मुंबई उच्च न्यायालय का सरकार को फटकार : कहा, अर्थ व्यवस्था तो संभाली नहीं जाती, पर्यावरण खाक संभालोगे ...?/ रिपोर्ट: स्पर्श देसाई
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को सरकार को इस बात के लिए फटकार लगाई कि वह पर्यावरण को कैसे संभाल सकती है, जो बेहतरीन उपकरण होने पर भी अपनी अर्थव्यवस्था को बनाए नहीं रख सकती हैं । अदालत ने मुंबई मेट्रो -3 कारशेड के लिए आरे में पेड़ों को काटने के खिलाफ दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार को सुनाया था।
मेट्रो -3 कारशेड के लिए अखाड़े के करीब 2,600 पेड़ों को काटा जाएगा। इस फैसले को चुनौती देने वाली एक याचिका जोरो बाथेना और कुछ अन्य पर्यावरणवादी संगठनों द्वारा दायर की गई थी। याचिका पर सुनवाई मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नंदराजोग और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ के समक्ष हुई। मुंबई मेट्रो रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने मुंबई नगरपालिका वृक्ष प्राधिकरण को नक्काशी के लिए क्षेत्र में 2,000 से अधिक पेड़ काटने की अनुमति दी थी। दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने फैसलें को बरकरार रखा। देश में अच्छा साधन सामग्री उपलब्ध है। इस तथ्य के बावजूद कि अर्थशास्त्रियों की एक बड़ी सेना काम कर रही है, सरकार पारिस्थितिकी का प्रबंधन कैसे कर सकती है? कोर्ट ने ऐसा सवाल पूछा। यार्ड में पेड़ों को काटने का निर्णय बिना किसी विचार के लिया गया है। पर्यावरणविदों ने तर्क दिया कि वृक्ष कानून के प्रावधानों का भी अनुपालन नहीं किया गया हैं।
मुंबई शहर के विकास के लिए मेट्रो प्रोजेक्ट जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही महत्वपूर्ण क्षेत्र में ग्रीन बेल्ट भी है। अदालत ने कहा कि कितने पेड़ काटे जाएंगे, इस बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं है कि परियोजना के लिए कितने नए पौधे लगाए जाएंगे ।
रिपोर्ट : स्पर्श देसाई √●Metro City Post # MCP●News Channel ● के लिए....
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