*गेस्टापो का मुख्य कार्य नाजी शासन के खिलाफ राजनीतिक विरोधियों जैसे समाजवादियों,कम्युनिस्टों,यहूदियों और अन्य अल्पसंख्यकों की surveillance और दमन करना था*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई

*गेस्टापो का मुख्य कार्य नाजी शासन के खिलाफ राजनीतिक विरोधियों जैसे समाजवादियों,कम्युनिस्टों,यहूदियों और अन्य अल्पसंख्यकों की surveillance और दमन करना था*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई



【मुंबई/रिपोर्ट स्पर्श देसाई】गेस्टापो (Gestapo), जिसका पूरा नाम "गेसाँटेसा स्च्टैट्सपोलिज़ी" (Geheime Staatspolizei) है, नाजी जर्मनी की एक गुप्त पुलिस थी। यह पुलिस संगठन मुख्य रूप से जर्मनी में राजनीतिक विघटन,जासूसी और नाजी शासन की विरोधी गतिविधियों की निगरानी और दमन के लिए जिम्मेदार थी। 
•गेस्टापो का इतिहास:
-स्थापना: गेस्टापो की स्थापना सन 1933 में हुई थी। जब एडोल्फ हिटलर ने जर्मनी में सत्ता संभाली थी। यह संगठन initially प्रांतीय पुलिस शक्ति के अधीन था लेकिन बाद में इसे नाजी पार्टी के नियंत्रण में लाया गया था।

-लक्ष्य और कार्य: गेस्टापो का मुख्य कार्य नाजी शासन के खिलाफ राजनीतिक विरोधियों, जैसे समाजवादियों,कम्युनिस्टों, यहूदियों और अन्य अल्पसंख्यकों की surveillance और दमन करना था। 
-तरीके: गेस्टापो ने विभिन्न तरीके अपनाए, जैसे:
   - टॉर्चर (यातना) और अमानवीकरण
   - जबरन पूछताछ 
   - अपहरण
   - गुप्त सुनवाई और जांच

-संगठन की शक्ति: गेस्टापो को नाजी सत्ता में एक महत्वपूर्ण और भयावह संगठन माना जाता था। इसकी शक्ति इतनी अधिक थी कि इसके आदेशों को चुनौती देना बहुत मुश्किल था। 





-द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान: दूसरे विश्व युद्ध के दौरान गेस्टापो ने व्यापक स्तर पर यहूदी लोगों और अन्य अल्पसंख्यकों का शिकार किया था। जिसे समर्पण का मुख्य कारण बना दिया गया था। यह संगठन Holocaust (होलोकॉस्ट) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए भी कुख्यात है।

-समाप्ति: जर्मनी के आत्मसमर्पण के बाद सन 1945 में गेस्टापो का औपचारिक अंत हुआ था। युद्ध के बाद कई गेस्टापो अधिकारियों पर युद्ध अपराधों के लिए मुकदमा चला था।

-आखिर में गेस्टापो इतिहास में सबसे कुख्यात और भयावह संस्थाओं में से एक है। जो नाजी शासन के दौरान अत्याचारों और मानवाधिकारों के उल्लंघनों का प्रतीक बन गई थी। यह संगठन न केवल राजनीतिक दमन के लिए जाना जाता है बल्कि यह नाजी जर्मनी की क्रूरता और बर्बरता का भी प्रतीक है।


माता हरि (Mata Hari) का गेस्टापो से कोई सीधा संबंध नहीं था। वह एक प्रसिद्ध जासूस थीं जो पहले विश्व युद्ध के दौरान फ्रांसीसी और जर्मन खुफिया सेवाओं के बीच जासूसी का काम करती थीं। 
-उनका जासूसी करियर:
- माता हरि जिनका असली नाम मार्गरीथा ज़ेला (Margaretha Zelle) था, ने जर्मनी के लिए जानकारी एकत्रित करने का आरोप अपने ऊपर लिया था। उन्हें फ्रांसीसी सरकार द्वारा गिरफ्तार किया गया था और उन पर जर्मनी के लिए जासूसी का आरोप लगाया गया था।

- गेस्टापो  नाजी जर्मनी की गुप्त पुलिस थी। उसका गठन सन 1933 में हुआ था। जबकि माता हरि को सन 1917 में गिरफ्तार किया गया था और बाद में उन्हें फाँसी दी गई थी इसलिए उनके जीवित रहने के समय गेस्टापो का अस्तित्व नहीं था। 
युवाओं के संवेदनशील मुद्दों को देखते हुए माताहरी की कहानी और गतिविधियाँ जासूसी और राजनीतिक दमन की प्रक्रियाओं के तहत एक महत्वपूर्ण अध्ययन का विषय बनी हुई हैं लेकिन गेस्टापो के साथ उनका कोई सीधा संबंध नहीं था।

अब मशहुर जासूस माताहरी के बारे में जाने। वह जर्मनी की वह जासूस थी उन्होंने बडे बडे़ काम को अंजाम दिया था?

माता हरी (Mata Hari) जिनका असली नाम मार्गरीथा ज़ेला (Margaretha Zelle) था। एक प्रसिद्ध जासूस और नर्तकी थीं। जो प्रथम विश्व युद्ध के समय में काफी चर्चित हुईं थी। उनका जन्म 7 अगस्त 1876 को नीदरलैंड में हुआ था। माता हरि का जीवन न केवल उनकी नृत्य कला के लिए बल्कि जासूसी गतिविधियों के लिए भी जाना जाता है। 

•माता हरि का करियर:
-नृत्य करियर: माता हरी एक डांसिंग क्यूब और आयरिश सैल्सवुमन के रूप में यूरोप में प्रसिद्ध हुईं थी। उन्होंने भारतीय नृत्य शैली को अपनाया और उसे अपनी परफॉरमेंस में शामिल किया था। जिससे उन्हें बहुत लोकप्रियता मिली थी। 

-जासूसी गतिविधियाँ: जब प्रथम विश्व युद्ध शुरू हुआ तो माता हरी ने जर्मनी के लिए जासूसी करना शुरू किया। कहा जाता है कि उन्होंने फ्रांस और अन्य देशों के खिलाफ महत्वपूर्ण जानकारी जुटाई और इसे जर्मनों को प्रदान किया था। 

-बड़े कार्य: उन्हें जर्मन खुफिया एजेंसी के लिए काम करने का आरोप लगा था। विभिन्न स्रोतों के अनुसार उन्होंने कई उच्च स्तरीय सैन्य योजनाओं और गतिविधियों की जानकारी हासिल की थी। जो उन्हें फ्रांस और उसके सहयोगियों के खिलाफ जर्मन अधिकारियों को उपलब्ध करवा दी थी।

-गिरफ्तारी और फाँसी:
-गिरफ्तारी: माता हरी को सन 1917 में फ्रांस द्वारा गिरफ्तार किया गया। उन्हें जासूसी के आरोप में दोषी ठहराया गया था । विशेष रूप से एक मामले के तहत जहां यह आरोप लगाया गया कि उनकी जानकारी से फ्रांसीसी सेना को नुकसान पहुँचा है।

- फाँसी: 15 अक्टूबर 1917 को उन्हें पेरिस में गोलियों से उड़ाकर फाँसी दी गई थी। उनकी गिरफ्तारी और फाँसी ने उन्हें एक मिथकीय स्थिति में पहुँचा दिया और आज भी उनके जीवन की कहानी और जासूसी गतिविधियाँ चर्चा का विषय बनी हुई हैं।

-आखिर में:
माता हरी का जीवन एक जटिल कहानी है। जहाँ एक ओर वह एक सफल नृत्यांगना थीं । वहीं दूसरी ओर उन्होंने जासूसी की दुनिया में भी अपनी एक पहचान बनाई थी। उनकी कहानी जासूसी,नारीवाद और सत्ता के खेलों की गहनता पर नई रोशनी डालती है।

-माताहरी के बारे में क्या कहता है विकिपीडिया:
माताहरी (7 अगस्त 1876 – 15 अक्टूबर 1917)) एक प्रसिद्ध जासूस थी। उसका वास्तविक नाम मार्गरेट गीरत्रुइदा मारग्रीत मैकलाऑयद (Margaretha Geertruida "Margreet" MacLeod) था। वह कामोत्तेजक नृत्यांगना थी। प्रथम विश्वयुद्ध में उसे जर्मनों की तरफ से फ्रांस की जासूसी करने के आरोप में गोली मार दी गयी थी।
-माताहरी के जीवन के बारे में जाने:
07 अगस्त 1876 को माताहरी का जन्म हुआ था।
लीवुवार्डन, नीदरलैण्ड । मौत15 अक्टूबर 1917 (उम्र 41 वर्ष)
वीन्सेन्न्स, पेरिस, फ़्रान्स  । मौत की वजह बन्दुक की गोली मारकर मौत की सजा सुनाई गई थी । उनकी राष्ट्रीयता डच थी । ऊंचाई 5 फीट 10 इंच थीं यानि  (1.78 मी॰) । प्रसिद्धि का कारण प्रथम विश्वयुद्ध में जर्मनी के जासूसी की दोष सिद्धि । उनका जीवनसाथी था रुडोल्फ़ जॉन मैकलियोड (1895 – 1906)  फिर उनसें तलाक हो गया। उनसे बच्चे 2 भी हुए थे। माता-पिता :एडम ज़ेल्ले और एंत्जे वान डेर मैलें थे।【Photos by Google】

★ब्यूरो रिपोर्ट स्पर्श देसाई√•Metro City Post•News Channel•#गेस्टापो#हिटलर#माताहरी#जर्मनी

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