षणों में उन्होंने भगवान का नाम लिया और अपने अनुयायियों को शांति और अहिंसा का संदेश देते रहे। उनके अंतिम शब्द "हे राम" थे। उनकी हत्या पूरे देश में सदमे और ग़म का कारण बनी और उनकी विचारधारा और सिद्धांतों को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित कई आंदोलन शुरू हुए। गांधी जी की मौत मानवता के लिए एक बड़ी क्षति थी लेकिन उनके सिद्धांत आज भी लोगों के दिलों में जीवित हैं।
-** प्रार्थना सभा**: विशेष प्रार्थना सभाओं का आयोजन करें, जहां लोग एक साथ मिलकर गांधी जी की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना कर सकें।
-** गांधी जी के विचारों का प्रचार **: उनके सिद्धांतों, जैसे कि अहिंसा, सच्चाई, और साम्प्रदायिक सद्भाव को आगे बढ़ाने का प्रयास करें। उनके उद्धरणों को साझा करें और चर्चा करें।
-** सामाजिक कार्य**: उनके मानवता के प्रति समर्पण को याद करते हुए किसी सामाजिक का एक महत्वपूर्ण तरीका है।
-** मूर्तियों और स्मारकों पर फूल चढ़ाना**: गांधी जी की मूर्तियों या स्मारकों पर जाकर उन्हें पुष्प अर्पित करें।
-** कला और साहित्य **: गांधी जी पर आधारित निबंध, कविताएं या चित्रण करें । जिससे उनकी विरासत को संरक्षित किया जा सके।
-** चर्चा और संगोष्ठियाँ**: उनके जीवन और कार्यों पर चर्चा करने के लिए संगोष्ठियों का आयोजन करें। जिसमें उनके योगदान और वर्तमान समाज पर उनके प्रभाव पर बात की जा सके।
इन तरीकों से हम गांधी जी को न केवल श्रद्धांजलि देते है पर उनके कार्यों को भी नमन करते हैं।【Photos by Google】
★ब्यूरो रिपोर्ट स्पर्श देसाई √•Metro City Post•News Channel•#गांधी जयंती#सत्य की जीत
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