नागरिकता संशोधन बिल के चलते हुआ देश को 13000 करोड़ का नुकसान का अनुमान / रिपोर्ट स्पर्श देसाई





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मुंबई / रिपोर्ट स्पर्श देसाई



नागरिकता संशोधन बिल के चलते हुआ देश को 13000 करोड़ का नुकसान का अनुमान हैं ।
जापानी निवेशक जा सकते हैं वापस निजी निवेशकों के लिए किसी भी क्षेत्र की शांति और सुरक्षा बेहद मायने रखती है। ऐसे में यदि उत्तर पूर्वी राज्यों में नागरिकता संशोधन एक्ट या फिर एनआरसी को लेकर आगे भी हंगामा जारी रहता है तो इसका भारत में होने वाले निवेश पर काफी बूरा असर पड़ सकता है ।
 
नागरिकता संशोधन एक्ट को लेकर देश के कई राज्यों में भारी विरोध देखने को मिला। खासकर देश के उत्तर पूर्वी राज्यों में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए और इनमें 2 प्रदर्शनकारियों की मौत हुई हैं । इस दौरान उग्र भीड़ ने कई सरकारी दफ्तरों, रेलवे स्टेशन समेत कई वाहनों में लगा दी। इस पूरे हंगामे का असर ये हुआ है कि इससे भारत को करीब 13000 करोड़ रुपए के जापानी निवेश के नुकसान की भी आशंका है ।

दरअसल जापान के निवेशक भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों में करीब 13000 करोड़ रुपए निवेश करने की योजना बना रहे हैं। इस संबंध में इसी साल जून माह में जापानी प्रतिनिधिमंडल ने उत्तर पूर्वी राज्यों का दौरा भी किया था। जापान के पीएम शिंजो अबे के हालिया भारत दौरे पर इस निवेश को लेकर अंतिम सहमति बननी थी, लेकिन नागरिकता संशोधन एक्ट के चलते असम में हुए हंगामे का असर ये पड़ा कि जापान के पीएम ने अपना भारत दौरा फिलहाल रद्द कर दिया है। बता दें कि भारत-जापान के बीच का वार्षिक सम्मेलन 15 दिसंबर से 17 दिसंबर के बीच असम के गुवाहाटी शहर में होना था, लेकिन अब यह सम्मेलन फिलहाल टाल दिया गया है।

भारत के नजरिए से जापानी पीएम का भारत दौरा रद्द होना बड़ा झटका है। जापान भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों में कई बड़ी परियोजनाओं को शुरू करने वाला था, जिससे इस क्षेत्र मे विकास को नई गति मिलती, लेकिन अभी ये निवेश अधर में लटक गया है। हालांकि ये तर्क दिया जा सकता है कि अभी हंगामे के चलते जापानी पीएम का दौरा रद्द हुआ है, लेकिन वह बाद के दिनों में फिर आयोजित हो सकता है और यह 13 हजार करोड़ रुपए का निवेश फिर भारत आ सकता है, लेकिन यहां ये बात याद रखने वाली है कि उत्तर पूर्वी राज्यों में जो जापानी निवेश होना है, वो सरकार के स्तर पर नहीं बल्कि जापानी के निजी निवेशक के स्तर पर कर रहे हैं।

निजी निवेशकों के लिए किसी भी क्षेत्र की शांति और सुरक्षा बेहद मायने रखती है। ऐसे में यदि उत्तर पूर्वी राज्यों में नागरिकता संशोधन एक्ट या फिर एनआरसी को लेकर आगे भी हंगामा जारी रहता है तो इसका भारत में होने वाले निवेश पर काफी बुरा असर पड़ सकता है और संभव है कि जापानी निवेशक इस निवेश से पीछे ही हट जाएं। गौरतलब है कि भारत द्वारा जापान को यह सम्मेलन दिल्ली में आयोजित करने का विकल्प दिया था, लेकिन जापान ने इससे इंकार कर दिया। ऐसे में हो सकता है कि जापान की नजर उत्तर पूर्वी राज्यों में आने वाले दिनों में बनने वाले हालातों पर रहे।

इकॉनोमिक टाइम्स की एक खबर के मुताबिक उत्तर पूर्वी राज्यों में जापानी निवेशक जिन परियोजनाओं में निवेश करने वाले हैं, उनमें गुवाहटी वाटर सप्लाई प्रोजेक्ट, गुवाहाटी सीवेज प्रोजेक्ट, असम और मेघालय के बीच बनने वाला नॉर्थ ईस्ट रोड नेटवर्क कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट, सिक्किम में बायोडायवर्सिटी कंजरवेशन और फोरेस्ट मैनेजमेंट, त्रिपुरा में सस्टेनेबल फोरेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट, टेक्नीकल कॉपरेशन प्रोजेक्ट फॉर सस्टेनेबल कृषि एवं सिंचाई प्रोजेक्ट, नागालैंड में फॉरेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट आदि प्रोजेक्ट शामिल हैं।



◆रिपोर्ट स्पर्श देसाई √●Metro City Post # MCP●News Channel ◆ के लिए....


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