*MP का 'ऑपरेशन लोटस' रिपीट? जैसे कमलनाथ सरकार को गुमराह किया वही महाराष्ट्र में, BJP का टारगेट उद्धव की कुर्सी ही नहीं, शिवसेना भी छीनना, 6 साल में 7 राज्यों में चलाया ऑपरेशन लोटस, 60% रहा सक्सेस रेट*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई
*MP का 'ऑपरेशन लोटस' रिपीट? जैसे कमलनाथ सरकार को गुमराह किया वही महाराष्ट्र में, BJP का टारगेट उद्धव की कुर्सी ही नहीं, शिवसेना भी छीनना, 6 साल में 7 राज्यों में चलाया ऑपरेशन लोटस, 60% रहा सक्सेस रेट*/रिपोर्ट स्पर्श देसाई
【मुंबई/रिपोर्ट स्पर्श देसाई】महाराष्ट्र में शिवसेना के कद्दावर नेता एकनाथ शिंदे ने पूरी प्लानिंग के साथ बगावत की है । पहले मंगलवार को सूरत में ठहरे बागी विधायक बुधवार की सुबह गुवाहाटी पहुंच चुके हैं । 25 बागी विधायकों से शुरू हुआ सिलसिला 42 विधायकों तक पहुंच चुका है । 'ऑपरेशन लोटस' BJP की उस स्ट्रैटजी के लिए गढ़ा गया शब्द है, जिसमें सीटें पूरी न होने के बावजूद पार्टी सरकार बनाने की कोशिश करती है । पिछले 6 साल के दौरान 7 राज्यों में BJP ने ऑपरेशन लोटस चलाया. इसमें से 4 बार BJP को सफलता मिली है, जबकि 3 बार मात खानी पड़ी ।
मध्यप्रदेश में 2018 के विधानसभा चुनाव में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला । कांग्रेस ने BSP और निर्दलियों की बैसाखी पर सरकार बनाई । एक तरफ सरकार के पास मजबूत संख्याबल नहीं था, दूसरी तरफ कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया पार्टी में अपनी अनदेखी से परेशान थे । कांग्रेस के असंतुष्ट नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक विधायकों को BJP के पाले में करना और कमलनाथ की सरकार गिरा देना । इसके लिए बीजेपी नेता नरोत्तम मिश्रा के हाथ में कमान सौंपी गई ।
राजस्थान में 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने 100 सीटें जीतकर मुश्किल से बहुमत आंकड़ा छुआ था । बसपा और निर्दलियों को कांग्रेस के पाले में कर CM अशोक गहलोत ने अपनी कुर्सी मजबूत करने की कोशिश की । वहीं विधानसभा में कांग्रेस का चेहरा रहे सचिन पायलट CM बनने के लिए अपनी कोशिशें जारी रखीं । राजस्थान का CM नहीं बन पाने के कारण नाराज सचिन पायलट के जरिए कांग्रेस विधायकों को BJP के पाले में कर अशोक गहलोत की सरकार को गिराने की कोशिश की । इसके लिए राजस्थान बीजेपी की स्टेट यूनिट को अहम जिम्मेदारी सौंपी गई ।
2017 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में BJP 104 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. BJP नेता बीएस येदियुरप्पा ने CM पद की शपथ भी ले ली, लेकिन फ्लोर टेस्ट पास नहीं कर पाए । सरकार गिर गई, लेकिन फिर कांग्रेस और JDS के विधायकों को अपने पाले में करके विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा कम करना और BJP की सरकार बनाना । बीजेपी ने बीएस येदियुरप्पा को इस पूरी स्ट्रैटजी की कमान सौंपी ।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे 24 अक्टूबर 2019 को घोषित हुए थे । BJP-शिवसेना गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिला था । BJP को 105 और शिवसेना को 56 सीटें मिलीं । वहीं NCP को 54 और कांग्रेस को 44 सीटों पर जीत मिली । CM पद को लेकर BJP और शिवसेना अलग हो गईं । इसके बाद शिवसेना ने NCP और कांग्रेस से हाथ मिलकर सरकार बनाने की घोषणा की लेकिन इसके एक दिन बाद 23 नवंबर 2019 को ही CM के रूप में देवेंद्र फडणवीस ने शपथ ले ली । उनके साथ अजित पवार ने भी डिप्टी CM पद की शपथ ली । BJP इसके एवज में अजित पवार पर लगे सारे आरोप वापस ले ली ।
फरवरी 2017 के गोवा विधानसभा चुनाव में किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला लेकिन कांग्रेस 17 सीटों के साथ सबसे बड़ा पार्टी बनकर उभरी। सत्ता की चाबी छोटे दलों और निर्दलियों के हाथ में थी । कम सीटें होने के बावजूद सरकार बनाने का दावा BJP ने पहले पेश किया ।
साल 2014 चुनाव के बाद अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई । हालांकि कांग्रेस के नेताओं के बीच की रंजिश खुलकर सामने आती रही । आखिरकार 16 सितंबर 2016 को कांग्रेस पार्टी के मुख्यमंत्री पेमा खांडू और 42 विधायक पार्टी छोड़कर पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल प्रदेश में शामिल हो गए । PPA ने BJP के साथ मिलकर सरकार बनाई ।
उत्तराखंड में 2012 के विधानसभा चुनाव में त्रिशंकु विधानसभा रही । कांग्रेस 32 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी, जबकि BJP को 31 सीटें मिलीं । ऐसे में BJP इस हार को पचा नहीं पा रही थी लेकिन जैसे ही कांग्रेस ने केदारनाथ आपदा के बाद विजय बहुगुणा को हटाकर 2014 में हरीश रावत को CM बनाया, BJP को यहां उम्मीदें दिखने लगीं ।
वहीं अब महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे को दलबदल कानून से बचते हुए उद्धव सरकार गिराने के लिए शिवसेना के 37 विधायक चाहिए,फिर भी वो रुक नहीं रहे । वो बागियों के डेरे में लगातार शिवसेना विधायकों को जोड़ते जा रहे हैं । गुवाहटी के पांच सितारा होटल के बाहर शिंदे ने 46 विधायक साथ होने का दावा किया । बस यहीं एक सवाल कौंध रहा है। आखिर शिंदे चाहते क्या हैं? वो लगातार जरूरत से ज्यादा शिवसेना के बागी विधायकों को क्यों जुटा रहे हैं? उधर BJP ने अब तक विधानसभा सत्र बुलाने की मांग क्यों नहीं की है? उद्धव से खुली बगावत के बावजूद शिंदे लगातर क्यों कह रहे हैं कि वो बाला साहेब के सच्चे शिवसैनिक हैं और उन्होंने शिवसेना नहीं छोड़ी है ।【Photo Courtesy Google】
★ब्यूरो रिपोर्ट स्पर्श देसाई√•Metro City Post•News Channel•#ऑपरेशन लोटस
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