*सर रतन टाटा का मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन होने से सन्नाटा छा गया,उधोग जगत में शोक की लहर दौड़ गई*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई
*सर रतन टाटा का मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन होने से सन्नाटा छा गया,उधोग जगत में शोक की लहर दौड़ गई*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई
【मुंबई/रिपोर्ट स्पर्श देसाई】टाटा समूह के चेयरमैन सर रतन टाटा का 9 अक्टूबर बुधवार को निधन हो गया। इस तरह देश ने अपने एक अनमोल रत्न को खो दिया हैं। इसी कारण पूरे देश में शोक का माहौल है। मुंबई की ब्रीच कैंडी अस्पताल में सर रतन टाटा का निधन हो गया । वह 86 साल के थे। वह पिछले कई दिनों से बिमार चल रहे थे। उनके निधन पर फिल्म अभिनेत्री श्रद्धा कपूर व दूसरे अदाकारों ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि सर रतन टाटा ने हमें दिखाया कि सच्ची सफलता का मापदंड उन लोगों के जीवन से है। जिन्हें हम छूते हैं । उनकी प्रेरणा और दयालुता ने कई लोगों को प्रभावित किया और वे हमेशा याद किए जाएंगे। सर रतन टाटा एक महान उद्योगपति और समाज सेवक थे, जिनका निधन भारतीय उद्योग और समाज के लिए एक बड़ी क्षति है । वह टाटा समूह के अध्यक्ष रह चुके हैं और उनका जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में हुआ था। वह एक महान नेता और परोपकारी उधोगपति थे । जिन्होंने टाटा समूह को वैश्विक स्तर पर पहुंचाया और कई नए व्यवसाय शुरू किए थे। विकिपीडिया के अनुसार सर रतन टाटा एक भारतीय उद्योगपति और टाटा समूह के अध्यक्ष थे। उनका जन्म 28 दिसंबर1937 को मुंबई में हुआ था। वह टाटा समूह के अध्यक्ष रह चुके थे और वर्तमान में टाटा ट्रस्ट्स के अध्यक्ष थे। विकिपीडिया के अनुसार सर रतन टाटा के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं:
- शिक्षा: उन्होंने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर में डिग्री प्राप्त की।
-कैरियर: उन्होंने 1961 में टाटा समूह में काम करना शुरू किया और 1991 में अध्यक्ष बने।
-उपलब्धियां: उन्होंने टाटा समूह को वैश्विक स्तर पर पहुंचाया और कई नए व्यवसाय शुरू किए।
-समाज सेवा: उन्होंने कई समाज सेवा कार्यक्रमों में भाग लिया और टाटा ट्रस्ट्स के माध्यम से कई परोपकारी कार्य किए।
-पुरस्कार: उन्हें कई पुरस्कार मिले,जिनमें पद्म विभूषण और पद्म भूषण शामिल हैं। विकिपीडिया के अनुसार सर रतन टाटा की जीवनी इस प्रकार है ।"सर रतन टाटा एक महान उद्योगपति और समाज सेवक थे। उन्होंने टाटा समूह को वैश्विक स्तर पर पहुंचाया और कई नए व्यवसाय शुरू किए। वह एक महान नेता और परोपकारी थे।" सर रतन टाटा भारतीय उद्योगपति और टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन थे। उन्होंने साल 1991 से 2012 तक टाटा समूह का नेतृत्व किया था और उनके कार्यकाल के दौरान कंपनी ने कई नई ऊँचाइयों को छुआ था। एक जानकारी के अनुसार रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को सूरत, गुजरात में हुआ था।
--उनका जीवन परिचय
-शिक्षा:
सर रतन टाटा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई में प्राप्त की और बाद में अमेरिका के आर्कन्सास विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हांसिल की थी। इसके बाद उन्होंने होरवर्ड बिजनेस स्कूल से MBA की डिग्री प्राप्त की थी।
-करियर की शुरुआत:
सर रतन टाटा ने साल 1961 में टाटा समूह में काम करना शुरू किया और धीरे-धीरे उन्होंने विभिन्न प्रबंधन स्तरों पर जिम्मेदारियाँ संभालीं थी। साल 1991 में उन्होंने टाटा समूह के चेयरमैन का पद ग्रहण किया था और समूह को नई दिशा दी थी।
-संघर्ष और उपलब्धियाँ
सर रतन टाटा ने अपने करियर के दौरान कई चुनौतियों का सामना किया था। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं का संचालन किया था जैसे कि:
-टाटा नैनो:सबसे सस्ती कार के रूप में जानी जाती है। जिसका उद्देश्य निम्न-आय वर्ग के लोगों को चार पहिया वाहन उपलब्ध कराना था।
-टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS):इसे दुनिया की सबसे बड़ी IT सेवा कंपनी के रूप में स्थापित किया था।
-उद्योगों में विस्तार:उन्होंने टाटा समूह को एयरलाइंस, इलेक्ट्रिकल, स्टील और अन्य क्षेत्रों में भी स्थापित किया था।
-सामाजिक योगदान:
सर रतन टाटा ने सामाजिक कल्याण और चैरिटी के क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उन्होंने शिक्षा,स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों में कई फंड और परियोजनाएँ स्थापित कीं थी।
सर रतन टाटा का जीवन और उनकी उपलब्धियाँ भारतीय उद्योग और समाज में महत्वपूर्ण योगदान करती हैं। उनके करियर के कुछ विशेष पहलू और योगदान देखें तो:
-आधुनिककरण और वैश्वीकरण:
रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह ने वैश्विक स्तर पर अपनी उपस्थिति को बढ़ाया था। उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियों का अधिग्रहण किया। जैसे कि:
-टाटा स्टील ने कर्वलिस स्टील (UK) का अधिग्रहण किया।
-टाटा मोटर्स ने जगुआर और लैंड रोवर को खरीदा। ये अधिग्रहण टाटा समूह के वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम थे।
-इनोवेशन और उत्पाद विकास:
सर रतन टाटा ने नवाचार को प्रोत्साहित किया। उन्होंने -टाटा नैनो- दुनिया की सबसे सस्ती कार और उनके विकास का समर्थन किया था। जिससे निम्न और मध्यम आय वर्ग के लोगों के लिए मोटर कार सुलभ हो सकी थी। टाटा का यह दृष्टिकोण था कि उभरते बाजारों के लिए सस्ते और उपयोगी उत्पाद विकसित किए जाएँ।
-सामाजिक उत्तरदायित्व:
सर रतन टाटा ने टाटा समूह की सामाजिक जिम्मेदारी को महत्वपूर्ण माना था। उन्होंने कई चैरिटेबल ट्रस्टों का समर्थन किया था और स्वास्थ्य,शिक्षा और सामाजिक विकास के लिए कई कार्यक्रम चलाए थे। टाटा समूह के ट्रस्टों में 66% लाभ का उपयोग समाज सेवा के लिए किया जाता है। जो सामाजिक रूप से जिम्मेदार दृष्टिकोण को दर्शाता है।
-महिलाओं के सशक्तिकरण:
सर रतन टाटा ने कार्यक्षेत्र में महिलाओं की भूमिका को बढ़ावा देने के लिए कई पहल कीं थी। उन्होंने समूह की कंपनियों में महिलाओं की भर्ती और उनके सशक्तिकरण के लिए नीतियाँ बनाई थी। जिससे सामंजस्यपूर्ण कार्य वातावरण का निर्माण हुआ था।
- सर रतन टाटा का दृष्टिकोण:
उनका मानना था कि एक सफल व्यवसाय केवल लाभ कमाने के लिए नहीं होता बल्कि उसे समुदाय और समाज के प्रति भी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। उन्होंने हमेशा इस पर बल दिया कि व्यापार का उद्देश्य केवल पैसे कमाना नहीं बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाना भी होना चाहिए।
-निष्कर्ष:
सर रतन टाटा का जीवन और कार्य न केवल उद्योग जगत में प्रेरणा देने वाले हैं बल्कि उन्होंने समाज में भी सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास किया था। उनकी विचारधारा,नेतृत्व और दृष्टिकोण आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा हैं।
-स्वर्गीय श्री रतन टाटा की विरासत को याद करते हुए:
-परिचय:
राष्ट्र एक दूरदर्शी नेता,परोपकारी और उद्योगपति सर रतन टाटा के निधन पर शोक मना रहा है। जिनका हाल ही में निधन हो गया। व्यापार जगत,समाज और पूरे राष्ट्र के लिए उनके योगदान ने एक अमिट छाप छोड़ी है जिसे आने वाली पीढ़ियाँ याद रखेंगी।
-उत्कृष्टता की विरासत:
सर रतन टाटा भारत के सबसे बड़े समूहों में से एक टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस के पूर्व अध्यक्ष थे। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने वैश्विक स्तर पर विस्तार किया । अपने व्यावसायिक हितों में विविधता लाई और कॉर्पोरेट जगत में उत्कृष्टता और अखंडता का प्रतीक बन गया।
-परोपकारी प्रयास:
अपने व्यावसायिक कौशल के अलावा सर रतन टाटा अपने परोपकारी प्रयासों के लिए भी जाने जाते थे। उन्होंने टाटा ट्रस्ट की स्थापना की जो स्वास्थ्य सेवा,शिक्षा और ग्रामीण विकास जैसी विभिन्न सामाजिक कल्याण पहलों पर ध्यान केंद्रित करता है। समाज को वापस देने की उनकी प्रतिबद्धता ने देश भर में लाखों लोगों के जीवन को छुआ है।
-श्रद्धांजलि का तांता:
उनके निधन की खबर के बाद देश के कोने-कोने से और उससे भी आगे से श्रद्धांजलि का तांता लगा हुआ है। राजनीतिक नेताओं,व्यवसायिक दिग्गजों और आम नागरिकों ने अपनी संवेदना व्यक्त की है और बताया है कि किस तरह सर रतन टाटा के नेतृत्व और उदारता ने उन्हें प्रेरित किया है।
-एक राष्ट्रीय क्षति:
सर रतन टाटा का निधन सिर्फ़ टाटा समूह या व्यवसाय जगत के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए एक क्षति है। उनकी दूरदृष्टि, मूल्य और उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्धता ने भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक आदर्श मानदंड स्थापित किया है।
-उनकी स्मृति का सम्मान:
जब हम सर रतन टाटा के निधन पर शोक मना रहे हैं तो उनकी विरासत को याद रखना और उसका सम्मान करना महत्वपूर्ण है। ईमानदारी,विनम्रता और करुणा के उनके मूल्य हम सभी के लिए एक मार्गदर्शक प्रकाश के रूप में काम करने चाहिए क्योंकि हम अपने आस-पास की दुनिया पर सकारात्मक प्रभाव डालने का प्रयास करते हैं।
-चिंतन का समय:
सर रतन टाटा के निधन के बाद, यह हम सभी के लिए अपने जीवन और उस विरासत पर चिंतन करने का समय है । जिसे हम पीछे छोड़ना चाहते हैं। उनका जीवन हमें याद दिलाता है कि सच्ची सफलता सिर्फ़ धन या शक्ति के आधार पर नहीं मापी जाती बल्कि दूसरों और दुनिया पर हमारे प्रभाव से मापी जाती है।
-भविष्य की ओर देखते हुए:
जब हम सर रतन टाटा को विदाई दे रहे हैं तो आइए, हम उनकी उत्कृष्टता,ईमानदारी और करुणा की विरासत को आगे बढ़ाएँ। आइए हम दूसरों के जीवन में बदलाव लाने का प्रयास करें और सभी के लिए एक बेहतर, अधिक समावेशी समाज के निर्माण में योगदान दें। दूरदर्शी नेता और परोपकारी स्वर्गीय श्री रतन टाटा के जीवन और विरासत को याद करते हुए जिनके योगदान ने राष्ट्र पर एक अमिट छाप छोड़ी है। उनको शत शत प्रणाम।
राष्ट्रीय कॉंग्रेस के विचार विभाग की वरिष्ठ उपाध्यक्षा डॉ.जया शुक्ला ने स्व.सर रतन टाटा जी के दिवंगत होने पर उनको श्रद्धांजलि देते हुए इसे देश के लिये क्षति बताया। डॉ.शुक्ला ने कहा कि सर टाटा अपनी ईमानदारी, मानवता,संवेदना और व्यापार मेँ सिद्धांत पूर्ण व्यवहार के लिये जाने जाते थे। अडानी व अंबानी जैसे व्यापारियोँ के कालखंड मेँ ऐसे उद्योगपतियोँ की आवश्यकता है। डॉ.शुक्ला ने बताया कि सर रतन टाटा को यह गुण उनकी पीढ़ियोँकी विरासत से मिले थे। श्री जमशेदजी टाटा ने मुंबई के एक ब्रिटिश होटल पर लिखे “भारतीयोँ और कुत्तोँ का प्रवेश वर्जित” का बदला लेने को वहीँ उससे बड़ा ताज होटल बनाया था और देशके सम्मान की रक्षा की थी। यद्यपि उनका व्यापार क्षेत्र दूसरा था। तब से हर पीढ़ी उवके आदर्शोँ का पालन करती आई हैं। कई समाज कल्याणके कार्य चलते रहे। सर टाटा के उत्पाद इतनी ईमानदारी और गुणवत्ता से बने होते थे कि उन्हेँ विज्ञापनकी आवश्यकता नहीँ थी सिर्फ नाम ही काफ़ी हैं। डॉ.शुक्ला ने कहा कि अपने कर्मचारियोँ की सुविधा और रिटायरमेँट के बाद की सहूलियतोँ तक का बहुत ध्यान टाटा ग्रुप रखते रहे थे। इसीसे वहाँ श्रमिक आंदोलन नहीँ थे । जबकि अन्य उद्योगोँ मेँ आंदोलन होते रहते थे। आज की डूबती अर्थव्यवस्था की स्थिति मेँ ऐसे ही उद्योगपतियोँकी कितनी आवश्यकता है। यह बताने की आवश्यकता नहीँ है। सर रतन टाटाजी की आत्मा को शांति मिले। सभी भारतीयों की ओर से सलाम। जय टाटा परिवार ।【Photo by Google】
★ब्यूरो रिपोर्ट स्पर्श देसाई√•Metro City Post•News Channel•#सर रतन टाटा#निधन#
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