सावधान ! मुंबई के पीने के पानी में पाया गया हैं 'मेगावायरस' / रिपोर्ट स्पर्श देसाई
मुंबई/ रिपोर्ट स्पर्श देसाई
मुंबई में हाल ही में पानी शुद्ध होने का दावा किया गया था। फिर भी मुंबई के विभिन्न जलाशयों में प्रमुख वायरस पाये गये है। इसे वैज्ञानिकों ने 'बांद्रा मेगावायरस' और 'कुर्ला वायरस' नाम दिया है। हालांकि यह वायरस अन्य वायरस की तुलना में बहुत तेजी से बढ़ रहा है, वैज्ञानिकों का दावा है कि यह कोई खतरा नहीं है।
इस प्रकार की महामारी इंग्लैंड में खोजी गई थी। इस वायरस की खोज सन 1959 में इंग्लैंड के किलिंग टॉवर पर हुई थी। वायरस को तब दुनिया भर के प्रमुख शहरों में खोजा गया था। आईआईटी मुंबई के वैज्ञानिक देश में जैव प्रौद्योगिकी विभाग और विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग के माध्यम से डो. किरण कोंडाबगिल की टीम ने इस पर संशोधन कर और शहर के विभिन्न जलाशयों में पानी का निरीक्षण करके इस निष्कर्ष पर पहुंचे थे। वैज्ञानिकों ने लगभग पांच साल तक किए गए शोध में उनके बारे में पता किया है। उनके द्वारा खोजे गए विशाल वायरस को अलग-अलग नाम दिए गए हैं। इनमें बांद्रा वायरस, कुर्ला वायरस, पवई लेक वायरस, मिमी वायरस बॉम्बे शामिल हैं।
यह वायरस जो आम वायरस से कई गुना बड़ा है, मुंबई में संक्रमित हो गया है। ये वायरस एक शरीर से दूसरे शरीर में जाते हैं। उस समय, वे शरीर से डीएनए की जानकारी की प्रतिलिपि बनाते हैं और उस डीएनए को दूसरे के शरीर में ले जाते हैं । शोधकर्ताओं का दावा है। यह शोधलेख अभी विज्ञान पत्रिका "साइंटिफिक रिपोर्ट्स" में प्रकाशित हुआ है। उन्होंने शहर के सीवेज, डेयरी यूनिट के जल उपचार संयंत्र, घरेलू जल शोधन से पानी के नमूनों की जांच की गई थी। इसका अध्ययन करते हुए उन्होंने विशालकाय वायरस की खोज की थी । इसमें दो नए वायरस पाए गए। इस टीम में, डॉ. कोंडाबागिल के साथ अनिरवन चटर्जी, राजेश यादव, अंकिता गुप्ता, शैलेश लाड और प्रतिभा घोडके थे। टीम ने लगभग पांच वर्षों तक इस शोध पर काम किया हैं ।
रिपोर्ट स्पर्श देसाई √●Metro City Post #MCP ●News Channel●के लिए...
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