*खतरनाक: मुंबई में ट्रेन दुर्घटनाओं में हुई मौतों पर हाईकोर्ट ने जताई चिंता*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई
*खतरनाक: मुंबई में ट्रेन दुर्घटनाओं में हुई मौतों पर हाईकोर्ट ने जताई चिंता*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई
【मुंबई/ रिपोर्ट स्पर्श देसाई】बॉम्बे उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को मुंबई की लोकल ट्रेनों में यात्रियों की मौत पर चिंता व्यक्त की और स्थिति को ''चिंताजनक'' बताया। यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है । जब कुछ दिन पहले ही एक खचाखच भरी उपनगरीय ट्रेन से गिरकर पांच लोगों की मौत हो गई थी। अदालत ने यात्रियों को गिरने से बचाने के लिए मुंबई की लोकल ट्रेनों में स्वचालित दरवाजा बंद करने की व्यवस्था लगाने का सुझाव दिया लेकिन इस बात पर जोर दिया कि यह सलाह पूरी तरह से "आम आदमी'' के नजरिए से दी गई है और इस मुद्दे पर रेलवे के विशेषज्ञों की राय की आवश्यकता है। मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की खंडपीठ ने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाएं कि भविष्य में मुंबई उपनगरीय नेटवर्क पर दु:खद घटनाएं न घटें। अदालत ने कहा कि यह एक चिंताजनक स्थिति है। यद्यपि आपने अनुमान लगाया है कि (पिछले वर्षों की तुलना में) हताहतों की संख्या में 49 प्रतिशत की कमी आई है। खंडपीठ ने यह टिप्पणी मुंबई के उपनगरीय नेटवर्क, जिसे शहर की जीवन रेखा माना जाता है पर दुर्घटनाओं में यात्रियों की मौत से संबंधित एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई करते हुए की। 9 जून की घटना को संज्ञान में लेते हुए जिसमें ठाणे जिले के मुंब्रा स्टेशन के निकट भीड़ भरी लोकल ट्रेन से गिरकर पांच यात्रियों की मौत हो गई थी और आठ अन्य घायल हो गए थे । अदालत ने कहा कि ऐसी अप्रिय घटनाओं को रोकने के लिए अधिकारियों द्वारा किए गए उपाय पर्याप्त नहीं थे। अदालत ने सुझाव दिया कि उन्हें (ट्रेनों को) स्वचालित दरवाजों से सुसज्जित किया जाना चाहिए (वर्तमान में उनके दरवाजे खुले हैं) हालांकि पीठ ने तुरंत यह भी कहा कि यह एक ''आम आदमी'' का सुझाव है और वे रेलवे सुरक्षा के विशेषज्ञ नहीं हैं। रेलवे ने पीठ को बताया कि उन्होंने मुंब्रा घटना के कारणों की जांच के लिए एक बहु-विषयक समिति गठित की है तथा उसकी रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। पैनल भविष्य में ऐसी अप्रिय घटनाओं से बचने के लिए सिफारिशें और सुझाव देगा। अदालत ने रेलवे को समिति द्वारा दिए गए सुझावों को रिकॉर्ड में रखने तथा उनके कार्यान्वयन की समयसीमा बताने का निर्देश दिया। समिति को ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए याचिकाकर्ता (एक यात्री) द्वारा दिए गए सुझावों को शामिल करने के लिए तैयार रहना चाहिए।अनुशासनात्मक पैनल के अलावा एक उच्च स्तरीय निगरानी समिति भी अलग से गठित की गई है। जो ''शून्य मृत्यु मिशन'' की दिशा में काम कर रही है। रेलवे ने अदालत को बताया कि उसके सुझावों के आधार पर कई कदम पहले ही उठाए जा चुके हैं। इनमें से एक कदम रेल पटरियों के बीच दीवारें और बाड़ बनाना था ताकि यात्रियों को रेल लाइन पार करने से रोका जा सके। साथ ही भीड़भाड़ से बचने के लिए उपनगरीय स्टेशनों के कुछ प्लेटफॉर्म से स्टॉल भी हटा दिए गए हैं। मामले की अगली सुनवाई 14 जुलाई को होगी। छवि का उपयोग केवल प्रतीकात्मक उद्देश्य से किया गया है। फोटो: एएनआई फोटो।
★ब्यूरो रिपोर्ट स्पर्श देसाई√•Metro City Post•News Channel•#रेल#मुंबई#मुंबई उपनगरीय नेटवर्क
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