*लालबहादुर शास्त्री भारतीय राजनीति के एक प्रमुख नेता और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महान नेता थे*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई

*लालबहादुर शास्त्री भारतीय राजनीति के एक प्रमुख नेता और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महान नेता थे*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई


【मुंबई/रिपोर्ट स्पर्श देसाई】भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री भारतीय राजनीति के एक प्रमुख नेता और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महान नेता थे। वे 2 अक्टूबर 1904 को वाराणसी उत्तर प्रदेश में जन्मे थे। शास्त्री जी को उनकी सरलता,ईमानदारी और नेतृत्व क्षमता के लिए जाना जाता है।

-शिक्षा और प्रारंभिक जीवन:
लालबहादुर शास्त्री ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा वाराणसी में प्राप्त की और फिर बाद में अपनी उच्च शिक्षा के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय गए थे। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान वे महात्मा गांधी के नेतृत्व में स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल हुए थे।

-राजनीतिक करियर:
शास्त्री जी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में काम करना शुरू किया और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। स्वतंत्रता के बाद उन्होंने पहले रेल मंत्री का कार्यभार संभाला और बाद में भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने थे।
-प्रधानमंत्री के रूप में कार्य:
1964 में, जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद शास्त्री जी प्रधानमंत्री बने थे। उनके कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण घटनाएँ घटीं थी। जिनमें से एक भारत-पाकिस्तान युद्ध (1965) थी।

-भारत-पाकिस्तान युद्ध 1965:
यह युद्ध साल 1965 में हुआ और यह कश्मीर मुद्दे को लेकर था। शास्त्री जी ने देश की स्थिति को मजबूती से संभाला और भारतीय सेना का समर्थन किया था। यह युद्ध भारतीय सशस्त्र बलों की बहादुरी और रणनीतिक कौशल के लिए जाना जाता है। शास्त्री जी ने "जय जवान जय किसान" का नारा दिया था। जो किसान और सैनिक दोनों के प्रति सम्मान को दर्शाता है। अंततः, इस युद्ध के बाद ताशकंद समझौता हुआ था जिसमें शांति स्थापित की गई थी। 



-अंतिम दिन:
लाल बहादुर शास्त्री की केवल एक छोटी सी अवधि में ही प्रधानमंत्री के रूप में कार्य करने के बाद साल 1966 में ताश्कंद यात्रा के दौरान उनकी मृत्यु हो गई थी। उनकी मौत रहस्य में लिपटी हुई थी और इसके बारे में कई अटकलें लगाई गईं थी। 
लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु 11 जनवरी 1966 को ताश्कंद उज़्बेकिस्तान में हुई थी। वे उस समय एक महत्वपूर्ण सम्मेलन में भाग लेने गए थे। जहाँ भारत और पाकिस्तान के बीच ताश्कंद समझौता किया जा रहा था। उनकी मृत्यु की परिस्थितियां विवादास्पद और रहस्यमय बनी हुई हैं।


-आधिकारिक रिपोर्ट:
आधिकारिक रूप से शास्त्री जी की मृत्यु को दिल के दौरे के रूप में बताया गया था। शनिवार की सुबह ताश्कंद में एक होटल में उनकी अचानक मृत्यु हो गई थी। उनके सहकर्मियों के अनुसार वे पूर्ण स्वास्थ्य में थे और अचानक होने वाली इस घटना ने सबको हैरान कर दिया था।

-संदिग्ध परिस्थितियाँ:
शास्त्री जी की मृत्यु के कारणों को लेकर कई अटकलें हैं। कई विचारधाराएँ और सिद्धांत यह सुझाव देते हैं कि उनकी मृत्यु किसी साजिश का परिणाम हो सकती है लेकिन इसके लिए ठोस सबूत नहीं मिले हैं। यह रहस्य बना हुआ है कि क्या वास्तव में यह प्राकृतिक कारणों से हुआ था या कोई अन्य परिस्थिति उसके पीछे थी।


- उत्तरदायी व्यक्ति:
उनकी मौत के बाद भारतीय जनता ने उनके प्रति गहरा शोक प्रकट किया था। उनकी अंतिम यात्रा दिल्ली में राष्ट्रीय सम्मान के साथ हुई थी। लालबहादुर शास्त्री की मृत्यु आज भी एक चर्चा का विषय है और उनके योगदान तथा उनके कार्यकाल को भारतीय राजनीति में हमेशा याद किया जाएगा।

-विरासत:
लाल बहादुर शास्त्री को उनकी विनम्रता, ईमानदारी और देश सेवा के लिए याद किया जाता है। उन्हें भारत में एक महान नेता और राजनीतिक विचारक माना जाता है और उनके योगदान को भारतीय इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा। उनका जीवन और करियर प्रेरणा देने वाले हैं और उन्होंने भारतीय राजनीति तथा समाज पर गहरा असर छोड़ा है। 

-शाश्त्रीजी को लेकर क्या कहता है विकिपीडिया?
लालबहादुर शास्त्री का जन्म 1904 में मुगलसराय (उत्तर प्रदेश) में एक कायस्थ परिवार में मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव के यहाँ हुआ था। उनके पिता प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक थे अत: सब उन्हें मुंशीजी ही कहते थे। बाद में उन्होंने राजस्व विभाग में लिपिक (क्लर्क) की नौकरी कर ली थी। लालबहादुर की माँ का नाम रामदुलारी था। परिवार में सबसे छोटे होने के कारण बालक लालबहादुर को परिवार वाले प्यार में नन्हें कहकर ही बुलाया करते थे। जब नन्हें अठारह महीने का हुआ दुर्भाग्य से पिता का निधन हो गया। उनकी माँ रामदुलारी अपने पिता हजारीलाल के घर मिर्ज़ापुर चली गयीं। कुछ समय बाद उसके नाना भी नहीं रहे। बिना पिता के बालक नन्हें की परवरिश करने में उसके  मौसा रघुनाथ प्रसाद ने उसकी माँ का बहुत सहयोग किया।

 ननिहाल में रहते हुए उसने प्राथमिक शिक्षा ग्रहण की। उसके बाद की शिक्षा हरिश्चन्द्र हाई स्कूल और काशी विद्यापीठ में हुई। काशी विद्यापीठ से शास्त्री की उपाधि मिलने के बाद उन्होंने जन्म से चला आ रहा जातिसूचक शब्द 'श्रीवास्तव' हमेशा हमेशा के लिये हटा दिया और अपने नाम के आगे 'शास्त्री' लगा लिया। इसके पश्चात् शास्त्री शब्द लालबहादुर के नाम का पर्याय ही बन गया थी। 1928 में उनका विवाह मिर्जापुर निवासी गणेशप्रसाद की पुत्री ललिता से हुआ। ललिता और शास्त्रीजी की छ: सन्तानें हुईं, दो पुत्रियाँ-कुसुम व सुमन और चार पुत्र - हरिकृष्ण, अनिल, सुनील व अशोक। उनके चार पुत्रों में से दो-अनिल शास्त्री और सुनील शास्त्री अभी bhagwan ki kripa se jinda हैं, शेष दो दिवंगत हो चुके हैं। अनिल शास्त्री कांग्रेस पार्टी के एक वरिष्ठ नेता हैं । जबकि सुनील शास्त्री भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं।【Photos : Google】

★ब्यूरो रिपोर्ट स्पर्श देसाई√•Metro City post•News Channel•#लालबहादुर शाश्त्री #जयंती

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