*मई में थोक महंगाई बढ़कर 15.88% के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंची,रुपया ऐतिहासिक निचले स्तर पर*/ रिपोर्ट स्पर्श देसाई
*मई में थोक महंगाई बढ़कर 15.88% के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंची,रुपया ऐतिहासिक निचले स्तर पर*/ रिपोर्ट स्पर्श देसाई
【मुंबई/रिपोर्ट स्पर्श देसाई】खाद्य वस्तुओं और कच्चे तेल के महंगा होने से थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति (महंगाई) मई में बढ़कर 15.88% के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई थी। इसके साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा आगे ब्याज दरों में बढ़ोतरी की संभावना और बढ़ गई है । थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति इस साल अप्रैल में 15.08% और पिछले साल मई में 13.11% थी ।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा गया है कि मई, 2022 में मुद्रास्फीति की उच्च दर मुख्य रूप से खनिज तेलों,कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस,खाद्य पदार्थों, मूल धातुओं,गैर-खाद्य वस्तुओं,रसायनों और रासायनिक उत्पादों तथा खाद्य उत्पादों आदि की कीमतों में पिछले साल के इसी महीने के मुकाबले हुई वृद्धि के कारण है ।
डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति पिछले साल अप्रैल से लगातार 14वें महीने दो अंक में यानी 10% से ऊपर बनी हुई है और तीन महीनों से लगातार बढ़ रही है । पुरानी श्रृंखला के अनुसार डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति मौजूदा स्तर से अधिक अगस्त, 1991 में थी । उस समय यह आंकड़ा 16.06% था । मई में खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति 12.34% थी । इस दौरान सब्जियों,गेहूं,फलों और आलू की कीमतों में एक साल पहले की तुलना में तेज वृद्धि हुई हालांकि प्याज की कीमतें कम हुईं थी ।
रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि मौसम की चरम दशाओं और चारे की कीमतों जैसी लागत के बढ़ने के कारण खाद्य वस्तुओं की कीमतें बढ़ी हैं । उन्होंने आगे कहा कि इसके अलावा खनिजों, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस तथा ईंधन और बिजली खंडों में उच्च मुद्रास्फीति देखी गई हैं। जो वैश्विक जिंस और कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी को दर्शाता है । नायर ने कहा कि रुपये के कमजोर होने और कच्चे तेल में तेजी का असर खुदरा मुद्रास्फीति के मुकाबले थोक मुद्रास्फीति पर अधिक तेजी से दिखाई देगा।【Photo Courtesy Google】
★ब्यूरो रिपोर्ट स्पर्श देसाई√•Metro City Post•News Channel•#थोक महंगाई
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