*इंडिया गठबंधन(48) जम्मू-कश्मीर विधानसभा में बहुमत के नंबर(46) के पार पहुंचा*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई
*इंडिया गठबंधन(48) जम्मू-कश्मीर विधानसभा में बहुमत के नंबर(46) के पार पहुंचा*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई
【मुंबई/रिपोर्ट स्पर्श देसाई】पूरे एक दशक बाद हुए जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनाव में 90 में से 87 सीटों के नतीजे आ चुके हैं। जिनमें नेशनल कांफ्रेंस अकेले दम पर 42 सीटें जीतने में सफल रही है। जबकि गठबंधन में शामिल कांग्रेस भी 6 सीटों पर जीत दर्ज करने में सफल रही है। इस प्रकार इंडिया गठबंधन(48) जम्मू-कश्मीर विधानसभा में बहुमत के नंबर(46) के पार पहुंच गया है। भारतीय जनता पार्टी जम्मू में भी अपनी उम्मीद के मुताबिक सीटें नहीं जीत पाई हैं। भाजपा केवल 29 सीटों पर जीत दर्ज करने में सफल रही है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रविन्द्र रैना भी अपनी सीट नौसेरा 7 हजार वोटों से हार गए हैं। अपने दम पर चुनाव लड़ने वाली आम आदमी पार्टी एक सीट जीत गई है । उसके उम्मीदवार मेहराज डोडा विधानसभा क्षेत्र से जीतने में सफल रहे। भारतीय कश्मीर में स्वायत्तता की वापसी के मुद्दे पर क्षेत्रीय चुनावों में मतदान हुआ था। क्षेत्र के विशेष दर्जे को बहाल करने की मांग करने वाली पार्टियों और भारत की मुख्य सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा के बीच मुकाबला है। कश्मीर के बडगाम जिले में विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के दौरान मतदान केंद्र के बाहर मतदान करने के लिए कतार में खड़ी महिलाएँ । भारत प्रशासित कश्मीर में क्षेत्रीय सरकार चुनने के लिए दूसरे चरण का मतदान हो रहा है। साल 2019 में नई दिल्ली द्वारा विवादित हिमालयी क्षेत्र की अर्ध-स्वायत्त स्थिति को समाप्त करने के बाद से पहले स्थानीय सरकार के चुनाव में मतदान करने के लिए कश्मीरी बुधवार को मतदान केंद्रों के बाहर कतार में खड़े रहे थे। क्षेत्र के 8.7 मिलियन पंजीकृत मतदाताओं ने दूसरे दौर के लिए तैयारी की थी इसलिए सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी। अधिकारियों ने कहा कि मतदान केंद्र सुबह 7 बजे (01:30 GMT) खुल गए। पिछले चुनावों के विपरीत मतदान अधिक होने की उम्मीद है। जब भारतीय शासन का विरोध करने वाले और स्वतंत्रता या पड़ोसी पाकिस्तान के साथ विलय की मांग करने वाले अलगाववादियों ने मतदान का बहिष्कार किया था। उच्च बेरोजगारी दर और साल 2019 के बदलावों पर गुस्से ने चुनाव प्रचार को गति दी है। क्षेत्रीय दलों ने स्वायत्तता की बहाली के लिए लड़ने का वादा किया है। भारत की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने एक प्रमुख क्षेत्रीय समूह के साथ गठबंधन किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), जिसने क्षेत्र के शासन में साल 2019 के बदलावों की देखरेख की हैं यह उनका कहना है कि उन्होंने शांति और तेज़ आर्थिक विकास का एक नया युग शुरू किया है । क्षेत्रीय दल इस दावे पर कड़ा विरोध करते हैं। सुरक्षा चुनौतियों के कारण तीन चरणों में होने वाले चुनाव के पहले चरण में मतदान 18 सितंबर को हुआ था । जिसमें 61 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। 40 वर्षीय तारिक अहमद ने एएफपी समाचार एजेंसी से कहा था कि 10 साल पहले हुए पिछले चुनाव के बाद से हम भगवान की दया पर छोड़ दिए गए थे। किसी ने हमसे हमारी समस्याओं के बारे में नहीं पूछा। मुझे खुशी है कि यह चुनाव हो रहा है। मुझे उम्मीद है कि हमें अपना प्रतिनिधि मिलेगा जिसके साथ मेरे जैसे गरीब लोग रोजमर्रा के मुद्दे उठा सकें। हिंदू-राष्ट्रवादी भाजपा सरकार द्वारा स्वायत्तता समाप्त करने से मुस्लिम बहुल क्षेत्र नई दिल्ली के सीधे नियंत्रण में आ गया था। इस कदम के साथ ही दशकों से चले आ रहे विद्रोह से पीड़ित क्षेत्र में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुआ था। इसके बाद बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियाँ हुईं और लंबे समय तक संचार व्यवस्था ठप रही थी। तब से यह क्षेत्र निर्वाचित सरकार के बिना है। इसके बजाय संघ द्वारा नियुक्त राज्यपाल शासन करता है। इस क्षेत्र में लगभग 500,000 भारतीय सैनिक तैनात हैं । जहाँ 35 साल के विद्रोह ने इस साल दर्जनों लोगों सहित दसियों हज़ार नागरिकों, सैनिकों और विद्रोहियों की जान ले ली है। इंडियन एक्सप्रेस अख़बार के अनुसार संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस सहित 16 विदेशी मिशनों के राजनयिक मतदान का निरीक्षण करने के लिए श्रीनगर पहुँचने वाले थे। मतदान के बाद भी सुरक्षा और कश्मीर के राज्यपाल की नियुक्ति सहित प्रमुख निर्णय नई दिल्ली के हाथों में रहेंगे। नई दिल्ली के पास 90 सीटों वाली विधानसभा द्वारा पारित कानून को रद्द करने का अधिकार भी होगा। पाकिस्तान इस पर्वतीय क्षेत्र के एक छोटे से हिस्से पर नियंत्रण रखता है। जो 1947 में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन की समाप्ति के बाद से विभाजित है तथा भारत की तरह वह भी इस पर अपना पूर्ण दावा करता है।【Photo by Google】
★ब्यूरो रिपोर्ट स्पर्श देसाई√•Metro City Post•News Channel•#जम्मू कश्मीर#चुनाव#इंडिया
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