भारत की पहली और एकमात्र महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की आज उनकी 35 वीं पुण्यतिथि / रिपोर्ट स्पर्श देसाई
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◆मुंबई / रिपोर्ट स्पर्श देसाई◆
भारत की पहली और एकमात्र महिला प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की आज उनकी 35 वीं पुण्यतिथि है। उस अवसर पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, सांसद राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने शक्ति स्थल पर जाकर इंदिरा गांधी को श्रद्धांजलि दी थी। जब की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट के जरिए इंदिरा गांधी को श्रद्धांजलि दी थी ।
31 अक्टूबर, 1984 को इंदिरा गांधी की नई दिल्ली के 1, सफदरजंग रोड स्थित उनके आवास पर अंगरक्षकों द्वारा हत्या कर दी गई थी। उन्होंने साल 1966 और 1977 के बीच लगातार तीन बार देश की सेवा की। वह साल 1980 में प्रधान मंत्री के पद पर लौटी थी ।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि के मौके पर ट्वीट किया है। "आज मेरी दादी इंदिरा गांधी के बलिदान का दिन है। आपकी बहादुरी और साहसी फैंसलों की शिक्षा हर कदम पर मेरा मार्गदर्शन करती रहेगी। आज मेरी दादी श्रीमती इंदिरा गांधी का बलिदान दिवस है। आपके द्रढ़ इरादों और निडर फैसलों की सीख हर कदम पर मेरा मार्गदर्शन करती रहेगी। आपको मेरी शक्ति की कामना।"
इंदिरा गांधी ने सक्रिय राजनीति में अपनी शुरुआत की थी। अपने पिता जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद, इंदिरा गांधी राजनीति में आ गईं थी । वह प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री के कार्यकाल के दौरान इंदिरा गांधी द्वारा सूचना और प्रसारण मंत्रालय के पहले प्रभारी थे। शास्त्री जी की मृत्यु के बाद, उन्हें देश के तीसरे प्रधान मंत्री के रूप में चुना गया था । इंदिरा गांधी को साल 1971 के भारत रत्न पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।
भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की बेटी इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर 1917 को हुआ था। वह भारत की पहली और एकमात्र महिला प्रधान मंत्री हैं । इंदिरा गांधी ने जनवरी 1966 से मार्च 1977 तक प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया था । 14 जनवरी 1980 से 31 अक्टूबर 1984 तक वह हत्या के दिन तक प्रधानमंत्री के रूप में काम करती थी।
31 अक्टूबर, 1984 को इंदिरा गांधी के दो अंगरक्षकों, बियंत सिंह और सतवंत सिंह ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई थी। उनकी हत्या के बाद, दिल्ली सहित कई क्षेत्रों में हिंसा भड़क गई थी। बियंत सिंह और सतवंत सिंह स्वर्ण मंदिर में ऑपरेशन ब्लू स्टार से नाराज थे । यही वजह थी कि उन्होंने इंदिरा गांधी की हत्या कर दी थी ।
इंदिरा गाँधी का जीवन परिचय
श्रीमती इंदिरा गाँधी का जन्म 19 नवम्बर 1917 को अलाहाबाद,उत्तर प्रदेश में हुआ था । इंदिरा गाँधी, भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की इकलौती पुत्री थीं। इनकी माता का नाम कमला नेहरू था । इनका पूरा नाम है- ‘इंदिरा प्रियदर्शनी गाँधी’। इनके दादा का नाम मोतीलाल नेहरू था। इंदिराजी का जन्म ऐसे परिवार में हुआ था जो आर्थिक एवं बौद्धिक दोनों दृष्टि से काफ़ी संपन्न था। अत: इन्हें आनंद भवन के रूप में महलनुमा आवास प्राप्त हुआ। इंदिरा गाँधी के पिता एवं दादा दोनों वकालत के पेशे से संबंधित थे और देश की स्वाधीनता में इनका प्रबल योगदान था।
आज इंदिरा गाँधी को सिर्फ़ इस कारण नहीं जाना जाता कि वह पंडित जवाहरलाल नेहरू की बेटी थीं बल्कि इंदिरा गाँधी अपनी प्रतिभा और राजनीतिक दृढ़ता के लिए ‘विश्वराजनीति’ के इतिहास में जानी जाती हैं और इंदिरा गाँधी को ‘लौह-महिला’ के नाम से संबोधित किया जाता है। ये भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री थीं। उन्होंने 26 मार्च 1942 को फ़िरोज़ गाँधी से विवाह किया था । उनके दो पुत्र थे। संजय गांधी और राजीव गांधी ।
इंदिरा गाँधी की शिक्षा
उन्होंने इकोले नौवेल्ले, बेक्स (स्विट्जरलैंड), इकोले इंटरनेशनेल, जिनेवा, पूना और बंबई में स्थित प्यूपिल्स ओन स्कूल, बैडमिंटन स्कूल, ब्रिस्टल, विश्व भारती, शांति निकेतन और समरविले कॉलेज, ऑक्सफोर्ड जैसे प्रमुख संस्थानों से शिक्षा प्राप्त की थी ।
उन्हें विश्व भर के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों द्वारा डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया था। प्रभावशाली शैक्षिक पृष्ठभूमि के कारण उन्हें कोलंबिया विश्वविद्यालय द्वारा विशेष योग्यता प्रमाण दिया गया था ।
इंदिरा गाँधी का राजनैतिक सफर
श्रीमती इंदिरा गांधी शुरू से ही स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रही थी । बचपन में उन्होंने ‘बाल चरखा संघ’ की स्थापना की और असहयोग आंदोलन के दौरान कांग्रेस पार्टी की सहायता के लिए साल 1930 में बच्चों के सहयोग से ‘वानर सेना’ का निर्माण किया।
सितम्बर 1942 में उन्हें जेल में डाल दिया गया। साल 1947 में इन्होंने महात्मा गाँधी के मार्गदर्शन में दिल्ली के दंगा प्रभावित क्षेत्रों में कार्य किया। उस समय देश विभाजन के किनारे पर था। जिन्नाह नेतृत्व में मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान की माँग की थी और अंग्रेज़ भी जिन्ना की माँग को स्पष्ट हवा दे रहे थे लेकिन गाँधीजी विभाजन के पक्ष में नहीं थे। लॉर्ड माउंटबेटन कूटनीति का खेल खेलने में लगे हुए थे।
महात्मा गाँधी ने जिन्ना को संपूर्ण और अखंड भारत का प्रधानमंत्री बनाने का आश्वासन दिया था । लेकिन जिन्ना यह जानते थे कि पंडित नेहरू के कारण यह संभव नहीं है। ऐसे में देश सांप्रदायिक दंगों की आग में झुलसने लगा था। महात्मा गाँधी किसी तरह दंगों की आग शांत करना चाहते थे। दिल्ली में भी कई स्थानों पर इंसानियत शर्मसार हो रही थी। तब महात्मा गाँधी ने इंदिरा जी को यह मुहिम सौंपी कि वह दंगाग्रस्त क्षेत्रों में जाकर लोगों को समझाएँ और अमन लौटाने में मदद करें। इंदिरा गाँधी ने फिर महात्मा गाँधी के आदेश को शिरोधार्य किया और दंगाग्रस्त क्षेत्रों में दोनों समुदायों के लोगों को समझाने का प्रयास करने लगीं थी ।
26 जनवरी, 1950 को भारत का संविधान भी लागू हो गया। भारत एक गणतांत्रिक देश बना और प्रधानमंत्री नेहरू की सक्रियता काफ़ी अधिक बढ़ गई। इस समय नेहरूजी का निवास त्रिमूर्ति भवन ही था। समय-समय पर विभिन्न देशों के आगंतुक त्रिमूर्ति भवन में ही नेहरूजी के पास आते थे। उनके स्वागत के सभी इंतज़ाम इंदिरा गाँधी द्वारा किए जाते थे। साथ ही साथ उम्रदराज़ हो रहे पिता की आवश्यकताओं को भी इंदिरा देखती थीं।
साल 1955 में श्रीमती इंदिरा गाँधी कांग्रेस कार्य समिति और केंद्रीय चुनाव समिति की सदस्य बनी।1958 में उन्हें कांग्रेस के केंद्रीय संसदीय बोर्ड के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया । वे एआईसीसी के राष्ट्रीय एकता परिषद की उपाध्यक्ष और साल 1956 में अखिल भारतीय युवा कांग्रेस और एआईसीसी महिला विभाग की अध्यक्ष बनीं थी । वे साल1959 से 1960 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं। जनवरी 1978 में उन्होंने फिर से यह पद ग्रहण किया था । श्रीमती इंदिरा गांधी कमला नेहरू स्मृति अस्पताल, गांधी स्मारक निधि और कस्तूरबा गांधी स्मृति न्यास जैसे संगठनों और संस्थानों से जुडी हुई थीं। वे स्वराज भवन न्यास की अध्यक्ष थीं।
प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी का कार्यकाल
इंदिरा गाँधी 4 बार भारत की प्रधानमंत्री रहीं – लगातार तीन बार (1966-1977) और फिर चौथी बार (1980-84) तक । सन 1966 में लालबहादुर शास्त्री के आकस्मिक निधन के बाद तत्कालीन काँग्रेस पार्टी अध्यक्ष के. कामराज ने इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनाने का प्रस्ताव दिया और इंदिरा गाँधी 24 जनवरी 1966 को प्रधानमंत्री चुन ली गयीं थी |1967 के चुनाव में कांग्रेस ने फिर जीत पायीं और इंदिरा गाँधी मोरारजी देसाई के विरोध के वावजूद प्रधानमंत्री चुन ली गयी | साल 1971 में एक बार फिर भारी बहुमत से वे प्रधामंत्री बनी और साल 1977 तक रहीं थी । साल1980 में एक बार फिर प्रधानमंत्री बनीं और साल1984 तक प्रधानमंत्री के पद पर रहीं थी।
इंदिरा गाँधी ने अपने प्रधानमंत्री काल में देश के विकाश के लिए बहुत काम किये | वो प्रधानमंत्री के रूप में कठोर फैसले लेने वाले के रूप में जाना जाता था | इंदिरा गाँधी को इसी कारण लोह – महिला भी पुकारा जाता हैं |
पाकिस्तान के साथ युद्ध साल 1971 में इन्ही के कार्यकाल में हुआ था | उस युद्ध में भारत को निर्णायक जीत हासिल हुई थी | हालाँकि उनके लिए गए कुछ फैसले आज भी लोग गलत मानते है जेसे की साल 1975 में आपातकाल लागू किया जाना । आपातकाल के परिणामस्वरूप साल 1977 के आम चुनाव में कांग्रेस ने पहली बार हार का सामना किया।
इंदिरा गाँधी को मिला पुरस्कार
श्रीमती इंदिरा गांधी ने अपने जीवन में कई उपलब्धियां प्राप्त की।
साल 1972 में भारत रत्न पुरस्कार,
साल 1972 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए मैक्सिकन अकादमी पुरस्कार,
साल 1973 में एफएओ का दूसरा वार्षिक पदक और
साल 1976 में नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा साहित्य वाचस्पति (हिन्दी) पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
साल 1953 में श्रीमती गाँधी को अमरीका ने मदर पुरस्कार, कूटनीति में उत्कृष्ट कार्य के लिए इटली ने इसाबेला डी ‘एस्टे पुरस्कार और येल विश्वविद्यालय ने होलैंड मेमोरियल पुरस्कार से सम्मानित किया।
फ्रांस जनमत संस्थान के सर्वेक्षण के अनुसार वह साल 1967 और साल 1968 में फ्रांस की सबसे लोकप्रिय महिला थी।
साल 1971 में अमेरिका के विशेष गैलप जनमत सर्वेक्षण के अनुसार वह दुनिया की सबसे लोकप्रिय महिला थी।पशुओं के संरक्षण के लिए उसी साल 1971 में अर्जेंटीना सोसायटी द्वारा उन्हें सम्मानित उपाधि दी गई थी ।
इंदिरा गाँधी की पुस्तकें
इंदिरा गाँधी के मुख्य प्रकाशनों में ‘द इयर्स ऑफ़ चैलेंज’ (1966-69), ‘द इयर्स ऑफ़ एंडेवर’ (1969-72), ‘इंडिया’ (लन्दन) 1975, ‘इंडे’ (लौस्सैन) 1979 एवं लेखों एवं भाषणों के विभिन्न संग्रह शामिल हैं।
इंदिरा गाँधी का निधन
31 अक्टूबर 1984 को श्रीमती गाँधी के आवास पर तैनात उनके दो अंगरक्षकों ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी | एक प्रधानमंत्री के रूप में इंदिरा गाँधी ने विभिन्न चुनौतियों का मुक़ाबला करने में सफलता प्राप्त की थी । (साभार : Smiling Expert )
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