इस साल के 2020 के नये बजट में लोगों की क्या क्या अपेक्षाएं हैं ? वो जाने : स्पर्श देसाई / रिपोर्ट: नेहा सिंह



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                   मुंबई / रिपोर्ट : नेहा सिंह

(साल 2020 के नये बजट आने में कुछ ही वक़्त शेष रह गया है । ऐसे में हमारी "मैट्रो सीटी पोस्ट " के सर्वेसर्वा एवं वरिष्ठ पत्रकार स्पर्श देसाई जी ने अपनी प्रतिक्रियाएं इस आनेवाले बजट को लेकर व्यक़्त की हैं । वो आपके लिए यहां प्रस्तुत की गई हैं । आशा करती हूं , आपको पसंद आयेगी : नेहा सिंह)
यह साल 2020 लोगों के लिए नया संदेश, नई खुशियां लाया हैं । ऐसा पहले नये साल के दिन से फलित हो रहा था । मगर क्या यह नया साल वाकई में लोगों के लिए खुशहाली लाने वाला हैं ? वो अभी से कहना मुश्किल हैं ।
साल कैसा रहेगा ? इसकी बजाय हम इस साल के बजट पर ध्यान दें और वित मंत्री निर्मला सीतारमण इस साल के बजट को कौन सा नया मोड़ देने वाली हैं उस पर सोचें तो बहेतर होगा । क्योंकि इस साल के बजट से लोगों की बड़ी उम्मीदें लगी हुई हैं ।
भारत की इस वक़्त की दो बड़ी चूनौतियां हैं । जिसके तहत देश में बढ़ी हुई महंगाई और बढ़ती जा रही बेरोजगारी । इन चूनौतियों से कैसे लड़ा जाये? इस बात को लेकर भारत सरकार को गंभीरता से सोचना होगा । हांलाकि देश की सरकार पहले से ही आर्थिक विकास और मंदी जैसी समस्याओं से घिरी हुई हैं ।
जागतिक तौर पर अमरीका चाईना ट्रेड़ वाँर, अमेरिका ईरान युद्ध की स्थिति, होंगकोंग में लोकतंत्र के लिए बबाल और अब चाईना में नये कोरोना वायरस की समस्या आदी महत्वपूर्ण घटनाओं को लेकर निर्यात का कम होना, क्रुड़ आयल का महंगा हो जाना । यह सब चीजें महंगी होने पर राजकोषीय नुकसान का बढ़ना । यह सारे सवाल और समस्याएं  इस साल 2020 के देश के बजट की प्रमुख चूनौतियां मानी जानी चाहिए ।
इस नये बजट में सरकार कैसे आर्थिक मंदी से बाहर निकलने के उपाय लाती हैं ? वाली अहम बात हैं ।
गौरतलब हैं कि भारत के सभी वर्गो की अपेक्षाओं को पूर्ण करने के लिए सरकार के पास संसाधनों की बड़े पैमाने पर कमियां दिख रही हैं । ऐसे में लोकसभा में कैसे नया बजट होगा ? वो एक सवाल हैं । हालांकि माना यह जाता हैं कि इस साल 2020 के नये बजट में आर्थिक मंदी को प्राधान्य देकर और भारत के विभिन्न वर्गों की अपेक्षाएं सामने रखकर ही नया बजट प्रस्तुत किया जायेगा ।
अर्थव्यवस्था के मद्देनजर कृषि क्षेत्र को सबसे पहले ध्यान में रखना होगा क्योंकि सरकार ने अभी तक इस क्षेत्र के लिए कुछ नहीं किया । नहीं कोई जरुरी कदम भी उठायें । इस बजट में यह ध्यान रखना होगा कि किसानों और खेती को फायदा पहुंचे । मनरेगा और प्रधानमंत्री किसान योजना के तहत अतिरिक्त धन जूटाना होगा ।किसानों की जरुरत पूरी करते के लिए इस बजट में निश्चित तौर पर उस क्षेत्र की योजनाओं पर ध्यान देना होगा ।साथ में कृषि उत्पाद लोगों तक पहुंचे उसके लिए कवायत करनी होगी ।जिससे किसानों को आर्थिक सहाय मिल शके ।
इस साल के बजट में ग्रामीण क्षेत्रों के आर्थिक एवं सामाजिक बुनियादी ढांचे को आगे ले जाने के प्रयासों के साथ कृषि विभाग के विकास के साथ गरीबी दूर करने की योजना और बेरोजगारी दूर करने के प्रयासों को भी प्रोत्साहन देना जरूरी हैं । इसके अलावा महिला सशक्तिकरण, युवाओं के हून्नर के साथ हर घर पीने का पानी पहूँचे ऐसे प्रावधान जरूरी हैं । भारत की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए आनेवाले पांच सालों में सरकार बुनियादी ढांचे के क्षेत्र की परियोजना के पीछे एकसौ दो करोड़ लगाने का एलान पहले से ही कर चूकी हैं । इस नये बजट में मत्स्य संपदा योजना , बंदरगाहों,राजमार्गों और हवाई मार्गों के लिए विशेष खर्च करना होगा ।निजी क्षेत्र की सभी निवेश योजनाएँ बक्से में बंद पडी हैं ।
स्वास्थ्य, शिक्षा, छोटे कारोबार एवं उघोग, कौशल विकास आदी क्षेत्रों पर जोर देना देकर इस क्षेत्र में भी खर्च बढ़ाने की जरुरत हैं ।
आयकर क्षेत्र में अभी जो आयकर छूट हैं , वो बनी रहनी चाहिए ।अर्थव्यवस्था को गति देने हेतु आयकर टैक्स में कटौतियां की जानी चाहिए क्योंकि आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट जारी हैं और राजस्व:में भारी अंतर हैं । मांग को प्रोत्साहित करने के लिए निवेश पर जोर देना चाहिए क्योंकि सभी क्षेत्रों की राजस्व: की कमी से देश की कुल राजस्व: में कमी दिखती हैं । दिख रही हैं । बिते साल की नर्मी से प्रारंभिक संकेत मिलने पर राजकोषीय क्षेत्र में सतर्क रहना जरूरी हैं ।
इस साल के नये बजट में नये प्रत्यक्ष टैक्स,, डीटीसी, और नये कानून को एक आकार मिलना चाहिए । प्रत्यक्ष टैक्स कानून में बड़े बदलाव और वर्तमान आयकर कानून को दूर करके नये प्रभावी और सरल आयकर कानूनी प्रक्रिया लागु होनी चाहिए । नये आयकर कानून के तहत छोटे आयकरदाताओं के लिए सहुलियत का प्रावधान जरुरी हैं। आंकलन की प्रक्रिया भी सरल होनी चाहिए । इसके साथ दोहरे आयकर टैक्स को खत्म कर देना चाहिए ।
इस बजट की प्राथमिकता ऐसी होनी चाहिए की करदाताओं की संख्या में भी ईजाफा हो क्योंकि बड़े कर दाता भी कर बचाने की जदोजहद में लगे रहते हैं ।
इस सरकार के नोटबंदी के बाद टैक्स प्रशासन के आंकड़े और डेटा बेज़ कहते हैं कि बड़ी संख्या में लोग अपनी असली आय को छिपाते हैं और टैक्स भरने की प्रक्रिया से बचते रहते हैं ।
वित मंत्रालय के आंकड़े दर्शाते हैं कि साल 2016 में रिटर्न भरनेवालों की संख्या में भारी वृद्धि हुई थी । इसी साल 2016 में आयकरदाताओं की संख्या में वृद्धि पाकर 6.26 करोड़ हो गई थीं । जो साल 2015 की तुलना में 23 % अधिक थी । साल 2017 में यह संख्या बढ़कर 7.4 करोड़ हो गई थी ।
इस साल के बजट में यह उम्मीद जताई जाती हैं कि देश की अर्थव्यवस्था को गति देने हेतु आयकर टैक्स में छूट, लंबे वक़्त के लिए कैपिटल गेन टैक्स, घरेलु उत्पादन बढ़े उस हेतु कुछ क्षेत्रों के आयात शुल्क में बदलाव, विदेशी बाँन्ड का जारी करना, डिरैक्ट मुनाफा ट्रांसफर और कृषि विभाग में सुधार, इन्फ्रास्ट्रक्चर , रेल विभाग रोड़, डिफेंस विभाग, हाउसिंग, सरल टैक्स प्रक्रिया आदी निवेशकों और उधोगों के हितों को ध्यान में रखकर एक बेलेंस बनाया जाना चाहिए । इसके साथ विनिर्माण, बैंकिंग, काँर्पोरेट्स, ईकॉमर्स आदी क्षेत्रों के लिए बड़े और ठोस कदम उठाए जाना चाहिए और वो जरूरी भी हैं ।
आमलोगों की क्रय शक्ति में वृद्धि देने हेतु ग्रामीण विकास रोजगारी बढ़ाने हेतु सार्वजनिक परियोजनाओं के लिए भी कदम उठाने होंगे । साथ साथ खर्च और सार्वजनिक निवेश बढ़ाना होगा । इस मंदी में यह एक चूनौतिपूर्ण कार्य होगा ।
ऐसी कई दूसरे महत्वपूर्ण मुद्दे हैं ,जिस पर सरकार जोर देकर कार्य करे तो देश की अर्थ व्यवस्था को गति मिल सकती हैं ।
अब यह देखना है कि इस बजट में कौनकौनसे प्रावधान हैं ।
सोनेचांदी बाजार के लिए कहा जाता हैं कि इस क्षेत्र का आयात शुल्क 12.5 से 15 प्रश हो सकता हैं और जीएसटी 3प्रश से 5 प्रश तक हो सकती है । जबकि हीरा मारकेट को कुछ रियायतें मिल सकती हैं ।

(यह सारे विचार लेखक के निजी हैं )

रिपोर्ट : नेहा सिंह √●Metro City Post # MCP●News Channel ● के लिए...


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