क्या तुर्की तीसरे विश्व युद्ध का प्रारंभ करने के लिए रूस के ख़िलाफ़ अमरीका को घसीट रहा है ? /रिपोर्ट स्पर्श देसाई

                         मुंबई/रिपोर्ट स्पर्श देसाई
 
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सीरिया में दो बड़ी शक्तियों के बीच टकराव में दो और तुर्की के सैनिकों की मौत हो गई है।
सीरियाई सेना रूस के समर्थन से आतंकवादी गुटों के अंतिम गढ़ इदलिब में दिन प्रतिदिन प्रगति कर रही है और तुर्की की सीमा के बहुत निकट पहुंच चुकी है।
तुर्की ने अमरीका से मदद की गुहार लगाई है, अमरीका ने भी तनाव बढ़ाने के लिए तुर्की की मदद सहायता में दिलचस्पी दिखाई है।
अमरीका की भूमिका के बारे में ताज़ा चिंताएं गुरुवार को उस वक़्त शुरू हुईं, जब रूसी या सीरियाई वायु सेना के हवाई हमलों में तुर्क सैनिकों की मौत के बाद अंकारा ने रूस का मुक़ाबला करने के लिए अमरीका से विमान-रोधी मिसाइलों को तैनात करने और तुर्की की वायु सीमा में हवाई गश्त शुरू करने की मांग की।
नाटो के हस्तक्षेप की संभावना ने सीरिया में अमरीकी विदेश मंत्रालय और पेंटागन के बीच मतभेदों को उजागर किया है। इसलिए कि तुर्क सेना ने रूस से मिसाइल रक्षा प्रणाली की प्राप्ति के बाद अमरीकी समर्थित कुर्द मिलिशियाओं के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया, लेकिन इसके बावजूद वाशिंगटन में अमरीकी विदेश मंत्रालय तुर्की का सबसे क़रीबी सहयोगी बना रहा।
बुधवार को पेंटागन के प्रवक्ता जोनाथन हाफ़मैन ने कहा था कि हम देख रहे हैं कि तुर्क और रूसी क्षेत्र में टकराव के काफ़ी क़रीब पहुंच चुके हैं। हमें आशा है कि टकराव को रोकने के लिए वे कोई समाधान निकाल लेंगे।
सीरिया को अरब संघ में वापस आना चाहिएः अल्जीरिया


अमरीका के विदेश मंत्रालय ने फ़रवरी के शुरू में इदलिब में तुर्की समर्थित आतंकवादियों के समर्थन का संकेत दिया था।
2 फ़रवरी को अमरीकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा था कि हम अपने नाटो सहयोगी तुर्की के साथ खड़े हैं और अपनी रक्षा में की गई तुर्की की कार्यवाही को सही मानते हैं। 11 फ़रवरी को सीरियाई मामलों में अमरीकी विदेश मंत्रालय के प्रतिनिधि जेम्स जैफ़री ने अंकारा की यात्रा की थी, जहां उन्होंने कहा था कि आज, इदलिब में हमारे सहयोगी तुर्की के सैनिकों को ख़तरे का सामना है।
गुरुवार को भी वाशिंगटन में एक प्रेस कांफ़्रेंस के दौरान, अमरीकी विदेश मंत्रालय के पूर्व दो अधिकारियों ने रूस के मुक़ाबले में अमरीका से तुर्की की मदद करने की मांग कर डाली।
इन समस्त घटनाक्रमों के बीच, तुर्क राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोगान को क़रीब से जानने वालों का मानना है कि यह बात सही है कि तुर्की को उत्तरी सीरिया में एक मुश्किल घड़ी का सामना है, लेकिन अर्दोगान एक होशियार राजनेता हैं और अंतिम समय में वह सही फ़ैसला लेने की योग्यता रखते हैं।
उत्तरी सीरिया में तुर्की के सैनिक मौजूद हैं और अर्दोगान वहां बने रहने के लिए अमरीका समेत हर कार्ड खेलने की कोशिश करेंगे, लेकिन जब देख लेंगे कि रूस और सीरिया से टकराव टालना संभव नहीं है, तो वे आख़िरी समय में सीरिया से अपने सैनिक निकाल लेंगे। 
अल्जीरिया ने सीरिया के अरब संघ में वापस लौटने की मांग की है।
अल्जीरिया के राष्ट्रपति "अब्दुल मजीद तिबून" ने मांग की है कि सीरिया को अरब संघ में वापस लिया जाए। रशिया टूडे को दिये साक्षात्कार में अल्जीरिया के राष्ट्रपति "अब्दुल मजीद तिबून" ने कहा कि सीरिया, अरब संघ के संस्थापक देशों में से एक है।  उन्होंने कहा कि अल्जीरिया के लिए यह स्वीकार्य नहीं है कि कोई भी अरब राष्ट्र अत्याचारग्रस्त रहे।  अल्जीरिया के राष्ट्रपति के इस बयान से कुछ दिन पहले इस देश के विदेशमंत्री यह कह चुके हैं कि अरब संघ में सीरिया की अनुपस्थिति से इस संघ को बहुत नुक़सान हुआ है।  सब्री बूक़ादूम ने कहा कि अरब देशों को अरब संघ में सीरिया को वापस लाने के लिए प्रयास करने चाहिए।
ज्ञात रहे कि सीरिया संकट सऊदी अरब और संयुक्त अरब इमारात के दबाव के कारण अरब संघ ने सन 2011 में सीरिया की सदस्यता निलंबित कर दी थी।    तुर्की के सैनिक, सीरिया के इदलिब में बाक़ी रहेंगेः अर्दोग़ान

  सीरियाई सैनिकों ने भी अमेरिकी सैनिकों के अहंकार की निकाली हवा, अमेरिकी सैनिक उल्टे पांव लौटने पर हुए मजबूर ।
रजब तैयब अर्दोग़ान ने कहा है कि तुर्की के सैनिक, सीरिया के इदलिब में बाक़ी रहेंगे। तुर्की के राष्ट्रपति ने धमकी देते हुए कहा है कि सीरिया के इदलिब प्रांत में हमारे सैनिक मौजूद रहेंगे।
रजब तैयब अर्दोग़ान का कहना है कि तुर्की के सैनिक, उत्तरी सीरिया से पीछे नहीं हटेंगे।  उन्होंने कहा कि इस बारे में मैं रूस के राष्ट्रपति विलादिमीर पुतीन से भी भेंट करूंगा।इसी बीच तुर्की के रक्षामंत्री ने शुक्रवार को कहा था कि चुनाव के बाद ही तुर्की के सैनिकों की सीरिया से वापसी संभव हो सकती है किंतु अभी नहीं।  उधर तुर्की की सेना ने सीरिया के इदलिब प्रांत में बहुत से सैन्य उपकरण भेजे हैं।
ज्ञात रहे कि इदलिब प्रांत को आतंकवादियों से मुक्त कराने के उद्देश्य से सीरिया के सैनिक पिछले दो महीनों से सैन्य अभियान चला रहे हैं जबकि तुर्की इसका खुलकर विरोध कर रहा है।  तुर्की ने आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष के नाम पर सीरिया के एक भाग पर क़ब्ज़ा कर लिया है।
जानकार हल्कों का मानना है कि अमेरिकी सैनिकों की गश्त जासूसी गश्त थी । सीरियाई सैनिकों ने इस देश के पूर्व में स्थित अलहस्के की दो चेक पोस्टों से अमेरिकी सैनिकों को नहीं जाने दिया और इन सैनिकों को विवशतः वापस लौटना पड़ा।
अलहस्के प्रांत के एक सुरक्षा सूत्र ने बताया है कि इस प्रांत की अलहस्के- तल्ले असवद चेक पोस्ट पर सीरियाई सैनिकों ने अमेरिकी सैनिकों को वापस लौटने पर मजबूर कर दिया।

इसी तरह सीरिया के रक्षा सूत्र ने बताया है कि इस देश के सैनिकों ने जबले कौकब नामक क्षेत्र में भी स्थित चेक पोस्ट से अमेरिकी सैनिकों की गश्ती टुकड़ी को नहीं जाने दिया।
सीरिया के रक्षा सूत्र ने बताया है कि अमेरिकी सैनिकों की गश्ती टुकड़ी का यह कार्य एक प्रकार का नया परिवर्तन है क्योंकि वे सीरियाई सेना के महत्वपूर्ण केन्द्रों पर जाने का प्रयास कर रहे थे।
जानकार हल्कों का मानना है कि अमेरिकी सैनिकों की इस प्रकार की गश्त जासूसी गश्त थी जिसकी वजह से सीरियाई सैनिकों ने उन्हें वापसी का मार्ग दिखाया। MM

संसदीय चुनाव में सिद्धांतवादी धड़ा काफ़ी...
 ईरान में शुक्रवार को हुए संसदीय चुनाव के आरंभिक नतीजे सामने आना शुरू हो गए हैं। 
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार संसदीय चुनाव में सिद्धांतवादी धड़ा काफ़ी आगे चल रहा है।  फ़ार्स न्यूज़ एजेन्सी का कहना है कि राजधानी तेहरान में, जहां संसद की 30 सीटे हैं, सिद्धांतवादी धड़ा स्पष्ट बहुमत की ओर बढ़ रहा है।  ईरान के चुनाव आयोग के प्रवक्ता इस्माईल मूसवी ने कहा है कि सभी संसदीय सीटों के चुनाव के आपचारिक परिणामों की घोषणा शनिवार देर गए तक कर दी जाएगी।  उन्होंने कहा कि संभावित रूप से कुछ सीटों के परिणामों की घोषणा रविवार को भी हो सकती है। ज्ञात रहे कि शुक्रवार को ईरान में संसद की 290 और विशेषज्ञ परिषद की 7 सीटों के लिए मतदान किया गया था।
आतंकवादियों के हमले में दो ईरानी सुरक्षाकर्मी शहीद ।

दक्षिणी सीस्तान व बलोचिस्तान के सीमावर्ती क्षेत्र में आतंकवादियों के हमले में ईरान के दो सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए।
दक्षिणी सीस्तान व बलोचिस्तान के सीमावर्ती क्षेत्र "जेकीगूर" में आतंकवादियों के हमले में ईरान के दो सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए।  यह हमला कुछ सशस्त्र आतंकवादियों ने शनिवार की सुबह सीस्तान व बलोचिस्तान प्रांत के सीमावर्ती क्षेत्र जेकीगूर में अंजाम दिया। जैसे ही सशस्त्र आतंकवादियों ने गोलीबारी आरंभ की  ईरान के सीमा सुरक्षाबल के जवानों ने जवाबी कार्यवाही शुरू कर दी।  गंभीर झड़प के दौरान आतंकवादी गुट के कई लोग मारे गए जबकि बाक़ी अपनी जान बचाकर पाकिस्तान की सीमा में चले गए।
ज्ञात रहे कि हालिया कुछ वर्षों के दौरान सशस्त्र आतंकवादियों ने कई बार पाकिस्तान की सीमा से आकर ईरान के सीमावर्ती क्षेत्रों में आतंकवादी कार्यवाही की जिसके परिणाम स्वरूप कुछ आम लोग और सीमा सुरक्षाबल के जवान मारे गए।
मदीने में गोलीबारी पुलिस प्रमुख की मौत
 सऊदी अरब के पवित्र नगर मदीने में गोलीबारी की घटना में पुलिस प्रमुख की मौत हो गई है।
सऊदी अरब के संचार माध्यमों ने सूचना दी है कि पवित्र नगर मदीने में पुलिस पर अज्ञात लोगों की ओर से की गई गोलीबारी में स्थानीय पुलिस प्रमुख "अब्दुल्लाह अलग़ामेदी" मारे गए जबकि एक अन्य पुलिसकर्मी घायल हो गया।

मदीने में होने वाली इस गोलीबारी की घटना के बारे में अभी विस्तार से पता नहीं चल सका है कि आक्रमणकारी कौन थे और हमले का कारण क्या था? बताया यह जा रहा है कि मदीने की पुलिस, आक्रमणकारी को गिरफ़्तार करने में सफल रही है।  विस्तृत रिपोर्ट की प्रतीक्षा है।
सऊदी अरब के कई शहरों पर मीज़ाइलों की बारिश, सऊदी अरब ने भी किया स्वीकार ।
यमन की सेना और स्वयं सेवी बलों ने शुक्रवार को एक बार फिर सऊदी अरब के विभिन्न शहरों में इस देश की सैन्य छावनियों को निशाना बनाया है।
सऊदी अरब की सरकारी समाचार एजेन्सी वास की रिपोर्ट के अनुसार यमनी सेना ने सऊदी छावनियों पर बैलेस्टिक मीज़ाइल फ़ायर किए हैं और यह मीज़ाइल सनआ से सऊदी अरब के शहरों की ओर फ़ायर किए गये हैं।
सऊदी समाचार एजेन्सी ने निशाना बनने वाले सऊदी शहरों का नाम बताए बिना दावा कया कि सऊदी अरब के मीज़ाइल सिस्टम ने कई मीज़ाइलों को मार गिराया है।
यमन के जनांदोलन अंसारुल्लाह ने पिछले शनिवार को उत्तरी यमन के अलजौफ़ प्रांत में आधुनिक तकनीक से संपन्न ज़मीन से हवा में मार करने वाले मीज़ाइल से सऊदी अरब के एक टोरनाडो युद्धक विमान को मार गिराया था।
सऊदी गठबंधन 26 मार्च 2015 से यमन पर हमले कर रहा है। (AK)
ट्रंप ने उठाया सच्चाई से पर्दा, अमेरिका इराक़ और सीरिया क्यों गया?
ट्रंप ने कहा कि हम 1500 अरब डालर या उससे अधिक का इराकी तेल निकालेंगे ।अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फ़िर स्वीकार किया है कि आतंकवादी गुट दाइश के मुकाबले से उनका लक्ष्य इराक और सीरिया का तेल है।
समाचार एजेन्सी रोयटर्ज़ की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने समर्थकों की चुनावी रैली में कहा कि हमने सीरिया में दाइश को नष्ट कर दिया अलबत्ता हमने सीरिया के तेल के भाग को सुरक्षित रखा है और अपने कुछ सैनिकों को इस देश के तेल स्रोतों की रक्षा पर तैनात कर दिया है।
ट्रंप ने कहा कि हम यही काम इराक में भी कर रहे हैं और इराकी तेल से खूब पैसा आ रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हालिया महीनों में कई बार सीरिया और इराक के तेल स्रोतों को अपने नियंत्रण में रखने की बात कर चुके हैं।
अभी कुछ समय पहले सेटेलाइट से ली गयी तस्वीरें इस बात की सूचक हैं कि अमेरिकी सेना के निजी ठेकेदार इस देश की खुफिया एजेन्सी सीआईए और सशस्त्र गुटों की सहकारिता से तीन करोड़ डालर मूल्य के सीरियाई तेल को निकालने की चेष्टा में हैं।
ट्रंप ने फाक्स न्यूज़ एजेन्सी के साथ एक साक्षात्कार में भी कहा था कि हम 1500 अरब डालर या उससे अधिक का इराकी तेल निकालेंगे।
जानकार हल्कों का मानना है कि आतंकवादी गुटों विशेषकर दाइश को अमेरिका ने बनाया है ताकि इस गुट से मुकाबले के बहाने वह इराक और सीरिया जाये और इन देशों की तेल सम्पदा की लूट- खसोट कर सके।
इसी प्रकार इन जानकार हल्कों का कहना है कि अगर अमेरिका और उसके घटक वास्तव में आतंकवादी गुटों से मुकाबले में गम्भीर होते तो बहुत पहले इस गुट का अंत हो गया होता और आतंकवाद विरोधी लड़ाई समाप्त हो गयी होती।
इसी प्रकार इन हल्कों का मानना है कि अगर ईरान ने इराक और सीरिया की सहायता नहीं की होती तो बहुत पहले इराक और सीरिया पर आतंकवादी गुटों का कब्ज़ा हो गया होता। MM
ईरान जनता का पक्का उसूल, अमरीका जो कहे उसके ठीक उलटा करो ।
इस्लामी गणतंत्र ईरान में ग्यारहवें संसदीय चुनाव का 21 फरवरी शुक्रवार को आयोजन हुआ था। ईरान में निरंतरता के साथ चुनाव आयोजन वास्तव में एक गौरव है।
संसदीय चुनाव के अंतर्गत 290 सांसदों के चुनाव के लिए 208 चुनावी क्षेत्रों में मतदान हुआ। 208 चुनावी क्षेत्रों में लगभग 55 हज़ार मतदान केंद्र बनाए गए थे जहां सात हज़ार 157 प्रत्याशियों के बीच मुक़ाबला हुआ।  
ईरान में संसदीय चुनाव के पहले चरणों में औसत मतदान 60 प्रतिशत रहा है। ईरान में इस्लामी क्रांति की सफलता के 41 वर्षों के दौरान 37 चुनावों का आयोजन हुआ है। जो निश्चित रूप से एक बहुत बड़ा कारनामा है विशेषकर इस लिए भी कि ईरान जिस पश्चिम एशिया में स्थित है वहां अधिकांश देशों में चुनाव और मतदान जैसी चीज़ों का कोई अर्थ ही नहीं है।
इन हालात में ईरान में निंरतर मतदान होता है किंतु अमरीका  ईरान को निशाने पर रखता है और ईरान में चुनाव की राह में बाधाएं खड़ी करता है और सऊदी अरब जैसे देशों की मदद से यह काम करता है जहां प्रजातंत्र और मतदान का नाम व निशान तक नहीं।
अमरीकी विचारक नोवाम चाम्स्की कहते हैं कि पश्चिम में सब लोग प्रजातंत्र से प्रेम की बात करते हैं लेकिन आप सब को मालूम है कि पश्चिमी लोग जो कहते हैं उसमें विश्वास नहीं रखते। प्रजातंत्र पश्चिमी शक्तियों के लिए बहुत बड़ा खतरा है और उसका कारण भी बहुत साधारण है। अरब जगत में हुए सर्वे का परिणाम देख लें। उदाहरण स्वरूप ब्रोकिंग्स संस्था के सर्वेक्षण के अनुसार अरब जगत में लोग सब से अधिक घृणा अमरीका और इस्राईल से करते हैं।"
इस्लामी गणतंत्र ईरान में चुनाव राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक महत्व और उपयोगिता रखता है। यही वजह है कि इस्लामी गणतंत्र ईरान के दुश्मन हर बार ईरानी जनता को चुनाव से दूर रखने की कोशिश करते हैं और हर बार ईरानी जनता उन्हें नाकाम बनाती है। ईरानी जनता ने हमेशा यह साबित किया है कि वह संवेदनशील परिस्थितियों में अधिक चेतना के साथ मैदान में उपस्थित रहती है।
अमेरिका ने फ़िर क़बूला अपना झूठ, ईरानी हमले में घायल अमेरिकी सैनिकों की संख्या शून्य से 110 हुई ।


ईरान ने 8 जनवरी को अमेरिका की आतंकवादी हमले के जवाब में आधुनिकतम हथियारों से लैस इराक में स्थित उसकी सैनिक छावनी ऐनुल असद पर कई मिसाइल दाग़े थे
अमेरिका के रक्षामंत्रालय पेंटागन ने कल शुक्रवार को एक बार फिर स्वीकार किया है कि ईरान ने इराक में स्थित अमेरिकी सैनिक छावनी ऐनुल असद पर जो मिसाइल हमला किया था उसमें घायल होने वाले अमेरिकी सैनिकों की संख्या 110 हो गयी है।
समाचार एजेन्सी फार्स की रिपोर्ट के अनुसार पेंटागन ने शुक्रवार की रात को घोषणा की है कि एक अन्य अमेरिकी सैनिक में इस बात चिन्ह दिखाई दिये हैं कि उसके भी दिमाग़ में चोट आयी है।
अमेरिकी रक्षामंत्रालय पेंटागन ने 10 फरवरी को स्वीकार किया था कि ईरान के मिसाइली हमले में 109 अमेरिकी सैनिकों के दिमाग़ में चोटें आयी हैं और एक सैनिक के बढ़ जाने से यह संख्या अब 110 हो गयी है।
ईरान ने 8 जनवरी को अमेरिका की आतंकवादी हमले के जवाब में आधुनिकतम हथियारों से लैस इराक में स्थित उसकी सैनिक छावनी ऐनुल असद पर कई मिसाइल दाग़े थे जिसके कई घंटे बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ट ट्रंप, रक्षामंत्री मार्ग एस्पर और विदेशमंत्री माइक पोम्पियो ने दावा किया था कि ईरान के मिसाइली हमले में कोई हताहत व घायल नहीं हुआ है जबकि कई हफ्तों से अमेरिकी रक्षामंत्रालय पेंटागन थोड़ा- थोड़ा करके घायल होने वाले अमेरिकी सैनिकों की संख्या स्वीकार कर रहा है। ज्ञात रहे कि ईरान की इस्लामी क्रांति के संरक्षक बल सिपाहे पासदारान (आईआरजीसी) के एक जानकार अधिकारी ने कहा था कि 8 जनवरी को ईरान के मिसाइली हमले में कम से कम 80 आतंकवादी अमेरिकी सैनिक मारे गये हैं जबकि 200 से अधिक घायल हुए हैं। 

रिपोर्ट स्पर्श देसाई √√●Metro City Post MCP●News Channel ● के लिए...

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