IMFआइएमएफ की चेतावनी : अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर भाजपा सरकार की विफलता दिख रही हैं ,खतरे में देश की अर्थव्यवस्था : रिपोर्ट /स्पर्श देसाई
मुंबई / रिपोर्ट स्पर्श देसाई
सरकार बार-बार यह दावा कर रही कि अर्थव्यवस्था की बुनियाद है मजबूत । हालांकि खतरे में देश की अर्थव्यवस्था हैं ।
साल के आखिरी दिनों में भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर एक बार फिर खतरे की घंटी बजी है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) ने सोमवार को जारी रिपोर्ट में साफ-साफ कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था में इस वक्त मंदी का जो माहौल है, वह किसी गंभीर संकट से कम नहीं है और मंदी से उबरने के लिए सरकार को तत्काल नीतिगत कदम उठाने की जरूरत है। आइएमएफ की यह चेतावनी अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर भारत की विफलता को बताने के लिए पर्याप्त है। भारत की अर्थव्यवस्था में मंदी की शुरुआत साल भर पहले हो चुकी थी। लेकिन उस वक्त सरकार मंदी की बात को खारिज करती रही और स्थिति बिगड़ती चली गई। अब विश्व बैंक सहित दुनिया की बड़ी रेंटिंग एजंसियां और यहां तक कि भारत के रिजर्व बैंक ने भी आर्थिक वृद्धि में गिरावट के जो अनुमान व्यक्त किए हैं, वे इस बात का स्पष्ट प्रमाण हैं कि अर्थव्यवस्था में भारी मंदी है और इससे भी ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि हाल-फिलहाल इसमें सुधार की कोई उम्मीद नहीं है। इस संकट से निकलने के सरकार को नीतिगत स्तर पर जो काम करना चाहिए, उसका अभी अभाव दिख रहा है। आइएमएफ की चिंता भी इसी को लेकर है। इस वक्त बड़ी चुनौती बचत, खपत और निवेश के असंतुलन को दूर करने की है। मंदी की मार से त्रस्त ज्यादातर उद्योगों में नौकरियां नहीं हैं और लाखों लोग बिना रोजगार के बैठे हैं। ऐसे में सरकार मांग और उत्पादन बढ़ाने पर जोर देने की बात कर रही है। प्रश्न इस बात का है कि लोगों के पास जब काम नहीं होगा तो खर्च करने को पैसा कहां से आएगा और कैसे बाजार में मांग बनेगी? जब मांग नहीं होगी तो फैक्ट्रियां और कारखाने बनाएंगे क्या? जब औद्योगिक गतिविधियां सुस्त होंगी तो कैसे विकास दर बढ़ेगी? अर्थव्यवस्था की सुस्ती का सबसे बुरा असर तो यह पड़ा है कि राजकोषीय घाटा बढ़ता जा रहा है। विदेश व्यापार चौपट हालत में है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था का जिस तरह बंटाधार हुआ है, उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। सरकार बार-बार यह दावा रही है कि अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है। पर सवाल है कि फिर क्यों नहीं हम मंदी की मार से उबर पा रहे? क्यों बाजारों में रौनक नहीं ? क्यों व्यापारी हैं निराश? मतलब भारतीय अर्थ व्यवस्था सूस्त होती जा रही हैं ।
रिपोर्ट स्पर्श देसाई √●Metro City Post # MCP●News Channel ◆ के लिए...
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