कुल बजट के हिसाब से साल 2008-2009 में शिक्षा बजट 5.4 बढ़कर साल 2019-20 में 9.5 हो गया लेकिन इसी दौरान एम.सी.जी.एम.स्कूलों में छात्रों की संख्या में 33%की गिरावट देखी गई / रिपोर्ट स्पर्श देसाई
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मुंबई/ रिपोर्ट स्पर्श देसाई
मुंबई कीजानीमानी सामाजिक संस्था प्रजा फाउंडेशन की ओर से दिनांक 7 दिसंबर मुंबई मेंआयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मनपा स्कूलों की स्थिति पर अपनी रिपोर्ट जारी करते हुए मुंबई की सहकारी स्कूलों की शिक्षा स्थिति पर। प्रकाश डाला गया ।
प्रजा फाउंडेशन के अध्यक्ष निताई मेहता ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि शिक्षा घर घर पहुंचे उस हेतु 86वें संविधान संशोधन साल 2002 के जरिए मौलिक अधिकारबनाया गयाऔर उसके तहत नि:शूल्क बाल शिक्षा का अधिकार आर.टी.ई.साल 2009 माध्यम से लागु किया गया । लेकिन दू:ख की बात यह हैं किजिन्हें यह फायदा मिलना चाहिए ,उन लोगों को लापरवाह शिक्षा विभाग का खामियाजा भुगतना पड़ रहा हैं ।
आंकड़ो के जरिए यह खुलासा मिल रहा हैं कि मुंबई के नगर निगम MCGM स्कूलों में छात्रों के प्रवेश के आंकड़ों लगातार गिरावट आती रही हैं ।
साल 2014-15 की तुलना में साल 2018-19 में 96,336 कम से छात्रों ने प्रवेश लिया । जो बिते पांच सालों में करीब 24 % की गिरावट दिखा रहाहैं । जबकि पहली कक्षा का हिसाब देखें तो उसमें भी प्रवेश साल 2009-2010 में 67,477 से गिरकर साल 2018-19 में 27,918 तक हो गया था ।
उसके अलावा ड्रोप आउट डेटा से पता चलता हैं कि साल 2018-19 में स्कूल में प्रवेश पाने वाले में से 10 प्रश छात्रों नेस्कूलों को छोड़ दिया था ।
कक्षा पहली से कक्षा 10 तक MCGM के छात्रों का प्रवेश का दर भी आशंका जनक हैं । अगर 100 छात्रों ने साल 2009-10 में स्कूलों में पहली कक्षा मेंप्रवेश लिया तो साल 2018-19 य
में सिर्फ 22 छात्रों ने10 वीं कक्षा तक बने रहे, जो प्रवेशांक के सबसे अधिक अंतर कक्षा 7 से8 दिख रहा हैं । यह आंकड़े यह संकेत देरहे हैं कि MCGM अपने निगम कीस्कूलों में छात्रों को टिकाने में असमर्थ हैं। विडंबना यह हैं कियह सब तब हो रहा हैं, जबकि निगम का बजट साल 2014- 15 में प्रति छात्र खर्च ₹ 50,586 से वृद्धि पाकर साल 2018-19 में ₹ 60,878 हो गया हैं । ऐसा मिलींद महस्के ने बताया था । आगे उन्होंने बताया कि हालांकि शिक्षा बजट में वृद्धि हुई हैं ।प्रजा फाउंडेशन के सहयोग से हंसा रिसर्च ने किए एक निजी सर्वे से पता चला हैं कि 87 % माता पिताअपने बच्चे को प्राइवेट स्कूल में भर्ती करना चाहते हैं।
सरकारी स्कूलों में छात्रों के प्रवेश की गिरावट यह महत्व का मुद्दा नहीं हैं । पर आर. टी.आई के जरिए प्राप्त स्कूलों के डेटा के हिसाब से छात्रों की सबकुछ शिखने की क्षमताएं एवं MCGM स्कूलों में शिक्षण अभिगम पर भी कई सवाल खड़े करते हैं ।
साल 2017 में MCGM के जरिए छात्रों के शिक्षण के स्तरों के आधार पर शिक्षकों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिए एक परिपत्र (परिपत्र क्रमांक 237 -दिनांक 27/10/2017 ) जारी गया था । एक ओर इन शिक्षकों की जवाबदेही में सुधार एवं छात्रों के शिक्षण की प्रक्रिया मेंउनकी हिस्सेदारी को प्रोत्साहित करनेके लिए बढ़ता कदम लग रहा था । परंतु उनके खराब प्रदर्शन के मद्देनजर दंडात्मक कार्यवाही के कोई भी पहलूंओं को काम में नहीं लिया गया ।
विशाल और लगातार मुल्यांकन ( CCE - आंतरिक ग्रेडिंग) सैंपल यानि कि नमूने के आंकड़ों केहिसाब से MCGM स्कूलों के सभी छात्रों ने ए एवं बी ग्रेड प्राप्त किया था, मतलब कि 5 वीं और 8 वीं की कक्षाओं में 99 % छात्रों ने ए एवं बी ग्रेड प्राप्त किया था । मुश्किल यह था कि यह परिपत्र का सही प्रभाव था या सज़ा का डर ? आर.टी.आई.के जरिए यह पता चलाकि एक शिक्षक को छात्रों कोकम CCEग्रेड में दिखाने के लिए जूर्माना भरना पड़ा था।
निताई मेहता नेबताया था कि बाहरी परीक्षाओं में प्रदर्शन के बाद इन छात्रों की वास्तविक शैक्षणिक प्रदर्शन पर स्पष्टीकरण मिल सकता हैं । एस.एस.सी.पास आउट दरों कोदेखा जाए तो यह दर्शाता है कि परीक्षा पध्दति में बदलाव के कारण कुल पास प्रतिशत में भारी गिरावट देखी गई हैं, जिसका बड़ा असर MCGM स्कूलों केछात्रों पर पडा और सिर्फ 54.43 % छात्रों नेपरीक्षा पास की थी ।
साल 2018-19 में MCGM के छात्रों को 2.4% स्कोलरशिप मिली थी जिसकी तुलना मेंनिजी स्कूलों में 11.9 स्कोलरशिप मिली थी ।
इससे यह स्पष्ट होता हैं कि SMC यानि कि स्कूल प्रबंधन समिति प्रभावी होते तो निश्चित रूपसे अच्छे परिणाम मिलते । कहकर मेहता नेअपनी बातसमाप्त की थी ।
◆रिपोर्ट : स्पर्श देसाई √●Metro City Post# MCP● News Channel ◆ के लिए...
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